फिल्मों में काॅमेडियन का एक अहम् किरदार होता है, जिसको दिया ही इसलिए जाता है कि आम दर्शकों को जब फिल्म की गंभीरता उबाने लगे तब एक काॅमेडियन अपने अजीबोगरीब करतबों और बेेेसिरपैर की बातेें कर आम दर्शकों का मनोरंजन करता है. सबसे महत्वपूर्ण बात इन काॅमेडियन के साथ यह लागू होता है कि इसके बातों का मनोरंजन के अतिरिक्त और कोई महत्व नहीं होता.
ठीक इसी तर्ज पर राजनीति में भी काॅमेडियनों का आयात हुआ है, जिसका सबसे बड़ा जीता-जागता नमूना हमारे देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. ये खुद कहते हैं कि हमारी बातों को गंभीरता से मत लीजिए, इसका कोई मूल्य नहीं है, बातें यूं ही कह दी जाती है. अर्थात् सिगरेट पर लिखे वैधानिक चेतावनी के तर्ज पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषणों के आगे लिख दिया जाता है कि वैधानिक चेतावनी: मोदी के वादों को मनोरंजन की दृष्टि से देखे, इनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है. मोदी सरकार के वादों पर भरोसा करने वाले लोग अपनी दशा और दुर्दशा के लिए स्वयं जिम्मेदार होंगे.
पिछले चार साल से देश की जनता का मनोरंजन करते आ रहे कमेडियन मोदी अपना मूंह तभी खोलते हैं जब देश में चुनाव हो अथवा विदेश में हो. आईये उनके कुछ कॉमेडी डायलॉग सुनते हैंः
लाखों का सूट-बूट पहनकर, काजू के आटा की रोटी और ₹700 लीटर बोतलबंद पानी पीकर कहते हैंं कि “मैं फकीर हूं.”
सीबीआई, एन. आइ. ए., पुलिस, ईडी, राष्ट्रपति, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, रिजर्व बैंक आदि जैसी एजेंसियां मोदी के हाथों की कठपुतली होने के वाबजूद कह रहे हैंं कि “मुझे सताया जा रहा है.”
संसद मेंं पूर्ण बहुमत और 20 से ज्यादा राज्यों में सरकार होने के बाद भी मोदी कहते हैं, “मुझे काम नहीं करने दिया जा रहा है.”
भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल मे रह चुके लोगों को मोदी टिकट देते हैं और फिर उसके लिए चुनाव प्रचार करते हैं, फिर कहते हैं, “मै भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं.”
मोदी के शासनकाल में सबसे ज्यादा हमारे सैनिक शहीद और अपमानित हुए हैं फिर भी मोदी कहते हैं, “दुश्मन हमसे कांप रहा है.”
मोदी के राज में सबसे ज्यादा किसानों ने कर्ज और तंगहाली के कारण आत्महत्या किये हैं फिर भी वह कहते हैं कि “हमने किसानों की आय दुगुना कर दी है.”
मोदी ग्रेजुएट, इंजीनियरिंग, एमबीए की डिग्री हासिल किये बेरोजगार युवाओं को “पकौड़ा तलने को रोजगार” कहते हैंं.
मोदी के शासनकाल में देश भर में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा घृणित बलात्कार और बर्बर हत्यायें हो रही हैं और आरोपियों को विभिन्न पदों से न केवल पुरस्कृत ही करते हैं वरन् उसके बचाव में जुलूस, धरने होते हैं, वह मोदी कहते हैं, “हम बेटी बचाओ अभियान चला रहे हैं.”
मोदी सुंदर भविष्य का सपना दिखाकर सत्ता में आये और चार सौ साल पहले के भूतकाल मे देश को घुमा रहे हैं.
विदेशी बैंकों में जमा काले धन को लाने और हर एक के अकाउंट में 15 लाख रुपए डालने का वादा करने वाले मोदी के शासनकाल में देश के बैंकों से लाखों करोड़ सफेद रुपए तकरीबन 2300 उद्योगपति लेकर विदेश चले गये और मोदी देश को अच्छे दिन का सपना दिखा रहे हैंं.
नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में बता चुके हैं कि उन्हें गधे से प्रेरणा मिलती है और गालियों से ऊर्जा. ऐसे में उनका कहना कि मोधुल कुत्ते से देशभक्ति सीखनी चाहिए, उन्होंने एक झटके में देशभक्तों को कुत्ता बता दिया. मोदी की भाषण का स्तर जहां दिनों-दिन गिरता जा रहा है, वहीं उनके लिए जनसमस्या कोई मायने नहीं रखता है इसलिए अब वह पूरी तरह काॅमेडियन के बतौर उभर के सामने आये हैं, जिसका एक मात्र उद्देश्य विभिन्न करतब दिखाकर लोगों का मनोरंजन करना भर है. वह हमेशा एक छद्म काल्पनिक दुनिया में सैर करते रहते हैं और लोगों को भी उसी काल्पनिक दुनिया में ले जाना चाहते हैं.
अब उन्होंने खुद को राम की तरह पेश कर अयोध्या के तमाम निवासियों की तरह तमाम देशवासियों को भी आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं. कहना नहीं होगा अयोध्यावासी राम के साथ ही सरयू में जल-समाधि लेकर आत्महत्या कर लिया था. देश में किसानों, नौजवानों की बढ़ती आत्महत्या की दरें संभवतः मोदी के इसी मोधुल कुत्ते सरीखी देशभक्ति देश को आत्महत्याओं के नये दौर में लेकर जायेगा.
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