हमारा लोकतन्त्र और न्याय, परीक्षा में तभी पास होंगे, जब ये उन्हें न्याय देंगे, जिनके साथ हम रोज अन्याय ही करते हैं. ये आदिवासी, ये दलित, ये महिलायें, अल्पसंख्यक, इन्हें जब भी न्याय देने की बात आती है, तभी हमारा लोकतंत्र और न्यायतंत्र घुटने टेक देता है.
राजस्थान में 22 साल पहले एक दलित स्त्री, भंवरी देवी के साथ गांव के दबंग पुरुषों ने सामूहिक बलात्कार किया था. भंवरी देवी को सज़ा देने के लिये उसके साथ बलात्कार किया गया था. भंवरी देवी का अपराध यह था कि उसने “… बड़ी जाति की एक छोटी बच्ची का बाल विवाह रुकवाने की कोशिश की थी.“
भंवरी देवी को गांव में बाल विवाह रोकने के लिये सरकार ने ही नियुक्त किया था, लेकिन सरकार ने भंवरी देवी की कोई मदद नहीं की. भंवरी ने थाने में बलात्कार की रपट लिखवाई तो थानेदार ने सबूत के लिये भंवरी देवी का लंहगा उतरवा कर थाने मे जब्त कर लिया. भंवरी पति की पगड़ी लपेट कर घर लौटी. राजस्थान के महिला संगठन भंवरी देवी की मदद में आगे आये. दो साल तक महिलायें भंवरी के साथ अदालत जाती रहीं. अदालत में सभी दबंग वकील इन लोगों को लहंगा पार्टी कह कर चिढाते थे. तब राजस्थान में भाजपा की सरकार थी.
राजस्थान के मुख्यमंत्री भाजपा के नेता भैरों सिंह शेखावत थे. भैरों सिंह शेखावत पहले पुलिस अधिकारी रहे थे. भैरों सिंह शेखावत को भ्रष्टाचार के कारण पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया था, और बाद वे में चुनाव लड़ कर नेता बन गये थे. भैरों सिंह शेखावत ने कहा-‘‘इस महिला को मेरे पास लाओ, मैं पुलिस में रहा हूं. मैं पहचान सकता हूं कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है ?
भैरों सिंह शेखावत भंवरी देवी से मिले. मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, “यह औरत झूठ बोल रही है; धौले बाल वाली से कौन बलात्कार करेगा ?“ अदालत ने कहा कि-“बड़ी जाति के लोग एक छोटी जाति की महिला के साथ बलात्कार नहीं कर सकते.“ मामला सर्वोच्च न्यायालय में गया. 18 साल से भंवरी देवी इन्साफ का इंतज़ार ही कर रही है.
मैं पिछले साल राजस्थान गया. भंवरी देवी से भी मिला. मैंने भंवरी देवी का फोटो खींचा तो उन्होंने मुझसे पूछा कि ‘‘क्यों खीच रहे हो मेरा फोटो ? क्या इससे मुझे इन्साफ मिल जाएगा ?’’ मैं क्या जवाब देता ? उसे क्या पता मैं भी उसी जैसा हूं !
हमारी न्याय व्यवस्था की, हमारे लोकतंत्र की जब भी परीक्षा होती है, तभी यह फेल हो जाता है. हमारा लोकतन्त्र और न्याय, परीक्षा में तभी पास होंगे, जब ये उन्हें न्याय देंगे, जिनके साथ हम रोज अन्याय ही करते हैं. ये आदिवासी, ये दलित, ये महिलायें, अल्पसंख्यक, इन्हें जब भी न्याय देने की बात आती है, तभी हमारा लोकतंत्र और न्यायतंत्र घुटने टेक देता है.
हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारा लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था मजबूत बन जाए. हमारा लोकतन्त्र और न्यायतंत्र ’अंकित गर्ग’ की मूंछों और राजस्थान के दबंगों की बंदूकों से ना डरे. हम जीवन भर इस देश के लोकतंत्र और न्यायतंत्र की परीक्षा लेंगे और जिस दिन इस देश की सोनीसोरी और भंवरीदेवी इस देश के लोकतंत्र और न्यायतन्त्र को उत्तीर्ण हो जाने का प्रमाण पत्र दे देंगी, तभी हम मानेंगे कि हां, अब आज़ादी आयी है.
- हिमांशु कुमार
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