भाजपा और बलात्कारी विधायक सेंगर
उन्नाव बलात्कार कांड पर पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में मोदी सरकार के केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भाजपा नेताओं के द्वारा बलात्कार का समर्थन करते हुए साफ तौर पर कहा है कि ‘‘भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है, अगर दो-चार बलात्कार कांड कार्यकत्र्ता, नेता, विधायक कर ही दिये तो इसमें कोई बुराई नहीं है.’’ वहीं भाजपा की सांसद किरण खेर कहती हैं कि ‘‘बलात्कार तो सदियों से हो रहा है, ये संस्कृति का हिस्सा है, इसे हम रोक नहीं सकते.’’ केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि ‘‘बलात्कार छोटी घटना है.’’
भाजपा हिन्दुत्व के नाम पर भारत में ब्राह्मणवादी संस्कृति का संरक्षण होने का दावा करता है और उसका यह दावा बहुत हद तक सही भी है. भारत में ब्राह्मणवादी हिन्दु संस्कृति का साफ मानना है कि महिला और दलित मार खाकर ही सीधा रहते हैं, इसकी उद्घोषणा भाजपा नेता पुरूषोत्तम रूपाला करते रहते हैं. मोदी सरकार में मंत्री वी. के. सिंह का साफ मानना है ‘‘दलित कुत्ता के तुल्य हैं.’’ महाकवि तुलसी दास ने भी इसकी घोषणा अपने महाकाव्य में किया है. ऐसे में यह साफ है कि हिन्दु ब्राह्मणवादी संस्कृति में बलात्कार करना हिन्दु सवर्णों का जन्म सिद्ध अधिकार माना जाता है, जिसका विरोध करना हिन्दु धर्म का ही विरोध करना है.
मुस्लिम धर्मगुरू के विचारक जब भारत आये तो वे अपने धर्म के अनुसार मानवों को एक समान होने का अधिकार देने का विचार दिया, जिसके बाद हिन्दु सवर्णों के द्वारा प्रताड़ित दलितों के बहुत बड़े समूहों ने मुस्लिम धर्म को स्वीकार कर लिया. जिसकारण हिन्दु ब्राह्मणवादी सवर्णों की धमक थोड़ी कम हुई, पर उसका स्वर्ण काल छीन जाने का खतरा मंडराने लगा. अपने स्वर्ण काल – बलात्कार करने का अधिकार और दलितों को प्रताड़ित करने में आने वाला आनंद – के छीन जाने के खतरे से परेशान हिन्दु ब्राह्मणवादियों ने आतंक का एक नया हथियार बनाया, जिसमें उसने छोटी बच्चियों को अपना शिकार बनाना शुरू किया.
आज छोटी बच्चियों के साथ नृशंसता की हद तक बलात्कार करने की जो होड़ लगी हुई है, जिसका कारण विरोधी समूहों को डराना और अपनी सवर्ण ब्राह्मणवादी संस्कृति – बलात्कार करने का अधिकार और दलितों को प्रताड़ित करने में आने वाला आनंद – को पुर्नस्थापित करने की मांग है. यही कारण है कि पहले तो भाजपा टुकड़े-टुकड़े में बलात्कार के समर्थन में अपने बयान जारी करती थी, पर अब वह खुलेआम नृशंस बलात्कार के पक्ष में धरने-प्रदर्शन-जुलूस आदि निकाल रही है.
भारत की संविधान द्वारा दलितों और महिलाओं दी गई समानता के अधिकार सवर्ण हिन्दु ब्राह्मणवादियों को स्वीकार नहीं है इसलिए भाजपा और उसकी मातृ संस्था आर.एस.एस. शुरूआत से ही भारत के संविधान का विरोध कर रही है. आज जब भाजपा को केन्द्र की सत्ता सहित भारत के अधिकांश राज्यों में सत्ता अधिग्रहित कर ली है, तब वह भारत में एक बार फिर सवर्ण हिन्दु ब्राह्मणवादियों के स्वर्ण काल – बलात्कार करने का अधिकार और दलितों को प्रताड़ित करने में आने वाला आनंद – को पुर्नस्थापित करने के प्रयास में जुट गई है, और दलितों-महिलाओं को संरक्षण देने वाली भारत के इस संविधान को बदल डालने पर उतारू हो गई है.
