अरविंद केजरीवाल ने पुल का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘चार दिन पहले 182 मीटर की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन किया गया था और आज 154 मीटर ऊंचे पुल का उद्घाटन किया जा रहा है. देश को इसका निर्णय करना है कि क्या उसे प्रतिमाओं और मंदिरों की जरूरत है या पुल, स्कूल और अस्पतालों की. सिग्नेचर ब्रिज का विचार उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद दिलाता है. यदि नेहरू ने भेल और सेल जैसे संस्थानों की बजाय मंदिरों और प्रतिमाओं के निर्माण का चयन किया होता तो देश ने प्रगति नहीं की होती. यदि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के ऊपर मंदिरों और मस्जिदों को तरजीह दी गई तो देश 15वीं सदी में पड़ा रहेगा.”
अरविन्द केजरीवाल का उपरोक्त बयान सीधे तौर पर देश को संबोधित करता है. देश की सत्ता पर विराजमान भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जो प्रधानमंत्री के बजाय आरएसएस का कैडर कहा जाना ज्यादा पसंद करते हैं, के चरित्र और चाल पर एक ऐसा ‘सग्नेचर’ है, जिसकी छाप सदियों तक उनके गाल को सहलाता रहेगा. नाम कमाने की मंशा से खुद को बादशाह की तरह रखना, ऊंगली उठाना, झूठा और फर्जी बकवास करना, दूसरों के किये गये कार्यों को अपना बतलाने के लिए होड़ लगाना आदि ऐसी कुकृत्य भाजपा और आरएसएस का पैदाईसी स्वभाव है. यह उन ब्राह्मणवादियों का भी संस्कार है, जो अपनी निजी स्वार्थ को साधने के लिए देश को विदेशियों के हाथों सदियों तक गुलाम बनाया.
भाजपा अपने होने वाले 5 साल के दौरान जनता के विकास के नाम पर एक भी कार्य गिनाने की स्थिति में नहीं है. इसके उलट वह देश को तबाह करने के लिए एक से बढ़कर एक कारनामे कर रहा है. देश की तमाम संस्थाओं सुप्रीम कोर्ट समेत को ढ़ाह देने की स्पष्ट मंशा के साथ काम कर रही भाजपा देश की 14 लाख करोड़ रूपये से अधिक का घोटाला कर चुकी है. यहां तक कि पटेल की मूर्ति बनाने के कारनामे में भी 2700 करोड़ रूपये के घोटाले का संकेत मिल रहा है. इतना ही नहीं पटेल की मूर्ति बनाने के नाम पर गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2500 करोड़ रूपये को लिया गया है. दुनिया के अनोखे और देश के सबसे भ्रष्ट और चोर प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी बिना किसी लज्जा के विपक्षियों को ही झूठ बोलने का आरोप लगाता है. इसी से पता चलता है कि निर्लज्ज नरेन्द्र मोदी देश के कितने बड़े मक्कार और धूर्त हैं.
अरविन्द केजरीवाल के दिल्ली सरकार द्वारा बनाया गया बेमिशाल ‘सिग्नेचर’ ब्रिज को बनाने के श्रेय लेने को आतुर भाजपा के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी जब उद्घाटन स्थल पर पहुंचे तो बजाय एक नागरिक के वह वहां अधिकारियों को धक्का देने और मारने पर उतारू हो गया और इस ब्रिज के बनाये जाने का श्रेय खुद लेना चाहा. पर दिल्ली की जागरूक जनता सारे तथ्य को भलीभांति जानती है कि भाजपा और नरेन्द्र मोदी अपने पद का दुरूपयोग करते हुए किस प्रकार इस ब्रिज को बनने से रोकने के लिए अपना कुत्ता सीबीआई, ईडी आदि का प्रयोग किया और दिल्ली सरकार समेत तमाम अधिकारियों को धमकाया, तिहाड़ जेल का डर दिखाया. इन सब धमकियों के बावजूद जब यह बेमिशाल ब्रिज बनकर तैयार हो गया तब इसका बौखलाया भाजपा मनोज तिवारी को इसका श्रेय लेने के लिए और लोगों को सीधा धमकाने लगा.
