Home गेस्ट ब्लॉग धर्म और राष्ट्रवाद का मतलब दलितों को मारना और पड़ोसी राष्ट्र से नफरत नहीं होना चाहिए

धर्म और राष्ट्रवाद का मतलब दलितों को मारना और पड़ोसी राष्ट्र से नफरत नहीं होना चाहिए

4 second read
0
0
834

धर्म और राष्ट्रवाद का मतलब दलितों को मारना और पड़ोसी राष्ट्र से नफरत नहीं होना चाहिए

हिमांशु कुमार, सामाजिक कार्यकर्त्ताहिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता

कई अफ्रीकी देशों में कबीले आपस में लड़ते हैं. भारतीय उनकी लड़ाई देख कर कहेंगे कि कैसे बेवकूफ लोग हैं. एक जैसी संस्कृति, एक जैसी प्रकृति, एक ही साथ हमेशा रहना है, फिर भी बेकार में लड़ रहे हैं. बिलकुल ठीक ही कहा आपने. सच यही है लेकिन अगर आप उनमें से किसी एक कबीले के सदस्य होते, क्या तब भी आप ऐसी बुद्धिमानी की बात कर पाते ?

क्या तब आप अपने कबीले के लोगों से कहते कि दुसरे कबीले वालों से प्यार करो और पिछली हत्याओं और नफरत को भूल जाओ. आप अगर ऐसा कहते तो आपके कबीले वाले आपको दुसरे कबीले का एजेंट बताते और हो सकता है कि आपकी हत्या भी कर दी जाती. लड़ने वाले मूर्खों को बुद्धिमानी की बातें समझ में नहीं आती हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच जो नफरत और खून खराबा होता है, उसे देख कर दूर मुल्क में बैठे लोग यही कहेंगे कि कैसे बेवकूफ लोग हैं ? एक जैसी संस्कृति, एक जैसी प्रकृति, एक ही साथ हमेशा रहना है, फिर भी बेकार में लड़ रहे हैं.

बिलकुल ठीक ही कहा दूर मुल्क के लोगों ने. सच यही है लेकिन अगर आप भारतीय हैं तो आप यह नहीं मानेंगे. आप पकिस्तान की गलतियों की लम्बी लिस्ट अपने दिमाग में से निकाल कर सुनानी शुरू कर देंगे और जो भी आपको नफरत भूलने और मिल कर रहने की सलाह देगा, आप उसे विदेशी एजेंट कहेंगे. इसी तरह बड़ी जाति के जो लोग दलितों की बस्तियां जलाते हैं और दलितों की हत्याएं करते हैं, वो भी अपने कारनामे को सही बताएंगे और आपको समझायेंगे की दलितों को मरना कितना जरूरी है. मजे की बात यह है कि इस तरह की मार-काट और नफरती बेवकूफी को हम लोग धर्म और राष्ट्रवाद कहते हैं लेकिन धर्म और राष्ट्रवाद का मतलब अपने गांव के दलितों को मारना और पड़ोसी राष्ट्र से नफरत नहीं होना चाहिए.

धर्म का अर्थ है इंसानी धर्म और देशप्रेम का मतलब है देश में रहने वाले सभी लोगों की फिक्र करना. आप अपने हालात से थोड़ा-सा ऊपर उठ कर सोचेंगे तो आपको सारी सच्चाई दिखाई दे जायेगी लेकिन अपने मजहबी कीचड में मूंह घुसाए रहोगे तो सच्चाई कभी नहीं देख पाओगे और जिन्दगी की खूबसूरती से महरूम रह कर आस-पास के लोगों से नफरत में पूरी उम्र गुजार दोगे.

Read Also –

सरहद के पार नफरतों के खिलाफ एक दीया
कमलेश तिवारी की हत्या : कट्टरतावादी हिन्दुत्व को शहीद की तलाश
बेशर्म मीडिया का सम्पूर्ण बहिष्कार ही एकमात्र विकल्प है
आस्ट्रेलिया का लड़ता मीडिया बनाम भारत का दब्बू मीडिया
सोशल एक्सपेरिमेंट प्रैंक : भारत-पाकिस्तान की आम आवाम

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…