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झारखंड : आदिवासी पर हो रहे हैं पुलिसिया दमन – किस्कू की अवैध गिरफ्तारी पर खामोश सरकार

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झारखंड : आदिवासी पर हो रहे हैं पुलिसिया दमन - किस्कू की अवैध गिरफ्तारी पर खामोश सरकार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के साथ जो युवा दिख रहे हैं, उनका नाम भगवान दास किस्कू है. सवाल है अगर भगवान दास किस्कू माओवादी है तो वे सीएम कार्यालय में क्या कर रहे थे ? और अगर माओवादी नहीं है, तो आखिर उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर क्यों गिरफ्तार किया गया ? यह तस्वीर 5 दिसम्बर, 2020 का है.

झारखंड के गिरीडीह जिला के खुखरा थाना क्षेत्र के चतरो गांव के 26 वर्षीय युवा झारखंड जन संघर्ष मोर्चा व विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के साथी भगवान दास किस्कू को एएसपी गुलशन तिर्की के नेतृत्व में बनी टीम ने गिरफ्तार कर माओवादी वारदात को अंजाम देने के मामले में जेल भेज दिया.

झारखंड जन संघर्ष मोर्चा व विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के साथी भगवान दास किस्कू के संयोजक साथी बच्चा सिंह बताते हैं कि भगवान दास किस्कू झारखंड जन संघर्ष मोर्चा और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन से जुड़े हुए साथी हैं, जो लगातार झारखंड में आदिवासी-मूलवासी पर चलाये जा रहे पुलिसिया दमन का मुखर होकर विरोध करते रहे हैं.

यही बात झारखंड सरकार व पुलिस प्रशासन को लगातार चुभती रही है कि लोग पुलिसिया गुंडागर्दी का विरोध क्यों कर रहे हैं ? झारखंड में पुलिसिया गुंडागर्दी इस तरह अपनी चरम सीमा पर है. हालत यह है कि झारखंड में कहीं भी, किसी जगह से जो कोई युवा मुखर होकर पुलिसिया गुंडागर्दी के खिलाफ बोलते रहते हैं, उन्हें उठाकर माओवादी विद्रोही के नाम पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है.

यहां कि रीढ़विहीन अखबार भी पुलिसिया भाषा ही बोलता है. वह सच के लिए इतना भी जोखिम उठाना स्वीकार नहीं करता है कि एक बार पुलिस के द्वारा उठाये गए युवाओं के परिवार वाले और गांव के लोगों से भी इन गिरफ्तारी के बारे में पुछताछ करें और उनके पक्ष को खबर बनाएं.

कहें तो एक पूरी साजिश रची जाती है और उन साजिश में मेन स्ट्रीम मीडिया घरानों से लेकर पुलिस प्रशासन व सरकार सभी बराबर के साझेदार होते हैं. वह इन पुलिसिया कुचक्रों को इस तरह का भयावह कहानी बनाकर हुए समाज के सामने प्रस्तुत करता है मानो पुलिस को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुआ हो. दरअसल इसके बहाने समाज में एक दहशत पैदा करना चाहता है ताकि कोई भी सरकार व पुलिसिया दमन के खिलाफ आवाज न उठा पाये, वरना यही उसका अंजाम होगा.

झारखंड में भी जिस तरह से जल, जंगल, जमीन की लूट लगातार जारी है. इससे त्रस्त यहां के भी आदिवासी-मूलवासी अपने जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए लगातार संघर्षरत हैं, क्योंकि आज भी ये विस्थापन का दर्द ये झेल रहे हैं. जिस तरह विकास के नाम पर इन आदिवासी मूलवासी को जल, जंगल, जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उनके सामने अपने अस्तित्व का संकट सामने खड़ा हो गया है. जब अस्तित्व का सवाल उनके सामने होगा तो वो लड़ेंगे ही, ना कि चुप्पी साधे रहेंगे.

झारखंड में लंबे समय से स्वतंत्र पत्रकारिता कर रहे रूपेश कुमार सिंह पर भी माओवादी विद्रोही होने का ठप्पा लगाते हुए जेल में बंद कर दिया गया था, लेकिन आज तक प्रशासन कोई साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत नहीं कर पाया है. वे जेल से निकलने के बाद लगातार सक्रिय होकर आदिवासी मूलवासी पर हो रहे दमन के खिलाफ अपनी लेखनी जारी रखे हुए जो काम यहां के मेन स्ट्रीम मीडिया घरानों के पत्रकार उठाने से डरते हैं. वे उन सवालों को बेहिचक उठाते हैं यह जानते हुए कि कभी भी प्रशासन उन्हें उठाकर एक झूठी कहानी रचकर फिर से जेल में बंद कर देंगे.

अपनी गिरफ्तारी पर स्वतंत्र पत्रकार रूपेश कुमार सिंह अपने सोशल मीडिया पेज पर लिखते हैं कि ‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार के साथ जो युवा दिख रहे हैं, उनका नाम भगवान दास किस्कू है. कल इन्हें पुलिस ने दुर्दांत माओवादी बताकर गिरफ्तार कर लिया है.’

यह तस्वीर 5 दिसंबर, 2020 की है, जब ये अपने क्षेत्र में ग्रामीण आदिवासियों के साथ हो रहे पुलिसिया दमन के सवाल पर मुख्यमंत्री से मिलने गये थे. भगवान दास किस्कू का घर गिरिडीह जिला के पारसनाथ पर्वत की तलहटी में खुखरा थानान्तर्गत चतरो गांव में है. यह वर्तमान में झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन व अपने गांव के ‘शहीद सुंदर मरांडी स्मारक समिति’ से भी जुड़े हुए हैं.

