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कॉनकॉर और जहाजरानी उद्योग के निजीकरण से देश की सुरक्षा को भी खतरा

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कॉनकॉर और जहाजरानी उद्योग के निजीकरण से देश की सुरक्षा को भी खतरा

गिरीश मालवीय

मोदी सरकार देश की पूरी लॉजिस्टिक चेन को निजी उद्योगपतियों को सौंप देना चाहती है. आपने देखा होगा कि पिछले पांंच सालों में अडानी और अम्बानी ने लॉजिस्टिक के क्षेत्र में अनेक कंपनियांं बनाई है और रेलवे ट्रैक के आस-पास बड़े-बड़े गोदामों का निर्माण किया है. लेकिन एक सरकारी कंपनी ऐसी है जो इस क्षेत्र में सारे निजी उद्योगपतियों की आंखों में कंकर की तरह चुभ रही है क्योंकि वह अकेली कंपनी 17 अन्य निजी कंपनियों से बाजार में प्रतिस्पर्धा करती है. और इस क्षेत्र में कुल व्यवसाय के 73 प्रतिशत हिस्से पर उसका कब्जा है.

हम बात कर रहे हैं ऑनलैंड कार्गो मूवर कॉनकॉर की, यानी कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की. बहुत शातिराना तरीके से मोदी सरकार ने इसमें में 30.9 फीसदी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. सरकार की कॉनकार में फिलहाल 54.80 फीसदी हिस्सेदारी हैै. कॉनकोर में सरकारी भागीदारी पचास प्रतिशत से नीचे चले जाने से इसका प्रबंधन अब निजी हाथों में चला जाएगा.

कॉनकोर इंडिया यानि कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंंडिया जिसे भारत सरकार के नवरत्न कंपनियों में सबसे मुनाफे की कंपनी माना जाता है, यह रेलवे से जुड़ा PSU है. इसका गठन 1988 में 83 करोड़ की लागत से कंपनी एक्ट के तहत हुआ था. आज इस कंपनी की नेट वैल्यू 32 हजार करोड़ है. इस कंपनी से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से 10 लाख लोग जुड़े हुए हैं.

दरअसल रेलवे लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए एक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) बनाने जा रहा है. इस डीएफसी के शुरु होने के बाद कॉनकॉर बहुमुखी विकास करेगी. तब यह करीब 4-5 गुना बड़ी कंपनी हो जाएगी. डीएफसी के अगले वर्ष तक चालू होने की घोषणा सरकारी तौर पर पहले ही की जा चुकी है. इसके बाद कॉनकोर की कुल बाजार पूंजी करीब एक लाख करोड़ से भी ज्यादा हो जाएगी और यह नवरत्न से महारत्न कंपनी बन जाएगी. इसलिए ही मोदीजी इसे ओने-पौने दामों पर बिकवा कर अपने मित्रों की सहायता कर रहे हैं.

कॉनकोर का देश के लॉजिस्टिक क्षेत्र में लगभग 72 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. इसके कुल 83 टर्मिनल है जो देश भर में अलग-अलग स्थानों पर है. 43 टर्मिनल रेलवे की जमीन पर हैं, जिनकी अनुमानित लागत 25 हजार करोड़ रुपए है. भारत में केवल कॉनकॉर ही सामुद्रिक व्यापारियों को रेल मार्ग से कंटेनरीकृत कार्गों हेतु यातायात मुहैया कराता है इसलिए किसी भी कीमत पर अडानी-अम्बानी जैसे उद्योगपति इसे खरीदने पर आतुर है.

कॉनकोर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ी है. करंसी नोट, परमाणु ईंधन और रक्षा संबंधी संवेदनशील सामग्री के परिवहन का दायित्व भी कॉनकोर उठाता है. ऐसे में इस कंपनी का निजीकरण देश की सुरक्षा को भी खतरे में डाल देगा. जब से रेलवे के निजीकरण की बात शुरू हुई है और निजी कंपनियों को ट्रेन चलाने का लाइसेंस मिला है, तब से कॉनकॉर को खरीदना अडानी-अम्बानी जैसे बड़े उद्योगपतियों की पहली प्राथमिकता बन गयी है.

यह मैं पहले भी बता चुका हूं कि मोदी सरकार शेखचिल्ली की तरह मुर्गी की जान निकाल कर सारे अंडे एक साथ पाना चाहती है. मोदी सरकार पुरखों की कमाई को एक साथ ही निपटा देना चाहती है. कॉनकॉर का बिकना लॉजिस्टिक के क्षेत्र में निजी कंपनियों का एकाधिकार स्थापित कर देगा.

मोदी सरकार अब अपने जहाजरानी उद्योग को भी बेचने जा रही है. शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में मोदी सरकार अपनी 63.75 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेच रही है. सरकार ने इसके लिए प्राइवेट कंपनियों और निवेशकों से बोली मंगाई है. अब यहांं एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता है वो यह है कि शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के जहाजों पर ऑफिशियल रूप से तिरंगा लहराता है, जो प्राइवेट कम्पनी शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को खरीदेगी, क्या उसे भी उसके जहाजों पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने का अधिकार होगा ? मोदी सरकार क्या शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के साथ भारत का तिरंगा भी बेच रही है ?

‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ कहने वालों की हकीकत जान लीजिए. अंतरराष्‍ट्रीय निशानेबाज वर्तिका सिंह ने केंद्रीय मंत्री और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी और उनके निजी सचिव समेत तीन लोगों पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है.

वर्तिका का आरोप है कि केंद्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाने के नाम पर उनसे 25 लाख रुपये की डिमांड की गई. वर्तिका के वकील ने कोर्ट में स्‍मृति के करीबी द्वारा की गई अश्‍लील चैटिंग के प्रमाण भी पेश किए हैं. पूरा मामला कोर्ट में फाइल हुआ है. अदालत इस पर दो जनवरी, 2021 को सुनवाई करेगी.

वर्तिका सिंह का आरोप है कि स्मृति ईरानी की शह पर उनके करीबियों ने उन्‍हें केंद्रीय महिला आयोग का सदस्य बनाने का ऑफर दिया. पहले बड़ी-बड़ी बातें कर अंतरराष्‍ट्रीय शूटर को गुमराह किया गया, फिर पद पर बिठाने का एक करोड़ रुपये रेट बताया गया. इसके बाद अच्‍छी प्रोफाइल होने की बात कहकर वर्तिका से 25 लाख रुपये की डिमांड हुई. यही नहीं, वर्तिका का आरोप है कि स्मृति के करीबी ने उनसे एक सोशल साइट पर अश्‍लील बातें भी की है.

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One Comment

  1. हरिचरण नकवाल

    December 24, 2020 at 11:49 am

    खबर / लेखों पर दिनांक अंकित हो तो पाठकों को सुविधा होगी

    Reply

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