ठुल्लों की शह पर जब गौ-आतंकियों ने अख़लाक़, पहलू और दूसरों को मारा तो ठुल्ले साक्ष्य गायब कर रोड-रेज के मुक़दमे दर्ज करते रहे. अब गौ-आतंकियों का हाथ हत्याओं की शह देने वाले और उनको कानून व सज़ा से बचाने वाली ठुल्ली पुलिस के गिरेबान तक भी पहुंच गया है. जब बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से होंगे !
पूरे यूरोप में मेरे काफी दोस्त हैं. बोल रहे हैं तुमलोगों ने ऐसा जाहिल, आपराधिक मानसिकता का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री चुना कैसे ? हमारे देश मे होता तो जेल में होता. भारत की छवि मॉब-लींचिंग की बन चुकी है.
गिरीश मालवीय : कल बुलंदशहर में जो लोहमर्षक घटनाक्रम सामने आया है, उसके लिए मोब-लिंचिंग बड़ा सॉफ्ट सा शब्द लग रहा है. अब भीड़ किसी मुसलमान दलित को निशाना नहीं बना रही है. अब उसके हाथ इन्स्पेक्टर रैंक के अधिकारियों तक पुहंच गए हैं.
सारा घटनाक्रम सिर्फ दो घण्टे में ही निपट गया. साफ है कि गोकशी की अफवाह फैलाकर रास्ता जाम करने की बात इसलिए ही फैलाई गयी ताकि दादरी के अखलाक कांड की जांच करने वाले सुबोध सिंह जाम खुलवाने के लिए आए. बताया जा रहा है कि जांच का आश्वासन देकर जाम खुलवा भी दिया गया था लेकिन उसके बाद भीड़ को समझाने गए सुबोध सिंह को घेरकर मार डाला गया क्यांकि सुबोध सिंह वही अधिकारी थे, जिन्होंने अखलाक केस में कई लोगों की गिरफ्तारी की थी.
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने भी यह माना. उन्होंने कहा कि ’यह साफ किया जाता है कि सुबोध कुमार सिंह, अखलाक मॉब-लिंचिंग केस के 28 सितंबर 2015 से लेकर 9 नवंबर 2015 तक जांच अधिकारी थे. अखलाक को दादरी के बिसहारा गांव में भीड़ ने इस अफवाह पर पीट-पीटकर मारा डाला कि उसके परिवारवालों ने गो-मांस रखा था. केस में सुबोध सिंह पर आरोप लगा था कि जांच प्रक्रिया के दौरान उन्होंने पारदर्शिता नहीं रखी थी. इन आरोपों के कारण ही उनका ट्रांसफर केस के बीच में ही वाराणसी कर दिया गया था.
रात तक यह भी साफ हो गया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत गोली लगने से हुई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार सुबोध सिंह को बांयी आंख की भौं के पास गोली लगी. जबकि पहले पुलिस भीड़ के द्वारा पिटाई के दौरान मौत की बात कर रही थी. सुबोध सिंह के ड्राइवर ने जो बयान दिए हैं उससे यह साफ हो जाता है कि भीड़ का उद्देश्य ही सुबोध सिंह की हत्या करना था. सुबोध सिंह के बड़े बेटे ने भी साफ कर दिया कि एक विवादित केस की जांच में उन पर दबाव बनाया जा रहा था और उसी केस में उन्हें धमकाया भी जा रहा था.
इस घटना को देखते हुए यह कहना ही होगा कि योगी सरकार के शासन को जंगल राज कहना भी जंगल की बेइज्जती होगी, यह सिर्फ और सिर्फ अराजकता है.
फरीदी अल हसन तनवीर : ठुल्लों की शह पर जब गौ-आतंकियों ने अख़लाक़, पहलू और दूसरों को मारा तो ठुल्ले साक्ष्य गायब कर रोड-रेज के मुक़दमे दर्ज करते रहे. अब गौ-आतंकियों का हाथ हत्याओं की शह देने वाले और उनको कानून व सज़ा से बचाने वाली ठुल्ली पुलिस के गिरेबान तक भी पहुंच गया है. जब बोए पेड़ बबूल के तो आम कहां से होंगे !
