कृष्ण कांत
अनपढ़ भक्त आजकल बताते घूम रहे हैं कि देश का बंटवारा गांधी और नेहरू ने कराया. ऐसा वे इसलिए फैला रहे हैं ताकि सावरकर का पाप ढंक सकें जिन्होंने सबसे पहले दो राष्ट्र का सिद्धांत गढ़ा. भारत के बंटवारे का विचार सबसे पहले विनायक दामोदर सावरकर ने दिया था.
1937 में हिंदू महासभा के अहमदाबाद सम्मेलन में सावरकर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ‘भारत में दो प्रतिद्वंदी राष्ट्र अगल-बगल रह रहे हैं. यह कतई नहीं माना जा सकता कि हिन्दुस्तान एकता में पिरोया हुआ राष्ट्र है. हिन्दुस्तान में मुख्यतः दो राष्ट्र हैं, हिंदू और मुसलमान.’
जब मोहम्मद अली जिन्ना ने दो-राष्ट्र सिद्धांत का हवाला देते हुए पाकिस्तान का प्रस्ताव पेश किया तो उन्होंने सावरकर के इसी कथन को आधार बनाया. जवाब में सावरकर ने यहां तक कह दिया कि ‘मुझे जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्धांत से कोई झगड़ा नहीं है. हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं.’
इसमें कोई शक नहीं कि भारत का बंटवारा सावरकर और जिन्ना का साझा षडयंत्र था. जिस समय महात्मा गांधी, सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू समेत सारी कांग्रेस कह रही थी कि भारत का विभाजन हमारी लाशों पर होगा, उस समय सावरकर जिन्ना का समर्थन कर रहे थे.
अंग्रेजों ने सावरकर को जेल से इसी शर्त पर छोड़ा था कि वे अंग्रेजों का साथ देंगे. सावरकर अंग्रेज सरकार से 60 रुपये महीने पेंशन लेते थे और बदले में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर कांग्रेस, महात्मा गांधी और देश के नायकों के खिलाफ षडयंत्र रचते थे.
सावरकर ने दो-राष्ट्र सिद्धांत पेश किया और जिन्ना ने इस पर अमल किया. लेकिन आजादी के बाद से लेकर आज तक आरएसएस देश के बंटवारे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार कहता है. यह विचारधारा ही अपने आप में कायर है. हरदम मुंह छुपाए फिरती है.
चलिए हम मान लेते हैं कि गांधी और नेहरू की गलती से देश का बंटवारा हुआ. सावरकर और तुम्हारे जिन्ना आबएजमजम में नहाए पाक पवित्र आदमी थे, लेकिन तुम उस बंटवारे और फिरकापरस्ती को आज क्यों कुरेद रहे हो ? अब तुम उसमें क्या करना चाहते हो ? पाकिस्तान की तरह धर्म पर आधारित हिंदू राष्ट्र बनाने के अलावा आरएसएस का क्या मकसद है ?
असली बात तो ये है कि आपको लोकतंत्र से दिक्कत है और आपका मकसद एक धार्मिक राष्ट्र बनाना है जो एक तानाशाह का गुलाम हो, जहां एक चौपट राजा अपनी अंधेरनगरी बसाये, लेकिन कायर लोग खुलकर कह नहीं पाते.