एक बार एक डाक्टर ने ऑक्सीजन की कमी से मरते बच्चों को बचाने के लिए हर जतन कर ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराए. बाद में उस डॉक्टर पर देशद्रोह का मुक़दमा चला. उसके भाई पर जान लेवा हमला हुआ. मीडिया ने उसे ऑक्सीजन का कालाबाज़ारी कहा. समय का पहिया एक बार फिर घूमा है, क्या फिर से कोई डॉक्टर हिम्मत दिखाएगा ? और क्यूं दिखाए ? जिनकी वो जान बचाएगा वही उसका साथ नहीं देंगे – आदिल आजमी
कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में ताली थाली बजाकर कोरोना भगाने वाले ध्यान दे. मोदी सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जो बीमा योजना शुरू की थी उसे वापस ले लिया है, जिसके तहत कोरोना मरीजों के इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों का 50 लाख रुपए तक का बीमा कवर किया गया था. अगर ड्यूटी के दौरान किसी स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो जाती है, तो उनके परिवार को 50 लाख रुपए तक की सुरक्षा मिलती थी, ये सुविधा अब वापस ले ली गई है. इस स्कीम के तहत न सिर्फ सरकारी, बल्कि प्राइवेट डॉक्टरों को भी कवर किया गया था. सरकार की तरफ से इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि ड्यूटी के दौरान कितने डॉक्टरों को अपनी जान गंवानी पड़ी. हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार 736 डॉक्टर्स ड्यूटी के दौरान जान गंवा चुके हैं, उनसे से भी मात्र 287 डॉक्टरों के परिवारों को ही बीमा की रकम दी गई है – विकास चौहान
रविश कुमार, अन्तराष्ट्रीय पत्रकार
लोग मरते रहें लेकिन प्रधानमंत्री को महान बनाने का पीआर नहीं बंद होना चाहिए. युद्ध जनता लड़ रही है लेकिन योद्धा वो हैं जो कमरे में बैठ कर कुछ करते नज़र आ रहे हैं. जब पिछले पंद्रह दिनों से देश के कई हिस्सों से लोगों के तड़प कर मरने की खबरें आती रहीं , प्रधानमंत्री मोदी चुनावों में व्यस्त रहे. लोग अपनों की लाश लेकर श्मशान के बाहर घंटों इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन योद्धा नरेंद्र मोदी हैं. है न कमाल ! एक दिन भी जनाब बग़ैर अपनी छवि की चिन्ता किए नहीं रह सकते हैं. हर काम दिखावे के लिए हो गया.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का आज का ट्विट देखिए. लिख रहे हैं प्रधानमंत्री एक योद्धा की तरह लड़ रहे हैं. यह ट्वीट उन लोगों का अपमान है जो अपनों को सिलेंडर दिलाने और भर्ती कराने के लिए योद्धा की तरह लड़ते रहे और सरकार सोती रही. प्रोपेगैंडा के झांसे में ही दिन भर रहने के कारण आज भारत की यह हालत हो गई है. लोग कीड़े मकोड़े की तरह मर जाएं लेकिन मोदी जी महान ही रहेंगे. मैदान में भले नज़र न आएं लेकिन योद्धा रहेंगे.
भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है. विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है, जिसकी पहचान बिना ऑक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है. अख़बार लिख रहे होंगे कि दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही है. आम और ख़ास हर तरह के लोगों को अस्पताल के बाहर और भीतर तड़पता छोड़ दिया है. शनिवार को लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार विनय श्रीवास्तव ट्विटर पर मदद मांगते रहे. बताते रहे कि ऑक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है. कोई मदद नहीं पहुंची और विनय श्रीवास्तव की मौत हो गई.
धर्म की राजनीति के नाम पर लंपटों की बारात सजाने वाले इस देश के पास एक साल का मौका था. इस दौरान किसी भी आपातस्थिति के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को तैयार किया जा सकता था लेकिन नहीं किया गया. इस बार की हालत देखकर लगता है कि भारत सरकार ने कोविड की लहरों को लेकर कोई आपात योजना नहीं बनाई है. दरअसल अहंकार हो गया है और यह वास्तविक भी है कि लोग मर जाएंगे फिर भी धर्म के अफीम से बाहर नहीं निकलेंगे और सवाल नहीं करेंगे. लखनऊ अब लाशनऊ बन गया है. दूसरे शहरों का भी यही हाल है. हालत यह है कि बीजेपी से जुड़े लोग भी अपनों के लिए अस्पताल और ऑक्सीजन नहीं दिलवा पाए.
पिछला हफ्ता किसी के लिए अस्पताल तो किसी के लिए ऑक्सीजन तो किसी के लिए इंजेक्शन के लिए याद नहीं कितनों को कितनी बार फोन किया होगा. थका देने वाला अनुभव था. सफलता की दर शून्य. मुझे पता नहीं था कि संक्रमण मेरे भीतर भी लुका-छिपी का खेल रच रहा है. RT-PCR में निगेटिव आया. सीटी में कुछ नहीं निकला. कई प्रकार के ख़ून जांच से भी कुछ नहीं निकला लेकिन मेरे डॉक्टर निश्चित थे कि मुझे कोविड है. कल रात सुगंध की क्षमता चली गई है, मैं अभी ठीक हूं.