और हां, ज़्यादा चिंता मत कीजिये. दरोगा जी की पत्नी को, परिवार को योगी जी लखनऊ की कल्पना तिवारिन जैसा ही ’ऑफर’ दे देंगे. दरोगा जी की पत्नि भी तिवारी की पत्नी की तरह योगी जी के ’ऑफर’ को ठुकरा नहीं पाएंगी. कल अगर स्वर्गीय दरोगा जी का परिवार मोदी, योगी, भाजपा और सरकार का शुक्रिया अदा करते, उनमें और ज़्यादा विश्वास बढ़ जाने की बाईट देता टीवी पर नज़र आ जाये, जिसकी बड़ी तगड़ी आशंका भी है, तो आश्चर्य मत कीजियेगा ! देश में माफिया सिनेमा ’गॉडफादर’ चल रही है.
कृष्णनायर : पूरे यूरोप में मेरे काफी दोस्त हैं. बोल रहे हैं तुमलोगों ने ऐसा जाहिल, आपराधिक मानसिकता का प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री चुना कैसे ? हमारे देश मे होता तो जेल में होता. भारत की छवि मॉब-लींचिंग की बन चुकी है.
1. हिन्दू आतंकी नहीं है पर गाय कट्टर हिन्दू है. गाय आतंकी भी है और हत्यारी भी. और मोदी-योगी-फडणवीस है बीफ व्यापारी.
2. 2018 में उत्तरप्रदेश से 2667 टन और महाराष्ट्र से 1491 टन बीफ पाकिस्तान में एक्सपोर्ट किया गया. ये पाकिस्तान में कुल बीफ एक्सपोर्ट का 90% है. एक्सपोर्टर के नाम बता दो योगी.
3. अमेरिका का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल आतंकी संगठन है. नागरिकों की जान को किसी भी आतंकी संगठन से रक्षा करना जरूरी है.
4. गाय मां, गंगा मां, नर्मदा मां, यमुना मां … बस बाप का नाम नहीं बताना है. बोले कि मेरा बाप साधारण इंसान था. साधारण इंसान तो गोडसे और चार्ल्स शोभराज भी थे … पर फ्रॉड और हत्यारे थे.
5. बाप साधारण कैसे था ? तेरे मां की बर्तन धोने की कमाई पर जिंदा था ? यानी बेगैरत इंसान था. और तू उस बेगैरत इंसान की औलाद बुलंदशहर का खून पी कर जिंदा है.
6. “हिन्दू पाकिस्तान“ शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी ने किया था. आज “हिन्दू तालिबान“, “हिन्दू आतंकवाद“ शब्दां से परहेज क्यों ? बुलंदशहर में आतंकी हमला ही तो हुआ है.
7. उत्तरप्रदेश को चार अलग प्रदेश बना दिया जाय. विधानसभा में सर्वसम्मति से ये प्रस्ताव पारित हो चुका है. इतने बड़े प्रदेश की अब कोई जरूरत नही है. 22 करोड़ जनसंख्या पूरे यूरोप की जनसंख्या का 70% है.
8. चाय आतंकी, गाय आतंकी, तेरी सोच आतंकी, तेरे पुरखे आतंकी, तेरी विचारधारा आतंकी और तेरा जन्म भी आतंक की कोख से. धिक्कार है तेरी मां की कोख पर.
मेरे मम्मी के मामा जी 88 साल के है. आज भी मामा जी नेहरुजी स्टाइल की शेरवानी पहनते हैं और उस पर गुलाब होता है. “गुलाब के कांटो“ को “हथियार“ बना लीजिए. घुट-घुट कर जियो या आतंक का गला घोंट दो और खुल कर जियो.
अपने हक की आवाज़ उठावो. डरो मत.
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