इनसे मेरी मुलाक़ात 3-4 फरवरी, 2022 को बोकारो स्टील सिटी में आयोजित झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के वर्कशॉप में हुई थी. तब इन्होंने बताया था कि लगातार पुलिसिया दमन के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के कारण पुलिस ने उनपर कई मुकदमा दर्ज कर दिया है, जिसके ख़िलाफ़ उनके निवेदन पर एचआरडीए ने एनएचआरसी को भी लिखा है.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिन-रात आदिवासी-मूलवासी जनता के हितैषी होने का दावा करते नहीं थकते हैं, लेकिन उनके दावे के ठीक विपरीत उनकी पुलिस आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं को ही झूठे मुक़दमे दर्ज कर जेल भेज रही है. मेरा सवाल सिर्फ़ इतना है कि अगर भगवान दास किस्कू माओवादी है, तो वे सीएम कार्यालय में क्या कर रहे थे ? और अगर माओवादी नहीं है, तो आखिर उन पर झूठा मुकदमा दर्ज कर क्यों गिरफ्तार किया गया ?

झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक व महिलाओं के प्रश्नों पर हमेशा मुखर होकर लिखती बोलती रही रजनी मुर्मू ने भी भगवान दास किस्कू की गिरफ्तारी के सवाल पर हेमंत सरकार से अपील करते हुए लिखती हैं –

पिछले साल मार्च महीने में मुझे माओवादी विद्रोहियों के नाम पर गरीब आदिवासियों के साथ हो रहे पुलिसिया दमन पर फेक्ट फाइंडिंग टीम के साथ काम करने का मौका मिला था, जहां मेरी की मुलाकात भगवान दास किस्कु से हुई थी.

इसके अलावा भी झारखंड जनसंघर्ष मोर्चा की बोकारो स्थित मिटिंग में भी उनसे मुलाकात हुई थी. भगवान दास किस्कु मजदूर संगठन से भी जूड़े हुए हैं और लगातार आदिवासियों के साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाते हैं. विभिन्न मुद्दे को लेकर भगवान दास की मुलाकात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी हुई है. इसके बावजूद भी हेमंत सरकार भगवान दास को नक्सली किस आधार पर घोषित कर रही है, ये समझ से परे है.

झारखंड के आदिवासियों ने जिस हर्ष के साथ एक आदिवासी मुख्यमंत्री को सर आंखों पर बिठाया था कि ये सरकार आ जायेगी तो सभी आदिवासियों के साथ शोषण और अत्याचार बंद हो जायेगा, परन्तु यह दुर्भाग्य है कि हो इसका उल्टा  रहा है. हेमंत सरकार से आग्रह है कि वो जल्द से जल्द भगवान दास को रिहा करे. गिरिडीह के सभी साथियों से आग्रह है कि वो जल्द से जल्द गिरिडीह एसपी से इस संबंध में मिले.

फिर वो अपने दूसरे पेज पर लिखती हैं –

मेरी सोशल मीडिया के फ्रेंडलिस्ट में हेमंत सोरेन सरकार से जूड़े कई लोग हैं. आप सब से आग्रह है कि आदिवासी सरकार के रहते गरीब आदिवासी समाजिक कार्यकर्ता भगवान दास किस्कू की नक्सली बोल कर गिरफ्तारी के सम्बन्ध में हेमंत सोरेन सरकार को तुरंत सूचित करें. ये बहुत गलत हो रहा है. गिरिडीह जिले और उसके आसपास के इलाके में लगातार नक्सली के नाम पर गरीब संतालों को पुलिस पकड़ कर जेलों में ठूस दे रही है. हेमंत सरकार को तुरंत इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए.

विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई के संयोजक शैलेन्द्र नाथ सिन्हा व दामोदर तूरी प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहते हैं – भगवान दास किस्कु एक राजनीतिक, सामाजिक कार्यकर्ता हैं और इन्होंने अपने आदिवासी-मूलवासी समाज में चल रहे विभिन्न प्रकार के जुल्म अत्याचार के खिलाफ कई जनांदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं, जैसे जल, जंगल, जमीन एवं समस्त प्राकृतिक संसाधनों की लूट, एवं इस लूट को अमलीजामा पहनाने के लिए CRPF कैंप लगना, आम ग्रामीणों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तार करना, फर्जी मुठभेड़ में मार दिया जाना.

विश्व प्रसिद्ध आदिवासियों का धर्म स्थल परास नाथ (मरांग बुरू) को बचाने के लिए ‘धर्मगढ़ रक्षा समिति’ परास नाथ नामक संगठन बनाकर आदिवासी-मूलवासी जनता के बीच जागरूकता लाने का प्रयास कर रहे थे भगवान किस्कु, जिसे गिरिडीह प्रशासन गिरफ्तार कर माओवादी बताकर कई फर्जी मुकदमे डाल कर जेल भेज दिया है.

भगवान किस्कु धर्मगढ़ रक्षा समिति के सदस्य के साथ-साथ विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन झारखंड इकाई के सक्रिय सदस्य हैं. इसके अलावा झारखंड जन संघर्ष मोर्चा का सदस्य हैं और अपने क्षेत्र के जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता है, जिसे सभी राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों के लोग जानते हैं. इसके बावजूद गिरिडीह प्रशासन द्वारा झुठे मुकदमे में गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने का विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन तीव्र निंदा व भ्रत्सना करता है एवं बिना शर्त अविलंब रिहा करने की मांग करता है. अविलंब और बिना शर्त किस्कू को रिहा नहीं  किया गया तो बड़े पैमाने पर आन्दोलन किया जायेगा.

आखिर अपनी बारी आने से पहले अपनी चुप्पी तो तोड़ना ही होगा. ऐसा ना हो कि हमारी बारी आने से पहले कोई बोलने वाले ही नहीं बचे.

  • अंजनी विशु

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ROHIT SHARMA

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