यह केवल सूचना के लिए है. कई लोग हर दिन मैसेज कर रहे हैं कि मैं कहां हूं. क्यों नहीं प्राइम टाइम कर रहा है तो बताना ठीक समझता हूं. एक गुज़ारिश है कि मुझे संदेश न भेजें. उससे और तकलीफ बढ़ जाती है. आपका प्यार मेरी ताकत है. मुझे यह प्यार एक ऐसे दौर में मिला है जब कई फ्राड लोग धर्म की आड़ में महान बन गए और लोगों ने सोचना और देखना बंद कर दिया. उस दौर में आपने मुझे सुनने और देखने के लिए अपनी आंखें खोले रखी. इसलिए मेरी कहानी उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी आम जनता की, जिसके साथ देशभक्ति के नाम पर दुकान चलाने वालों ने गद्दारी की और बिना ऑक्सीजन के उसे मरता छोड़ दिया.
राष्ट्रवाद कहां है ? वह अपने लोगों को अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं दिला पा रहा है. एंबुलेंस नहीं दिला पा रहा है. श्मशान में लकड़ी का रेट बढ़ गया है. लोग अपनों को लेकर चीख रहे हैं. चिल्ला रहे हैं. हिन्दुस्तान का यह संकट वैज्ञानिक रास्तों को छोड़ जनता को मूर्ख बनाने और समझने के अहंकार का संकट है. जनता कीमत चुका रही है. इस हाल में आप खुद को विश्व गुरु कहलाने का दंभ भरते हैं ? शर्म नहीं आती है ?
इस बीच आईटी सेल सक्रिय हो गया है. गुजरात में लोग मर रहे हैं, उस पर वह शर्मिंदा नहीं है लेकिन मैसेज घुमाया जा रहा है कि महाराष्ट्र में भी तो लोग मर रहे हैं. क्या वहां लाशों की रिकार्डिंग करते वक्त फोन की बैटरी खत्म हो जाती है ? ये वाला मैसेज आप तक पहुंचा होगा. आपकी मर्ज़ी. आप खुशी-खुशी इसकी चपेट में रहें. नोटबंदी के समय कैसा भयावह मंज़र था, जब आम लोगों के गुल्लक तक से पैसे उड़ गए, उसी तरह का दौर इस वक्त गुज़र रहा है. आम लोगों की सांसें उखड़ जा रही हैंं. फ्राड नेताओ ने ऑक्सीजन का इंतज़ाम नहीं किया और लोग मर गए. वो कल फिर महान बन जाएंगे. धर्म का मुद्दा कम तो है नहीं. कहीं कोई मस्जिद कहीं कोई मंदिर का मसला आ जाएगा और वे आपके रक्षक बन कर आ जाएंगे लेकिन जब आक्सीजन देकर रक्षा करने की बात आएगी तो भाग जाएंगे. कोई व्यवस्थित लोकतंत्र होता तो आपराधिक मुकदमा चलाया जाता सरकार पर ! पर ख़ैर, आप व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी में वो जो मुगली घुट्टी पिला रहे हैं पीते रहिए.
इस दौर में आप हिम्मत मत हारिए लेकिन झूठी उम्मीद भी मत रखिए. आपके साथ क्रूरता हुई है. आपको पहले धर्म का नशा दिया गया, फिर आपकी पीठ में छुरा मारा गया. फ्राड लोगों का गिरोह दलील दे रहा है कि आधी आबादी बीमार पड़ जाए तो कोई भी अस्पताल फेल हो जाए. मूर्खों ने यह नहीं बताआ कि तुमने कितने अस्पताल बनाए हैं, कितने वेंटिलेटर लगाए हैं, तुमने कितने टेस्टिंग सेंटर बनाए हैं ? पत्रकार पूछते रहे कि पीएम केयर फंड का पैसा कहां गया, मगर अहंकार सातवें आसमान पर है. जवाब देने की ज़रूरत भी नहीं, जाने दीजिए.
इस वक़्त सारा प्रयास लाशों को हेडलाइन से हटाने का हो रहा है. गोदी मीडिया सक्रिय हो जाएगा. एक दो दिन इंतज़ार कीजिए. जल्दी खबरें आ जाएंगी कि स्थिति नियंत्रण में आ गई है. फिर एक रिपोर्ट आएगी कि कैसे प्रधानमंत्री ने रात रात जागकर सब मैनेज किया. यहां पाइप लाइन डलवाई, वहां आक्सीजन भिजवाया. इस तरह श्मशान में अपनों को जला कर लौटे लोग अलग-थलग कर दिए जाएंगे. फिर से आप महान शासक के विश्व गुरु भारत में रहने लगेंगे. एक काम यह भी हो सकता है कि रामदेव की दवाई बेचने वाले डॉ हर्षवर्धन को बर्खास्त कर दिया जाए ताकि मोदी जी महान हो जाएं. बस ऐसी दो चार हेडलाइन की ज़रूरत है. हेडलाइन में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, ऑक्सीजन भले कुछ कम हो जाए.
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