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थानेदार से डर कर राष्ट्रपति वीरता चक्र कहीं छिपकर बैठ गया है

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राजस्थान से एक साथी ने फोन पर कहा – भाई साहब जयराम फरार हो गया है ! पुलिस उसे पकड़ने के लिये जगह जगह छापे मार रही है !’ कौन है यह जयराम ? क्या गुनाह किया इसने ?

जयराम भारतीय सेना की राजपूताना राइफल की दूसरी रेजिमेंट में नायक है. जयराम ने कारगिल की लड़ाई में लड़ते हुए अपने इक्कीस साथियों को मरते हुए देखा था. जयराम को भी दो गोलियां लगी थी लेकिन घायल जयराम ने तोलोलिंग पहाड़ी पर तिरंगा फहरा दिया. जयराम को राष्ट्रपति ने वीरता चक्र प्रदान किया था.

पिछली बार मैं जयराम के गांव गया तो अपने गांव की पहाड़ी के सामने खड़े होकर जयराम मुझसे कहने लगा – ‘भाई साहब मैंने इस देश के लिये जब एक पहाड़ी की रक्षा की तो मुझे इनाम मिला, लेकिन अब मैं गांव की इस पहाड़ी को खनन माफिया से बचाने की कोशिश कर रहा हूं तो मुझे अपराधी माना जा रहा है. क्या मेरी ये लड़ाई देश के लिये नहीं है ? क्या हमारा गांव देश नहीं है ? क्या सीमा ही देश होता है ?’

मैं क्या जवाब देता ? जयराम के गांव में अमीर लोग, नेता और पुलिस मिल कर पहाडियां खोद खोद कर पत्थर निकाल कर दिल्ली और बड़े शहरों में बेचते हैं. पहाड़ी खोदने के लिये ये लोग अवैध बारूद के ट्रक के ट्रक लाते हैं. बारूद के धमाकों से घरों में दरारें पड़ गयी हैं. खेतों में पत्थरों के टुकड़े भर गये हैं. इतनी रेत उडती है कि लोग सिलिकोसिस की बीमारी से मर रहे हैं.

पिछली बार जयराम ने गैरकानूनी बारूद से भरे दो ट्रक पकड लिये और उनको लेकर गांव वालों के साथ थाने पहुंच गया. अगले दिन कोर्ट ने आदेश दिया कि ‘इन दोनों ट्रकों को एक एक हजार रूपये का जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाए ताकि इन ट्रकों के मालिकों को आर्थिक हानि ना हो.’ ट्रकों को छोड़ दिया गया. बारूद सीधे थाने से माफिया के यहां पहुंच गया.

थानेदार ने जयराम से कहा कि तुमने कल जिन ट्रकों को पकड़ा था उसके ड्राइवर ने तुम्हारे खिलाफ शिकायत लिखवाई है कि तुमने उसका मोबाइल चोरी किया है. थानेदार ने जयराम को दो डंडे मारते हुए चेतावनी दी कि अबकी बार अगर तूने नेतागिरी दिखाई तो अंदर हो जाएगा.

मैं और मेधा पाटेकर दो महीने पहले जयराम के गांव डाबला गये थे. कविता श्रीवास्तव भी वहां थीं. जयराम कह रहा था कि ‘मैं वोलंटरी रिटायरमेंट लेकर वापिस आ जाऊंगा और अपने गांव को मरने से बचाऊंगा.’ जयराम वापिस आया. गांव में ग्राम सभा की बैठक में पहाड़ी को फिर से माफिया को देने के लिये लोगों से जबरन अंगूठे लगवाए जा रहे थे.

जयराम और गांव के लोगों ने आपत्ति की तो माफिया वालों के दोस्त एसडीएम् साहब ने जयराम के सिर पर पिस्तौल टिका दी. प्रताव पारित हो गया. जयराम को अपराधी घोषित कर दिया गया. दो दिन से जयराम फरार है. उसका राष्ट्रपति वीरता चक्र थानेदार से डर कर कहीं छिप कर बैठ गया है.

कौन बोलेगा जयराम के लिये ? मैं इन्तेज़ार कर रहा हूं कि अब कब जयराम के मारे जाने या जेल में डाल दिये जाने की खबर आयेगी. और हम सब उसी तरह चुपचाप ये होते हुए देखते रहेंगे, जिस तरह हमने लिंगा कोडोपी, सोनी सोरी, कर्तम जोगा और बहुत सारे लोगों को जेल जाते हुए देखा और इन्हें अपने गांव को बचाने की कीमत अपनी स्वतंत्रता से चुकाते हुए देखा है.

हमें कहां उम्मीद थी कि हमारी आजादी का रथ एक दिन हमें ऐसे भयानक रणक्षेत्र में लाकर खड़ा कर देगा, जहां हम निहत्थे होंगे और खुद ही अपना कफन ओढ़ कर लेट जायेंगे.

हममें से ज्यादातर लोग खुद के वजूद को एक राष्ट्र एक जाति एक मजहब या किसी एक महान इंसान के वजूद से जोड़कर पहचानते हैं

और हम सब जिससे खुद को जोड़कर पहचानते हैं उसकी जरा भी आलोचना हमें खुद के ऊपर हमला लगता है और हम झगड़ा करने मारने काटने के लिए तैयार हो जाते हैं

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ROHIT SHARMA

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