2012 मे जब खबर आयी थी कि सुरक्षा बलों ने 17 नक्सलियों को मार गिराया तो पूरे देश ने सुरक्षा बलों की पीठ थपथपाई थी. मीडिया ने जी भर के सुरक्षा बलों के शौर्य का गुणगान किया था और सुरक्षा बलों ने लाशों के आगे खड़े होकर फिल्मी स्टाइल मे फोटो भी खूब खिचवाये थे. आज ये साबित हो चुका है कि सुरक्षा बलों के हाथों मारे गये लोग नक्सली नहीं बल्कि गरीब किसान थे, जिनको किसी मुठभेड़ में नहीं बल्कि पास से सिर में गोली मार कर मारा गया था. कुछ लोग जो मृतप्राय अवस्था में सांसे ले रहे थे, उसे कुल्हाड़ी या तेज धारदार हथियारों से पुलिस ने काट डाला था. पेश है प्रसिद्ध गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की रिपोर्ट.
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने मिट्टी की पूजा का त्यौहार मनाते समय 17 आदिवासियों को चारों तरफ से घेर कर गोलियों से भून दिया था. मारे गए लोगों में नौ छोटे बच्चे थे. इस मामले में आदिवासियों की सबसे ज्यादा मदद करने वाली महिला वकील सुधा भारद्वाज आज जेल में बंद है. छत्तीसगढ़ के भाजपाई मुख्यमंत्री रमन सिंह ने तब मीडिया को बताया था कि मारे गए लोग नक्सलवादी हैं और उन्होंने पुलिस पर हमला किया था. अब उस मामले की जांच रिपोर्ट आ गई है
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां कोई नक्सलवादी मौजूद नहीं था. पुलिस ने चारों तरफ से गोली चलाकर निर्दोष आदिवासियों की हत्या करी थी. भाजपा का हत्यारा मुख्यमंत्री रमन सिंह आपत्ति व्यक्त कर रहा है और कह रहा है कि जांच रिपोर्ट मीडिया को लीक क्यों करी गई इसे सिर्फ विधानसभा में ही पेश किया जाना चाहिए था. इस तरह के खेल पहले भी खेले जाते रहे हैं
आपको याद होगा मुंबई में मुसलमानों के खिलाफ जो दंगा हुआ था उसकी जांच के लिए श्रीकृष्ण आयोग बनाया गया था. उस आयोग की रिपोर्ट में दंगाइयों के नाम दिए गए थे. सरकार ने आज तक उस रिपोर्ट को प्रकाशित नहीं किया है. अब यह भाजपा का मुख्यमंत्री रमन सिंह भी चाहता था कि इसने जो आदिवासियों को मरवाया था वह जांच रिपोर्ट भी दबा दी जाए.
रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह के पास इतना पैसा है कि उसे वह स्विस बैंक और पनामा में लगाता है. यह पैसा उसे बड़ी कंपनियों ने दिया था ताकि वह आदिवासियों की जमीनें छीन कर उन्हें दे दे. भाजपा आदिवासियों की जमीन छीनने के लिए उन्हें मरवा रही थी. आप देख सकते हैं कि हिंदू धर्म को बचाना, राष्ट्र की सेवा, राष्ट्रवाद यह महज़ जुमले हैं. असली मकसद पैसा कमाना है.
अमीर पूंजीपतियों के लिए देश की जमीने, खदानें, समुद्र तट, जंगल, नदियां और पानी बेचकर यह राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता, अधिकारी तथा पुलिस वाले पैसा कमाते हैं और आप सोचते हैं कि यह लोग देश की सेवा कर रहे हैं, राष्ट्र को बचा रहे हैं, हमारे धर्म को बचा रहे हैं, दूसरे धर्म वालों को टाइट कर रहे हैं ? आपसे ज्यादा नादान कौन होगा ?
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एक गांव है. उस गांव का नाम है सारकेगुड़ा. उस गांव में कुछ साल पहले भारत सरकार की केंद्रीय पुलिस सीआरपीएफ ने जाकर 17 आदिवासियों को गोली से उड़ा दिया था. इन 17 मारे गए लोगों में 9 बच्चे थे, जिसमें एक बच्चा गणित में स्वर्ण पदक विजेता भी था. एक बच्ची थी जिसे स्कूल जाना पसंद नहीं था उसे खेत की मेड़ों पर दौड़ना और चिड़ियों के पीछे भागना पसंद था. इन सब बच्चों को गोली से उड़ा दिया गया.
केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. प्रदेश में भाजपा की सरकार थी. दोनों सरकारों ने मिलकर झूठ बोला और कहा कि मारे गए लोग नक्सलवादी थे. हम लोगों ने शोर मचाया. मैंने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन डाली. एक जज की अध्यक्षता में जांच आयोग बिठाया गया. अब उस जांच आयोग की रिपोर्ट आई है.
जांच आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि मारे गए लोग निर्दोष थे. वहां कोई नक्सली या माओवादी नहीं था. पुलिस ने चारों तरफ से गोली चलाई थी इसलिए पुलिस वालों की गोली पुलिस को ही लगी थी.
हम लोगों ने शुरू से यही कहा था लेकिन सरकार और सरकार के चापलूस लोगों ने हमें देशद्रोही नक्सल समर्थक अर्बन नक्सल कहकर चुप करा दिया था. अब न्यायाधीश की रिपोर्ट आ चुकी है. मुझे बिल्कुल विश्वास नहीं है कि सरकार दोषी सिपाहियों को कोई सजा देगी. उस वक्त गृहमंत्री चिदंबरम था.
उसने बयान दिया था की हमारे सुरक्षा बलों को माओवादियों के विरुद्ध एक बड़ी सफलता मिली है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भाजपा के रमन सिंह ने कहा था कि मारे गए लोग माओवादी थे. चिदंबरम आज जेल में है. रमन सिंह सत्ता से बाहर है. हमारे साथी मानव अधिकार के मुद्दे उठाने के कारण जेलों में है.
आदिवासी लगातार उसी तरह मारे जा रहे हैं. राष्ट्रवाद का शोर है. मुसलमानों को दुश्मन घोषित कर दिया गया है. हम अपनी बेरोजगारी, किसानों की तबाही, मजदूरों की तबाही, आदिवासियों का मारा जाना, सबको भूल भाल कर अमित शाह जैसे गुंडे के द्वारा मुसलमानों के खिलाफ भड़काई गई नफरत में मजा ले रहे हैं. हमारे जैसा आत्मघाती खुद को बर्बाद करने में मजा लेने वाला बेवकूफ समाज दूसरा नहीं होगा.
सारकेगुड़ा में 17 आदिवासियों को गोली से उड़ाने के बाद सरकार ने एसडीएम को राहत सामग्री लेकर भेजा था. गांव की आदिवासी लड़की कमला ने एसडीएम को लताड़ लगाई थी. आप भी सुनिए. आज सुबह मेरी कमला से बात हुई है. इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद अब हम लोग आगे की कार्रवाई के लिए रणनीति बना रहे हैं.
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