बलात्कार के विरुद्ध प्रतिरोध और जय श्री राम
यही कारण है कि आज भाजपा के नेता, कार्यकर्ता, विधायक, सांसद खुलकर ने केवल संविधान के खिलाफ ही बोल रहे हैं वरन् हर उस संवैधानिक संस्था को खत्म कर रही है जो उसके स्वर्ण काल के पुर्नस्थापन में बाधा बनती नजर आती है. राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक, पुलिस-प्रशासन आदि को लगभग सभी को निष्प्रभावी बना दिया है. अभी उसके सामने विरोध के सबसे प्रबल दुर्ग के रूप में देश की विशाल लोकतांत्रिक जनता आ रही है, जिसके लिए वह झूठे वादे और सपने दिखाने का प्रयास कर रही है. पर उसकी दिक्कत यह है कि उसके हर झूठे वादे और सुनहले सपने की पोल हर दिन खुलती जा रही है, जिससे निपटने के लिए भाजपा अब जनता के लोकतांत्रिक चेतना को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, इसके लिए लगातार प्रचार-कुप्रचार का दौर चला रही है. जय श्री राम की आस्था और भारत माता की जय के नारे अब लोगोंं को डराने लगे हैं.
मुस्लिमों के साथ भाजपा का विरोध केवल इस बात के लिए है कि सवर्ण हिन्दु ब्राह्मणवादियों से प्रताड़ित होने समूह प्रताड़ना से बचने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लेता है, और सुरक्षित हो जाता है. जिस कारण सवर्ण हिन्दु ब्राह्मणवादी आनंद से वंचित हो जाता है. अगर मुस्लिम धर्म आगे से किसी भी प्रताड़ित हिन्दु को अपने धर्म में न आने देने की गारंटी कर दें तो निश्चित रूप से भाजपा को मुस्लिम धर्म से कोई वैर नहीं रह जायेगा और वह भातृ तुल्य हो जायेगा.
अब देश की जनता को जानना और समझना है कि वह भाजपा के इस स्वर्ण युग – बलात्कार करने का अधिकार और दलितों को प्रताड़ित करने में आने वाला आनंद – की पुर्नवापसी के लिए वह तैयार होती है अथवा नहीं. अपनी बच्चियों को इन सवर्ण ब्राह्मणवादियों के शिकार के लिए भेजती है या नहीं, अपनी पीठ इन सवर्ण ब्राह्मणवादियों की लाठियां खाने के लिए झुकाती है या नहीं, अपने कान में शिक्षा का मंत्र सुन लेने मात्र के अपराध के लिए पिघला सीसा डलवाने को सहज होती है या नहीं, शिक्षा का स्वर उच्चारित करने के अपराध के लिए अपनी जिह्वा कटवाने के लिए तैयार होती है या नहीं. इस देश की आम दलित-आदिवासी-महिलाओं को यह सब तय करना है वरना उन्हें तिल-तिल मरने या मारे जाने के लिए भाजपा के गुंडों के हाथों तैयार रहना चाहिए. भाजपा नेता पुरूषोत्तम रूपाला तो साफ कर ही चुके हैं कि ‘महिला और दलित मार खाकर ही सीधा रहता है.’
Real Also –
भाजपा का हाथ बलात्कारियों के साथ
एस.सी., एस.टी. के खिलाफ वह अपराध जिसे करने की अब खुली छूट दी केंद्र की भाजपा सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने
दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ सुनियोजित साजिश कर रही है भाजपा
S. Chatterjee
April 22, 2018 at 8:09 am
हारता हुआ पूँजीवाद अपना अंतिम निशाना औरतों और बच्चों को बनाता है। तिसपर संघ की ब्राह्मणवादी सोच के लिए तो भारतीय इतिहास और धर्मग्रंथ जैसी उर्वरा मिट्टी उपलब्ध है।