झारखंड में झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, गिरीडीह का सम्मेलन 12 सितम्बर 2022 को आयोजित किया जा रहा है. यह सम्मेलन प्रशासनिक दमन, मंहगाई, बेरोजगारी एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष की खुली घोषणा है. विदित हो कि झारखंड की जुझारू जनता लगातार अपने हक-अधिकार की मांग को लेकर संघर्षशील रही है, जिस कारण उन पर शासक वर्ग द्वारा अकथनीय जुल्म भी ढ़ाये गये. वाबजूद इसके झारखंड की जनता ने अपने संघर्ष की धार को मद्धिम नहीं पड़ने दिया है.
झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, गिरीडीह की तदर्थ कमिटी ने अपने सम्मेलन को सफल बनाने के लिए एक पर्चा भी जारी किया है, जिसमें उसने मौजूदा परिस्थिति का संक्षिप्त ब्यौरा देते हुए बताया है कि अंग्रेजों के शासन से लेकर आज तक हमारे देश में जो भी सरकार बनी, वे जनता के संसाधनों से लेकर उनके मेहनत तक की लूट के व्यवस्थापक के रूप में पेश आते रहे हैं.
वर्तमान में केन्द्र में बैठी भाजपा-नित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) 2 की सरकार द्वारा देश की आमजनता के उपर दमनात्मक कार्यवाही की जा रही है, जिसमें मजदूर विरोधी 4 श्रम कोड, छात्र विरोधी नई शिक्षा नीति, सार्वजनिक क्षेत्रों की कम्पनियों का धड़ल्ले से निजीकरण, अल्पसंख्यक विरोधी CAA-NRC-NPR, दमनकारी कानून (UAPA) में खतरनाक संशोधन आदि लाकर आम आदमी का जीना दुर्लभ कर दिया है.
इसके साथ ही मंहगाई आसमान छु रहा है. पेट्रोल-डीजल सहित दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं में लगातार वृद्धि हो रही है और आम मेहनतकश जनता के रोजगार के अवसर लगातार छीनी जा रही है. छोटी-बड़ी सभी कल्याणकारी योजना भ्रष्ट नेताओं, अधिकारियों एवं बिचौलियों की भेंट चढ़ गई है. वहीं केन्द्र सरकार के इन जनविरोधी नीतियों का विरोध करने वालों को फर्जी मुकदमें में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है.
महागठबंधन (UPA) की झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अपनी चुनावी घोषणापत्र को भुल गये हैं, जैसा कि उन्होंने अपने चुनावी घोषणापत्र में दावा किया था कि नई शिक्षा नीति, बेरोजगारों को रोजगार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य में सुधार, किसानों की समुचित व्यवस्था, CNT व SPT एक्ट सख्ती से लागू करना, पेशा कानून, पांचवीं एवं छठी अनुसूची, वन कानून 2006 का पालन करवाना आदि. लेकिन सत्ता पर आने के बाद इसके ठीक उल्टा हो रहा है.
पुरे झारखंड में आदिवासी एवं मूलवासी जनता के उपर लगातार वन विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्जी मुकदमों दर्ज कर प्रताड़ित किया जा रहा है एवं दैनिक उपयोग की वस्तुएं जंगल से नहीं लेने दिया जा रहा है वहीं नक्सलवादी एवं माओवादी के नाम पर फर्जी मुठभेड़ में हत्या किया जा रहा है. जेल अधिकारियों द्वारा बंदियों को प्रताड़ित करना आदि धड़ल्ले से चल रहा है, अर्थात हेमंत सोरेन की सरकार लाल फिताशाही एवं अफसरशाही पर लगाम लगाने पर विफल हो रही है.
झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के सदस्य भगवान दास किस्कू की गिरफ्तारी एवं अपने अधिकार की मांग के लिए लड़ रही उस क्षेत्र की आम जनता की अंधाधुंध गिरफ्तारी हो रही है. गिरिडीह में स्पंज आयरन के कारखानों द्वारा प्रदूषण फैलाकर आम मेहनतकश जनता का जीविका की एक मात्र संसाधन जल, जंगल, जमीन को बंजर किया जा रहा है जिस कारण बड़े पैमाने पर क्षेत्र की आम निर्दोष जनता जनता जानलेवा बीमारी का शिकार हो रहे हैं.
ऐसी विषम परिस्थितियों में भी झारखंड के आदिवासी-मूलवासी एवं समस्त शोषित-पीड़ित जनता अपने अधिकारों के संघर्ष के रास्ते पर एकजुटता के साथ चलना बंद नहीं किया है. वे अपने मूलभूत मांगों के साथ कदम बढ़ाते हुए आदिवासी-मूलवासी का जल-जंगल-जमीन एवं समस्त प्राकृतिक संसाधनों पर हक-अधिकार कायम करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. इसी दृढता का प्रतीक है 12 सितम्बर 2022 को झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, गिरिडीह के जिला कमिटी का सम्मेलन.
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