पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ
‘नज सिस्टम’ लागु करने के प्रथम चरण के रूप में CAA लाया गया, अगले चरण में NRC लागू होगी और उसके पश्चात 2022 तक ये नज सिस्टम लागु करने की मोदी सरकार की चरणबद्ध योजना है.
‘तर्कोsप्रतिष्ठः श्रुतयोविभिन्नानैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणं !’
मेरी उपरोक्त पंक्तियां मोदी सरकार के उस तर्क के संदर्भ में है, जिसमें मोदी सरकार भारत के समस्त नागरिकों पर ‘लिबर्टेरियन पैटर्नलिज्म’ के रूप में हम पर ‘नज’ सिस्टम लागु करना चाहती है. जो लोग अंग्रेजी भाषा जानते है या अंग्रेजी मुहावरों का इस्तमाल करते हैं वो इस लिबर्टेरियन पैटर्नलिज्म शब्द का मतलब अच्छे से समझ गये होंगे.
आप सोच रहे होंगे कि ये ‘नज’ क्या है ? तो आपको बता दूं कि ‘नज’ असल में रिचर्ड थेलर और कैस संसटीन के द्वारा लिखी गयी एक किताब है, जिसका पूरा नाम ‘नज : इम्प्रूविंग डिसीजन्स अवॉउट हेल्थ, वेल्थ एण्ड हैपीनेस’ है. और मोदीजी के किसी मुर्ख सलाहकार ने उन्हें सलाह दी कि जैसे इस किताब के आधार पर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने अपने ऑफिस में ‘नज यूनिट’ बनाई थी, जिसके सलाहकार रिचर्ड थेलर बनाये गये थे, उसी तरह से इस सिस्टम को भारत में भी लागु करना चाहिये. (जिनको ज्ञात नहीं उन्हें बता देता हूंं कि कैस संसटीन अमेरिकन राष्ट्रपति ओबामा के सूचना सलाहकार थे.)
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि ‘राजा कान के कच्चे होते हैं’, सो मोदी भी उस भक्त की चापलूस अदाओं पर दीवाने हो गये हैं और आने वाले समय में ‘नज’ सिस्टम को भारत में लागू करना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें ये समझाया गया है कि ये सिस्टम लिबर्टेरियन पैटर्नलिज्म तो हमारे भारत में प्राचीनकाल से चला आ रहा है और हम इसे पितृसत्ता कहते हैं. इन ‘गोरों’ (अंग्रेजों) ने फिर से हमारे ही प्राचीन ज्ञान को चुराकर किताब लिखी है अर्थात ये सिस्टम ठीक वैसे ही है जैसे कोई माता-पिता अपने बच्चे को आचार-विचार, करणीय-अकरणीय सिखाते हैं और इसी कारण लेखक ने किताब के कवर पेज पर दो हाथी (एक बड़ा एक छोटे बच्चे हाथी को जबरन अपनी सूंड से आगे ठेलते हुए) का चित्र छपवाया है !
हालांंकि मेरे नजरिये में तो ये सीधी-सीधी तानाशाही है क्योंकि केवल तर्कपूर्ण चिंतन को ही परमसत्य नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भी पूर्वाग्रह से मुक्त नहीं होता (इसी पंक्ति को सबसे उपरोक्त में संस्कृत भावार्थ में भी लिखा है, ताकि कोई ये न समझे कि मेरी समझ किसी तुर्रम खां समझदार से कम है).
मोदी सरकार भारत में साऊथ कोरिया, चाइना या किसी कट्टर इस्लामिक देश के सरिया कानून की तरह ऐसा सिस्टम लागू करना चाहती है, जो मनुवाद और हिंदुत्व का पोषण करता हो. (इसे सही से समझने के लिये कल वाली ब्रूनेई पर प्रकाशित किया गया लेख जरूर पढियेगा क्योंकि उसमे नज सिस्टम के सभी एंगल लिखे गये हैंं.) अर्थात, आप सरकार के हिसाब से ढाले जायेंगे और सरकार सिर्फ वही नियम बनायेगी जो बहुमत वाले कट्टर हिन्दुवादियों को पसंद होगा अर्थात हिंदुत्व का पोषण. इसीलिये इसे लागु करने के प्रथम चरण के रूप में CAA लाया गया, अगले चरण में NRC लागू होगी और उसके पश्चात 2022 तक ये नज सिस्टम लागु करने की मोदी सरकार की चरणबद्ध योजना है.
अतः ये सिस्टम सीधा-सीधा हमारे मूल अधिकारों पर हमला है क्योंकि ये हमसे हमारी अभिव्यक्ति की आज़ादी भी छिन लेगा. यही नहीं सरकार के खिलाफ बोलने/लिखने वाले अतिवादी या अराजक तत्व साबित किये जायेंगे और उन्हें देशद्रोही करार देकर बिना सुनवाई भीड़ के (अ)न्याय से सजा दी जायेगी. अर्थात, एक व्यक्ति जो स्वतंत्र इच्छा के सिद्धांत में विश्वास करता है और स्वतंत्रतापूर्वक रहना चाहता है, ये ‘नज सिस्टम’ उसकी स्वतंत्रता और नागरिक मूल अधिकारों को न सिर्फ सिमित करेगा बल्कि व्यवहार नीति को भी अवरुद्ध करेगा. अर्थात आप को कुछ भी बोलने/लिखने की आज़ादी नहीं होगी (जैसे चाइना या साऊथ कोरिया या किसी भी सरिया कानून वाले कट्टर इस्लामिक देश (ब्रूनेई इत्यादि) में नहीं होती).
