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दिल्ली में दिल्ली महिला आयोग की महिला कार्यकर्ता पर शराब माफियाओं का हमला

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देश भर में महिलाओं के खिलाफ भाजपा की सरकार आने के बाद महिलाओं के खिलाफ घटने वाली घटनाओं में बढ़ोतरी ही हुई है. बेशक यह भी एक तथ्य है कि अनगिनत ऐसी घटनायें प्रकाश में नहीं आ पाती, या मीडिया की सुर्खियां नहीं बटोर पाती. मीडिया में महिलाओं के खिलाफ घटने वाली घटना उनके प्रोफाईल के हिसाब से तय होती है. सवाल उठता है कि क्या महिलाओं के खिलाफ घटनेवाली घटना भी ‘‘हाई’’ और ‘‘लो’’ प्रोफाईल होती है ? बशेक. यही इसका जबाव भी है.

आमिर खान की फिल्म दंगल से अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री 17 साल की जायरा वसीम ने जब दिल्ली-मुम्बई फ्लाईट में छेड़छाड़ का आरोप अपनी पीछे की सीट पर बैठे एक शख्स पर लगाती है तब यह मीडिया घंटों इस पर अपना स्टोरी बनाती है. इस घटना की आड़ में दिल्ली में शराब माफिया के खिलाफ लड़ रही दिल्ली महिला आयोग की एक कार्यकर्ता जिनके साथ न केवल सरेआम मारपीट की गई, बल्कि उनके कपड़े फाड़ कर नग्न पैरेड भी करवाई गई, को ढकने का भी प्रयास माना जा सकता है.

इन शराब माफियाओं का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि उन्हौंने उस महिला कार्यकर्ता का विडियो भी बनाया. इसके साथ ही इन शराब माफियाओं ने दिल्ली महिला आयोग की कार्यकर्ता के साथ-साथ दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल के खिलाफ भी हिंसक हमले की धमकी दे डाली.

टि्वटर से साभार

देश की राजधानी दिल्ली में शराब माफियाओं के इस बढ़े हौसलों और महिलाओं के खिलाफ हिंसक बारदात के बाद भी दिल्ली पुलिस महज कागजी खानापूर्ति में जुटी है.

विदित हो कि दिल्ली में कानून और पुलिस केन्द्र की मोदी सरकार के अधीन आती है, और उसी के ईशारे पर दिल्ली पुलिस कार्रवाई करती या खामोश रहती है. दिल्ली में केवल अधिकार की ‘जंग’ लड़ रहे दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने आंखों में जहां पट्टी बांध रखी है, वहीं केन्द्र की मोदी सरकार के यहां दलाली करते मीडिया संस्थानों ने भी इस मामले पर महज कागजी खानापूर्ति भर ही की. वह इस मामले को दबाने की भरपूर चेष्टा करते दिखे जब वह इस महिला के खिलाफ जो शराब माफिया के खिलाफ लड़ रही थी, को उजागर करने की जगह पर एक अभिनेत्री के साथ घटी मामूली छेड़छाड़ के मामले से ढकने की कोशिश की. निःसंदेह अभिनेत्री के साथ छेड़छाड़ की घटना को स्वीकार नहीं किया जा सकता, पर शराब माफिया के खिलाफ लड़ रही उक्त कार्यकर्त की बहादुरी और उनके साथ घटित घटना के खिलाफ उठ खड़ा होना ज्यादा जरूरी था.

ऐसे में दिल्ली में एक बार फिर शराब माफिया के साथ भाजपा की मोदी सरकार की सांठगांठ जाहिर हो जाती है. इसी के साथ मुख्य मीडिया घराना और पुलिस प्रशासन भी सवाल के कठघरे में नंगा खड़ा हो जाता है.

विदित हो कि भाजपा की मोदी सरकार एक ओर देश भर में जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा, रोजगार आदि जैसे मूलभूत सवाल को दरकिनार कर अंबानी-अदानी की सेवा में लगी हुई है, वहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जब जनता की इन्हीं मूलभूत समस्या पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, महिला सुरक्षा, किसानों आदि जैसे मुद्दों को हल करना चाहती है, तब केन्द्र की यह मोदी सरकार अपने दलाल उपराज्यपाल के माध्यम से आम आदमी पार्टी की सरकार पर ही हमला कर रही है और उसके तमाम अधिकार एक-एक कर छीनकर अपने दलाल उपराज्यपाल के पास रखकर दिल्ली की जनता को घोर मुश्किल में डाल रही है. ऐसे में दिल्ली महिला आयोग की महिला कार्यकत्र्ता के साथ शराब माफिया की गुंडागर्दी के खिलाफ दिल्ली पुलिस और मुख्य मीडिया की कागजी खानापूर्ति को सहज ही समझा जा सकता है, जिसका जबाव देश की जनता उचित समय पर भाजपा की केन्द्र सरकार को जरूर देगी.

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