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कोराना पूंजीवादी मुनाफाखोर सरकारों द्वारा प्रायोजित तो नहीं

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Ram Chandra Shuklaराम चन्द्र शुक्ल

भारत में कोरोना के नाम पर हकीकत में क्या हो रहा है इस विषय पर भी तथ्यात्मक पोस्ट की आवश्यकता है. इसने देश के शासकों का असली बर्बर चेहरा बेनकाब कर दिया है. गरीब मेहनतकश दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों से पैदल भाग रहे हैं तथा भूख और बीमारी से मर रहे हैं. अमीरों को वुहान सहित दुनिया के अन्य देशों से एयर लिफ्ट कराकर भारत लाया गया है. अब भी महाराष्ट्र गुजरात तथा राजस्थान सहित देश के विभिन्न शहरों में यूपी बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ तथा उत्तराखंड के लाखों मजदूर फंसे हुए हैं.

हरिद्वार व वाराणसी में फंसे गुजरातियों तथा मराठियों को लक्जरी बसों में बैठाकर गुजरात व महाराष्ट्र पहुंंचाया जा रहा है. कोटा में फंसे उत्तर प्रदेश के रईसजादों को सैकड़ों बसों से उत्तर प्रदेश लाकर उनके घर छोड़ा जा रहा है, दूसरी तरफ दिल्ली से पैदल चलकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार व झारखंड पहुंंचे मजदूरों व मेहनतकशों को अपने घरों में रहने देकर उनका तरह-तरह से उत्पीड़न किया जा रहा है. देश के मुसलमानों के खिलाफ कोरोना के बहाने नफ़रत फैलाई जा रही है. मानो कोरोना हवाई जहाज में विदेशों से आने वालों के माध्यम से नहीं बल्कि पूरे देश में मुसलमान ही उसके वाहक हैं तथा उसे फैला रहे हैं. यह सब क्या है क्या इस पर नही लिखा जाना चाहिए !एक झटके में करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी छीन कर उन्हे बेरोजगार बना दिया गया है.

मीडिया व अखबारों के माध्यम से कोरोना फैलने के डरावने आंकड़े जनता को दिखाये जा रहे हैं. सरकारें 10 रुुपया का फेस मास्क भी जनता को उपलब्ध नहीं करा रही हैं. गन्ना मिलों के शीरे से निकलने वाले एथेनाल से सेनेटाइजर बनता है. इस सेनेटाइजर को बनाकर शराब व बियर बनाने वाली कंपनियां अरबों-खरबों का मुनाफा कमा रही हैं जबकि कोरोना के नाम पर नये बने पी एम कोष में हजारों करोड़ की धनराशि जमा हो चुकी है तथा सरकारी कर्मचारियों के वेतन से कटौती की जा रही. मंहगाई भत्ते को जुलाई 2021 तक के लिए फ्रीज कर दिया गया है.

कोरोना से ज्यादा लोग उसके भय से मर रहे हैं. पहले से विभिन्न शारीरिक बीमारियों के शिकार लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है क्योंकि अधिकांश निजी अस्पताल बंद हैं तथा निजी तौर पर चिकित्सा सेवाएं देने वाले चिकित्सक अपनी क्लीनिक बंद कर घर बैठे हुए हैं. जैसा कि प्रचारित किया जा रहा है कि कोरोना एक लाइलाज बीमारी है, अगर यह लाइलाज है तो रोज सैकड़ों की संख्या में कोरोना पाजिटिव लोग निगेटिव होकर अस्पतालों से घर कैसे जा रहे हैं ??

इम्यूनिटी (प्रतिरोध शक्ति) की बात 1984 में अमेरिका व फ्रांस द्वारा प्रायोजित किये गये एड्स (जिसे वायरस जनित बताया गया था) के मामले में बताई गई थी. कहीं कोरोना भी तो एड्स की तरह दुनिया की आम जनता को डराने के लिए पूंजीवादी मुनाफाखोर सरकारों द्वारा प्रायोजित तो नहीं किया जा रहा है – इस तथ्य का तार्किक व तथ्यात्मक विश्लेषण बेहद जरूरी है.

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