दिल्ली की चौहद्दी को घेर कर प्रदर्शन कर रहे देश भर के किसान आन्दोलनकारियों के खिलाफ अंबानी-अदानी का नौकर केन्द्र की मोदी सरकार दोहरी नीति अपना लिया है. एक ओर वह गृहमंत्री के पद पर बिठाये गये आदतन अपराधी अमित शाह को एक गरजने या धमकी देने के लिए तैनात कर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर खुद मोदी किसान आन्दोलन के खिलाफ गुरूद्वारों में घूमना शुरू कर दिया ताकि किसान आन्दोलन के खिलाफ एक धार्मिक सहानुभूति अर्जित की जा सके.
इसी सिलसिले में मोतियाबिंद का मरीज यह नरभेड़िया नरेन्द्र मोदी किसानों की खोज करने गुजरात में कच्छ पहुंच गया, जिसके बारे में दलाल गिद्ध मीडिया जोर-शोर से गुनगान कर रहा था. बाद में यह पता चला कि वह वहां उन सिख लोगों को एक गुरूद्वारा बनवाने का पेशकश करने गया था, जिनकी जमीन वह पहले ही छीन चुका है.
जब करोड़ों किसानों का विशाल समूह एक तूफ़ान या सुनामी जैसे उठ खड़ा होगा तो वह ऐसी भयंकर शक्ति होगी कि दुनिया की कोई ताक़त उसके सामने टिक नहीं सकती
— Markandey Katju (@mkatju) December 23, 2020
बहरहाल रकाबगंज गुरूद्वारे में मत्था टेकने पहुंचे इस नरभेड़िया मोदी को ग्रंथी साहब ने आइना दिखा दिया जिसके बारे में आज तक मोदी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. उसकी इतनी बड़ी बेइज्जती गुरूद्वारे में होगी, इसका उसे सपने में भी अहसास नहीं रहा होगा.
गुरूद्वारे में आने-जाने वालों के सेवाभाव के लिए प्रसिद्ध गुरूद्वारे में बिछी कालीन को मोदी के आने के पहले ही हटा दिया गया और गुरू तेगबहादुर के सामने सर झुकाने गये मोदी के कानों में ग्रंथी साहब ने जब गुरू वाणी बोलना शुरू किया. शुरू में तो मोदी अपना सर हिलाता रहा, बाद में जब उसके समझ में आने लगा तब जिस तरह बुरा आत्मा देववाक्य को सुनकर पागल होकर भागने लगता है, ठीक वैसे ही यह खूंख्वार नरभेडिया नरेन्द्र मोदी सिर पर पांव रखकर भागने लगा.
रकाबगंज गुरुद्वारे के ग्रंथी साहेब पूरी शिद्धत के साथ नरभेड़िया मोदी के सामने गुरु की वाणी को पढ़े. उन्होंने यह वाणी मूल पंजाबी भाषा में पढ़ा, जिसे तत्काल यह भेड़िया समझ नहीं पाया और सिर हिलाता रहा. परन्तु, ज्यों ही उसके समझ में आने लगा, त्यों ही सिर पर पैर रखकर भागने लगा. लेकिन ग्रंथी साहब भी भागते इस नरभेड़िया को गुरु वाणी सुनाते गये. आखिर ग्रंथी साहेब ने कौन-सी वाणी पढ़ी, इसका हिन्दी अनुवाद हम अपने पाठकों के सामने रख रहे हैं, जिसका हिन्दी अनुवाद पंजाब के मेरे मित्र राकेश आजाद ने किया है –
बेशक तू अपने आपको कहता है कि तू धर्मी है, संगत (जनता) के साथ है, सेवा करता है, गुरबाणी पढ़ता है, पर गुरु कहते हैं कि इससे अगर तेरी सोच में तब्दीली ना आई और तूने इस बानी का मानवता वाला संदेश, भगवान की बंदगी वाला संदेश, अगर तुमने नहीं समझा और तेरे जीवन के अंदर मानवता की भलाई की विचारधारा नहीं आती तो इस बात का ध्यान रखना जब काल आएगा, यमराज आएगा, और यमदूत आकर तेरे गले में फंदा डाला तो तो फिर तू कहां भागेगा ? काल से आज तक कोई भाग पाया है, जो तू भाग पाएगा.
यह वाणी सुनते ही नरभेड़िया मोदी ग्रंथी साहेब का अपमान करते हुए भागने लगा, परन्तु तब भी ग्रंथी साहेब उसके पीछे-पीछे चलकर पूरी वाणी सुनाई. आईये, यहां हम इस पूरी घटनाक्रम का विडियो देखते हैं, जो मात्र डेढ़ मिनट का है –
दरअसल यह नरभेड़िया अब तक लाखों लोगों का खून पी चुका है. कुछ आंकड़े इस प्रकार है. गुजरात में दंगा करा कर तकरीबन 2 हजार लोगों को मारकर खा गया है. देश में मॉबलिंचिर और गोरक्षक नामक गुंडा गिरोह बनाकर सैकड़ों लोगों को मार चुका है. नोटबंदी कर 150 से अधिक लोगों को तड़पाकर मार चुका है. जीएसटी लागू कर लाखों व्यवसायियों को बर्बाद कर मौत के मूंह में झोंक चुका है.
कोरोना जैसी फर्जी महामारी के नाम पर पर अचानक लॉकडाऊन लगाकर तकरीबन डेढ़ लाख प्रवासी मजदूरों को भूख और बेबसी में तड़पा तड़पाकर मार डाला है यह नरभेड़िया. करोड़ों प्रवासी मजदूरों की इस तबाही और मौतों को सारी दुनिया ने अपनी फटी आंखों से देखा.
इतना ही नहीं, यह नरभेड़िया एनआरसी और किसान को निशाना बना कर लागू किये गये किसान विरोधी बिल के जरिये करोड़ों भारतवासियों को दर्दनाक मौत के रास्तों पर धकेल चुका है. जबकि अब तक हजारों किसानों ने अपनी तबाही को देखकर आत्महत्या कर लिया है. बेकारी और बेबसी में दम तोड़ रहे इस देश पर मोदी की यह भयानक मार है.
यह नरभेड़िया इतना बेरहम है कि किसानों के द्वारा आयोजित प्रदर्शन में अबतक 35 से अधिक किसानों का खून पी चुका, फिर भी इसकी भूख खत्म नहीं हो रही है, उल्टे यह नरभेड़िया खून पीने के बाद एक खतरनाक अट्टहास लगाता है, कभी ‘खालिस्तानी’ कहे जाने वाले गुरुद्वारा पहुंच जाता है तो कभी ‘देशद्रोहियों का अड्डा’ कहे जाने वाले एएमयू पहुंच जाता है, तो कभी कच्छ पहुंच कर गुरुद्वारा बनाने का पेशकश करता है, जो इसके खतरनाक इरादों को जाहिर करता है.
इससे पहले की यह नरभेड़िया करोडों लोगों को मौत और भूखमरी के अंधे कुंए में धकेल दें, देश के लोग अपनी आवाज बुलंद करें और दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद करोड़ों किसानों के बुलंद आवाज में अपनी आवाज मिला दें. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मारकंडे काटजू अन्यथा नहीं कहते, ‘जब करोड़ों किसानों का विशाल समूह एक तूफ़ान या सुनामी जैसे उठ खड़ा होगा तो वह ऐसी भयंकर शक्ति होगी कि दुनिया की कोई ताक़त उसके सामने टिक नहीं सकती.’
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