मोदीजी इस ‘नज’ सिस्टम को लागू कर देश में एकरसता लाना चाहते हैं. मगर मैं उन्हें बताना चाहता हूंं कि एकरसता मृत्यु/गुलामी का प्रतीक होती है ‘साहेब’ क्योंकि सबका एक जैसा व्यवहार या आचार/विचार अंत की निशानी होती है, जबकि जीवन का प्रतीक ही विविधता है. पृथ्वी पर ये प्रकृति विविधताओं के कारण ही है, जबकि सूर्य की एकरसता हर समय उसे और पूरे ब्रह्माण्ड को जलाती है इसीलिये तो सूर्य पर न ही जीवन है और न ही शांति.
अतः एकरसता विकास नहीं विनाश का कारण होती है ! अगर आप ही की तरह नेहरू और गांंधी ने भी ऐसा सोचा होता तो ? उन्होंने भी आपकी तरह भारत को एकरस कर दिया होता तो ? तो आज न तो मोदीजी होते और न ही आरएसएस या बीजेपी होती. लेकिन ये गांंधी-नेहरू के विचारो की विविधता ही थी कि कांग्रेस के मंत्रिमंडल में डॉ. अम्बेडकर जैसे धुर विरोधी मंत्री बनाये गये.
ये भारत की विविधता ही है कि मोदी जैसा आरएसएस का सफाईकर्मी, आपातकाल में धर्म परिवर्तन कर सिख बनकर भेष बदलकर घूमने वाला मोदी, झूठ बोलकर आज पीएम जैसे सर्वोच्च पद की कुर्सी पर है ! इसीलिये हे निरंतर विदेश परिभ्रमण करने वाले नानाविध वस्त्र अलंकार धारणकर्ता आडंबर प्रधान मोदीजी, अपनी संघी मानसिकता में परिवर्तन कीजिये क्योंकि अगर कांग्रेस ने विविधता के बजाय एकरसता का प्रयोग किया होता अथवा ‘नज’ सिस्टम को लागू किया होता तो आज मोदीजी भी कांग्रेसी होते. मोदीजी की पूरी भक्त मण्डली भी कांग्रेसी होती बल्कि ये कहूं कि पूरा भारत ही सिर्फ कांग्रेसी होता !
सच कहूं तो नज सिस्टम लागु करना आपके लिये हे मोदीजी, अति दुष्कर कार्य साबित होने वाला है जबकि गांंधी-नेहरू के लिये तो ये करना बहुत आसान था. लेकिन उन्होंने विविधता का सम्मान किया और देश की विविधता को एकता की माला में पिरोया. अतः इस माला को तोड़ने की गुस्ताखी मत कीजिये !
अंत में बताना चाहता हूंं भारत के लोगों को, कि देख लिया अपने पितृवाद का परिणाम … ? जिस तरह आप अपने बच्चे के ऊपर अपनी मनमानी मानसिकता और आचार-विचार थोपकर उसका पोषण कर उसे अपने हिसाब से तैयार करते हैं, और ऐसा करके भी आप ये समझते हैं कि आप सही हैं, तो जान लीजिये कि ठीक इसी तरह मोदी सरकार भी इसे ‘लिबर्टेरियन पैटर्नलिज्म’ के के रूप में आपके साथ ऐसा ही करने वाली है !
अर्थात, अब मोदीजी भारतीय लोगों को राष्ट्रपिता बनकर सिखायेंगे कि भारतीय नागरिकों को क्या करना चाहिये और क्या नहीं करना चाहिये…! जैसे आप अपने बच्चों को अपने हिसाब से धर्म, पढ़ने-लिखने, काम करने, विवाह करने और बच्चे पैदा करने तक के हिसाब से पाबंद करते हैं, ठीक वैसे ही मोदीजी अब आप सब को पाबंद करेगी ! जैसे आप अपने बच्चों को अपने हिसाब से ढालने के लिये जबरदस्ती करते हैं, वैसे ही मोदीजी भी आपके साथ बिना आपकी इच्छा के जबरन वो सब करवायेगी जो आप करना नहीं चाहेंगे !
ज्ञात रहे आपके बच्चों ने तो आपकी वजह से इस स्थिति को भुगता है और न चाहते हुए भी बहुत कुछ बे-मन से ऐसा किया है, जो वो करना नहीं चाहते थे. मगर आपको अपने किये की सजा अब मिलेगी. अर्थात, एक है कहावत है न कि अपना किया यहीं भुगतना पड़ता है, सो जो आपने अपने बच्चों के साथ किया है, वही अब मोदीजी जल्दी ही आपकी जिन्ददगी में जबरन दखल देकर करेंगे अर्थात आपको अपने कर्मोंं की सजा मिलेगी ! इस संदर्भ में कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति कोविंद का एक ट्वीट जरूर याद कर लीजियेगा जिसमें उन्होंने इस संबंध में (जनसंख्या नियंत्रण बाबत) कठोर कानून लाने की सलाह दी है. और उनका वो ट्वीट इसी ‘नज सिस्टम’ का ही एक पूर्व अंग था !
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