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तेजिंदर बग्गा : झूठ पर विश्वास करने के लिए अनपढ़ चाहिए

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तेजिंदर बग्गा : झूठ पर विश्वास करने के लिए अनपढ़ चाहिए

इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले तेजिंदर बग्गा 34 साल में पत्राचार से बीए कर रहे हैं. अभी बीए की डिग्री का इंतजार कर रहे बग्गा छह साल से जेएनयू वालों को इसलिए ट्रोल कर रहे थे कि वे 30 साल की उम्र तक पीएचडी क्यों कर रहे हैं ?

इसमें गलती बग्गा की नहीं है. मेरी जानकारी में भारत की साक्षरता दर 74 प्रतिशत है. बग्गा तो फिर भी साक्षर हैं और ट्विटर पर ट्रोल करना तक जानते हैं. दुखद यह तो है ही कि इस देश के करोड़ों लोग अनपढ़ हैं, यह और दुखद है कि पढ़ने की सामान्य उम्र पर भी सत्ताधारी पार्टी की ओर से हमले किए जा रहे हैं.

पिछले छह सालों में पढ़ाई की उम्र के प्रति जानबूझ कर एक अभियान चलाया गया. इसका एक मकसद है. एक सामान्य छात्र भी अगर पीएचडी कर लेगा तो बहुत संभावना है कि वह एक सभ्य आदमी की तरह सोचने लगे. कम से उसे यह पता होगा कि हिंदुओं के बारे में, मुसलमानों के बारे में, इतिहास के बारे में जो कहा जा रहा है वह झूठ है.

इसके उलट, अनपढ़ या कुपढ़ उस एजेंडे में जल्दी फंसेगा. बीजेपी के नेता तेजिंदर बग्गा इसके अप्रतिम उदाहरण हैं. प्रशांत भूषण के साथ मारपीट करके चर्चा में आए बग्गा को बीजेपी ने पलकों पर बैठाया. प्रवक्ता बन गए और ट्रोल गैंग के सरगना के रूप में उन्होंने देश में अपना बहुमूल्य योगदान दिया.

बग्गा की उम्र 34 साल है. इंटरमीडियट पास नहीं कर पाए हैं. इग्नू से पत्राचार के कोर्स में शायद आवेदन दिया है. चीन की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी से कोई तीन हफ्तों का स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम है, जिसे सरकार स्पॉन्सर करती है. इसमें बग्गा कभी गए होंगे. उन्होंने अपने हलफनामे में यही दोनों अपनी शैक्षिक योग्यता घोषित की है.

पीएचडी करने तक की सामान्य उम्र सबको पता है. बग्गा जी अगर पीएचडी होते तो जेएनयू वालों को ट्रोल न करते. जेएनयू, डीयू, जाधवपुर समेत तमाम विश्वविद्यालयों के छात्रों और सरकार का विरोध करने वालों को ट्रोल करने के लिए अनपढ़ चाहिए.

मोर का आंसू पीकर मोरनी को गर्भवती कराने या अगले तीस साल में मुसलमान की संख्या हिंदुओं से ज्यादा होने जैसे गप्प पर भरोसा करने के लिए अनपढ़ लोग चाहिए. सीएए बहुत सुंदर कानून है, इस झूठ पर विश्वास करने के लिए अनपढ़ चाहिए. रोज सरकार की ओर से प्रसारित सैकड़ों झूठ पर भरोसा करने और उस गर्व भी करने के लिए जनता का अनपढ़ होना जरूरी है.

इसीलिए यह फैलाया गया है कि 30 साल तक पढ़ाई करके पीएचडी हासिल करना शर्म की बात है. इंटर पास किए बगैर ट्विटर पर गालियां देना गर्व की बात है. बिना इंटर पास किए गाली देने का गुण अगर प्रधानमंत्री को आपका फॉलोवर बना दे रहा है, तो शिक्षा, इस अशिक्षा से बेहतर कैसे हो सकती है ?

  • कृष्णकांत

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ROHIT SHARMA

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