Home ब्लॉग छत्तीसगढ़ : पोटाली गांव में सुरक्षा बलों का आदिवासियों के खिलाफ तांडव

छत्तीसगढ़ : पोटाली गांव में सुरक्षा बलों का आदिवासियों के खिलाफ तांडव

3 second read
0
0
721

छत्तीसगढ़ : पोटाली गांव में सुरक्षा बलों का आदिवासियों के खिलाफ तांडव

सारकेगुडा में 17 आम गरीब आदिवासियों को एक ही रात में हत्यारी पुलिस ने गोलियों और कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था, और इसे फर्जी मुठभेड़ बता कर मारे गये गरीब आदिवासियों को नक्सली बताया गया. अब उसकी जांच रिपोर्ट आई है, जिसने साफ तौर पर बता दिया है कि यह ठंढे दिमाग से आम गरीब आदिवासियों का ‘सुरक्षा बलों’ द्वारा किया गया नरसंहार था. अब एक बार फिर छत्तीसगढ़ के पोटाली गांव में सुरक्षा बलों ने अंबानी-अदानी की सेवा करने और आदिवासियों पर कोहराम मचाने के लिए पुलिस कैम्प स्थापित किया है, जिसका वहां के ग्रामीण भारी विरोध कर रहे थे. बावजूद इसके अब वहां पुलिस कैम्प स्थापित कर दिया गया है, जिसका दुष्परिणाम सामने आना शुरू हो गया है.

प्रसद्धि गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार आदिवासियों के बीच जा कर समस्याओं को जानने और उसका प्रतिरोध करने जा रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बात का ऐलान किया है. हम देश की तमाम आवाम से यह अपील करना चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के गरीब आदिवासियों पर सरकार और सुरक्षा बलों के द्वारा आतंक का कारोबार नहीं चलने दिया जाना चाहिए. हम अंबानी-अदानी की मुनाफों के लिए देश के आदिवासी समुदायों को इस तरह मारने नहीं दे सकते हैं. हम यह ऐलान करना चाहते हैं कि हम तमाम देशवासी आदिवासी समुदायों के साथ हैं और उनके इस पीड़ा की घड़ी में छत्तीसगढ़ जा रहे प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार के साथ हैं.

हिमांशु कुमार लिखते हैं – ‘छत्तीसगढ़ के पोटाली गांव में पुलिस ने अपना कैंप स्थापित कर लिया है. आदिवासियों ने विरोध किया तो उन पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया था. अब पुलिस और सुरक्षा बल आदिवासियों को खेतों में नहीं जाने दे रहे हैं. आदिवासियों का धान झड़ रहा है, जो आदिवासी खेतों में धान काटने जाते हैं या उसकी गहाई करने जाते हैं, सुरक्षा बल जाकर उनको बुरी तरह पीट रहे हैं.

‘एक आदिवासी महिला को इतना मारा है कि वे चल फिर नहीं पा रही है. 3 दिन से आदिवासी धरने पर बैठे हुए हैं. इस बीच गांव के कई आदिवासी युवाओं को पुलिस वाले पकड़ कर जेलों में बंद कर चुकी है. मकसद है अडानी को जमीने सौंपना ताकि अडानी जंगल काटकर वहां से लोहा खोदकर अपनी तिजोरी भर सके. बीच-बीच में चुपचाप कितने आदिवासियों पर अत्याचार होते हैं, वह तो भारत के शहरी पढ़े लिखे मध्य वर्ग को पता ही नहीं चलता.

‘छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए तुरंत इन आदिवासियों की बात सुने और उन्हें इस अत्याचार से मुक्ति दिलाए वरना आंदोलन और उग्र होगा. अब ना तो आदिवासी पहले की तरह चुपचाप मरने के लिए तैयार है और ना ही अब भारत की जनता उन्हें इस तरह से मरने देगी. छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले के पोटाली गांव में नए खुले सुरक्षा बलों के कैंप के सिपाहियों ने जाकर आदिवासियों की धान की फसल जला दी है. यह सलवा जुडूम की वापसी है. या क्रूरता का चरम है तानाशाही का नंगा नाच है.

‘मैं आदिवासियों से मिलने जा रहा हूं. मुझे जेल में डाला जा सकता है. या सुरक्षा बलों द्वारा मेरी हत्या की जा सकती है. मैं तैयार हूं.’

Read Also –

गरीब आदिवासियों को नक्सली के नाम पर हत्या करती बेशर्म सरकार और पुलिस
मानवाधिकार कार्यकर्ता : लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी के खिलाफ दुश्प्रचार
छत्तीसगढ़ : आदिवासी युवाओं को फर्जी मुठभेड़ में मारने की कोशिश का विरोध करें
‘भारतीय पुलिस गुंडों का सबसे संगठित गिरोह है’

[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

मीडिया की साख और थ्योरी ऑफ एजेंडा सेटिंग

पिछले तीन दिनों से अखबार और टीवी न्यूज चैनल लगातार केवल और केवल सचिन राग आलाप रहे हैं. ऐसा…