भारत कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है, जिसकी लगभग 70 प्रतिशत आबादी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर करती है. मोदी सरकार झटके के साथ कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को काॅरपोरेट आधारित अर्थव्यवस्था में बदल डालने की जी-तोड़ कोशिश में जुट गया. परिणामतः देश के किसान तबाह होते चले गये और शहरों की ओर आकर बेरोजगार बन गये या मामूली पैसे पर बंधुआ मजदूर जैसे बन जाने को अभिशप्त हो गये. नोटबंदी जैसे महाघोटाले के पश्चात् तो ऐसे बेरोजगारों की तादाद में भारी बढ़ोतरी हुई और रोजगार प्राप्त मजदूर भी बेरोजगार हो गये. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पैमाल हो गये और किसान कर्ज के दबाबों के कारण बड़े पैमाने पर आत्महत्या करने पर मजबूर किये गये.
अंबानी और आदानी को अपने कंधे पर बिठाकर विश्व भर में इस काॅरपोरेट घरानों के कारोबार को बढ़ाने के लिए भारतीय किसान के हितों के विरूद्ध विश्व के देशों के साथ समझौते किये. अंबानी और अदानी के कारोबार का खुद जम कर विज्ञापन किये. भारतीय दलाल मीडिया को भारी पैमाने पर विज्ञापन जारी कर उसे अपना जरखरीद गुलाम बना लिये और विरोध करने वालों पर संवैधानिक संस्थानों के द्वारा जम कर हमले करवाये. सोशल मीडिया पर अपने गुण्डों को बिठा कर विरोधियों को भद्दे तरीके से ट्रोल किया जाने लगा.
केन्द्र की मोदी सरकार विेदेशों में दौरा तो भारत की जनता के नाम पर करती है पर फायदा अंबानी और अदानी को पहुंच रहा है. उदाहरण के तौर पर मोजाम्बिक से दाल का आयात, अमेरिका और आस्ट्रेलिया से गेहूं, आलू का आयात, ब्राजील से राॅ शुगर, मैक्सिको और अफ्रिका से सरसों, सोयाबीन और यहां तक कि पाकिस्तान तक से प्याज का आयात हो रहा है. इसे आयात कर भारत के बाजार में खपाने वाले रिलांयस एग्रो, आईटीसी, अदानी एग्रो और जिंदली बंधु की कम्पनी है. इतना ही नहीं देश के किसानों की जान की कीमत पर न केवल इन उपजों को मंहगे दामों पर खरीद कर भारत के बाजार में मंहगे दामों पर खपा ही रही है, वरन् विदेशों से आयात करने के लिए मोदी सरकार इन कम्पनियों को बड़े पैमाने पर बैंकों से कर्ज भी दिलवाती है.
राज्यसभा के शून्य काल में जदयू के एक सांसद पवन शर्मा ने देश में काॅरपोरेट घरानों पर सरकारी बैंकों से लिये गये कर्ज की राशि को 5 लाख करोड़ होने का दावा किया है. खासकर अदानी की कम्पनी पर बैंक का कर्ज 72 हजार करोड़ रूपये होने का दावा किया है. उन्होंने बताया कि सरकारी बैंकों के 5 लाख करोड़ की विशाल धनराशि में से 1.4 लाख करोड़ रूपया का विशाल कर्ज जिन कम्पनियों पर बकाया है उसमें से 5 कम्पनियों में लैंको, जीवीके, सुजलाॅन एनर्जी, हिन्दुस्तान कन्स्ट्रक्शन कम्पनी और अदनी ग्रुप एंड अदानी पावर शामिल है. केवल अदानी ग्रुप पर जो 72 हजार करोड़ रूपये की जो अल्पकालिक और दीर्धकालिक कर्ज है, वह देश के सभी किसानों के कुल कर्ज के बराबर है. पर किसानों के 72 हजार करोड़ रूपये के कर्ज जो अच्छे फसल के न होने के कारण किसान चुका नहीं पा रहे हैं, माफ करने को भारत सरकार और सरकारी बैंक किसी भी हालत में तैयार नहीं है. वहीं इन काॅरपोरेट कम्पनियों के इस 5 लाख करोड़ रूपये के भारी कर्ज को माफ करने के लिए मोदी सरकार तमाम तरह की धूर्ततापूर्ण चालें चल रही है और माफ भी करती जा रही है. देश की जनता को गुमराह कर रही है. मीडिया और सोशल मीडिया पर अपने गुण्डे के माध्यम से हंगामा बरपाये हुए है.
इन काॅरपोरेट कम्पनियों में से केवल अदानी ग्रुप का ही पिछले 2-3 सालों में 85 प्रतिशत मुनाफा बढ़ा है, वहीं किसान बेहाल हुए हैं और हजारों की तादाद में आत्महत्या कर रहे हैं. बातें केवल इतना ही नहीं है. मध्यप्रदेश के मंदसौर में उठे किसान आन्दोलन के दमन करने के लिए भाजपा सरकार के निर्देश पर न केवल किसानों को गोली मार कर हत्या ही कर दी गयी है उल्टे उन किसानों को असामाजिकतत्व भी साबित करने की नापाक कोशिश की गई है. 80 साल की बूढ़ी महिला को पुलिस ने पीट-पीट कर हाथ तोड़ डाला. इसके बाद 10 करोड़ रूपये खर्च कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किसानों का मजाक उड़ाते हुए पंचसितारे उपवास का आयोजन किया. इस सब का एक ही उद्देश्य था कि किसानों को गुमराह करना और उसके हत्या, आत्महत्या और बर्बादी को जायज ठहराना.
यह अनायास नहीं है कि मोदी जो हर समय ट्विटर के जरिये अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में माहिर हैं, किसानों की गोली मार कर की गयी हत्या पर एक शब्द भी जाया करना उचित नहीं समझा. किसानों को उसके हाल पर छोड़ कर विदेश भ्रमण को आतुुर रहने वाले मोदी पृथ्वी का चक्कर यूं ही नहीं काट रहे हैं. यह सब हो रहा है शहरों में सस्ता मजदूर आपूर्ति करने के लिए वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के निर्देश पर किसानों को खेती से बेदखल करने के लिए. देश को विेदेशी साम्राज्यवादी ताकतों के हाथों गुलाम बनाने के लिए ताकि देश के गरीब किसान-मजदूर और उसके बेटों की गाढ़ी कमाई को लूट कर विदेशी साम्राज्यवादी और देशी काॅरपोरेट घरानों के खजानों को भरा जा सके.
आज देश के हर सच्चे नागरिक का फर्ज है कि वह अपनी और अपने देशवासियों के हितों में केन्द्र की मोदी सरकार की नीतियों की गहरी समीक्षा करें और साम्राज्यवादियों एवं काॅरपोरेट घरानों वाली दलाल नीतियों के खिलाफ सवाल खड़ा करें. किसानों की हत्या और देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों को नीलाम करने की कार्रवाई तो महज शुरूआत भर है.
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June 14, 2017 at 2:50 am
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