हिमांशु कुमार, प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता
कई अफ्रीकी देशों में कबीले आपस में लड़ते हैं. भारतीय उनकी लड़ाई देख कर कहेंगे कि कैसे बेवकूफ लोग हैं. एक जैसी संस्कृति, एक जैसी प्रकृति, एक ही साथ हमेशा रहना है, फिर भी बेकार में लड़ रहे हैं. बिलकुल ठीक ही कहा आपने. सच यही है लेकिन अगर आप उनमें से किसी एक कबीले के सदस्य होते, क्या तब भी आप ऐसी बुद्धिमानी की बात कर पाते ?
क्या तब आप अपने कबीले के लोगों से कहते कि दुसरे कबीले वालों से प्यार करो और पिछली हत्याओं और नफरत को भूल जाओ. आप अगर ऐसा कहते तो आपके कबीले वाले आपको दुसरे कबीले का एजेंट बताते और हो सकता है कि आपकी हत्या भी कर दी जाती. लड़ने वाले मूर्खों को बुद्धिमानी की बातें समझ में नहीं आती हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच जो नफरत और खून खराबा होता है, उसे देख कर दूर मुल्क में बैठे लोग यही कहेंगे कि कैसे बेवकूफ लोग हैं ? एक जैसी संस्कृति, एक जैसी प्रकृति, एक ही साथ हमेशा रहना है, फिर भी बेकार में लड़ रहे हैं.
बिलकुल ठीक ही कहा दूर मुल्क के लोगों ने. सच यही है लेकिन अगर आप भारतीय हैं तो आप यह नहीं मानेंगे. आप पकिस्तान की गलतियों की लम्बी लिस्ट अपने दिमाग में से निकाल कर सुनानी शुरू कर देंगे और जो भी आपको नफरत भूलने और मिल कर रहने की सलाह देगा, आप उसे विदेशी एजेंट कहेंगे. इसी तरह बड़ी जाति के जो लोग दलितों की बस्तियां जलाते हैं और दलितों की हत्याएं करते हैं, वो भी अपने कारनामे को सही बताएंगे और आपको समझायेंगे की दलितों को मरना कितना जरूरी है. मजे की बात यह है कि इस तरह की मार-काट और नफरती बेवकूफी को हम लोग धर्म और राष्ट्रवाद कहते हैं लेकिन धर्म और राष्ट्रवाद का मतलब अपने गांव के दलितों को मारना और पड़ोसी राष्ट्र से नफरत नहीं होना चाहिए.
धर्म का अर्थ है इंसानी धर्म और देशप्रेम का मतलब है देश में रहने वाले सभी लोगों की फिक्र करना. आप अपने हालात से थोड़ा-सा ऊपर उठ कर सोचेंगे तो आपको सारी सच्चाई दिखाई दे जायेगी लेकिन अपने मजहबी कीचड में मूंह घुसाए रहोगे तो सच्चाई कभी नहीं देख पाओगे और जिन्दगी की खूबसूरती से महरूम रह कर आस-पास के लोगों से नफरत में पूरी उम्र गुजार दोगे.
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