सिग्नेचर ब्रीज के उद्घाटन के अवसर पर अरविन्द केजरीवाल का शानदार भाषण
भाजपा का यह निर्लज्जपन ओढ़े मनोज तिवारी का यह व्यवहार सारे देश में दुहराया जा रहा है. जनता के किसी भी काम को रोको, और न रोक पाओ तो उसका श्रेय ले लो, भाजपा की यह रणनीति है. मुझे याद है बिहार के एक विश्वविद्यालय में बेहिसाब फीस बढ़ोतरी के खिलाफ लगातार आन्दोलनरत् (वाम) संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन के एक चरण में जब बंद का आह्वान किया गया था, तब भाजपा के छात्र मोर्चा एवीबीपी जो इस आंदोलन के खिलाफ षड्यंत्र का रहा था, बंद के ठीक एक रात पहले माईक से सारे शहर में बंद का ऐलान करने लगा. जब उसे याद दिलाया कि यह बंद का आह्वान को संयुक्त मोर्चा के लोगों ने किया है, तो वह साफ मुकर गया और खुद के द्वारा अयोजित बंद बतलाने और लड़ने लगा.
खैर, आम नागरिकों के सहयोग से शानदार तरीके से बंद हुआ. इस बंदी के बाद भी जब विश्वविद्यालय प्रशासन कोई कदम नहीं उठाया तब एक खास तिथि को विश्वविद्यालय में प्रदर्शन करने का आह्वान संयुक्त मोर्चा के द्वारा दिया गया. इस प्रदर्शन की तैयारी में एवीबीपी का कहीं कोई योगदान तो छोड़िये वह विरोध पर उतारू था. वह जनमत बना रहा था कि मंहगाई बढ़ गई है तो विश्वविद्यालय ने फीस बढ़ाया तो क्या गलत किया जो आप लोग प्रदर्शन करने जा रहे हैं ?
निर्धारित तिथि पर जब दसियों हजार छात्रों का हूजुम उतर आया और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने लगा तब यही एवीबीपी का एक-दो कार्यकर्त्ता भगवा झंडा लेकर सबसे आगे खड़ा हो गया और कहने लगा ये सब मेरे छात्र हैं, जो आंदोलन कर रहे हैं. वार्ता कक्ष में भी सबसे आगे जा पहुंचा. पर चूंकि नेतृत्व संयुक्त मोर्चा के हाथ में था, प्रशासन ने संयुक्त मोर्चा के छात्र नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया. पर वार्ता कक्ष में प्रभारी उपकुलपति के अड़ियल रवैये के खिलाफ जब संयुक्त मोर्चा के एक घड़े ने विरोध प्रकट कर आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया था तब विश्वविद्यालय प्रशासन लाठी चार्ज कर दिया. परिणामस्वरूप छात्र आंदोलन भी उग्र हो गया, जिसकारण सैकड़ों की तादाद में छात्र व नागरिक पुलिस की लाठी और गोली खाकर गिर गये. एवीबीपी के शामिल होने आये गुंडे जो वार्ता के समय बढ़चढ़कर भांज रहे थे, आन्दोलन तीव्र होते ही भाग खड़े हुए.
आरएसएस-भाजपा का यह चरित्र देशव्यापी है और किसी भी हालत में विश्वसनीय नहीं है. आज जब आरएसएस-भाजपा की केन्द्र में सरकार है, तब इसका यह चरित्र और ज्यादा उभर कर सामने आया है. पहले तो जनता के खिलाफ नीतियां बनाता है. जनता के आन्दोलन में घुसकर उसे बदनाम करने का प्रयास करता है. जब इसमें यह सफल नहीं हो पाता है, तब उस आन्दोलन को हस्तगत करने की कोशिश करता है. इसमें भी विफल होने पर उस आन्दोलन से अर्जित लाभ में श्रेय लेने की कोशिश करता है. धन्य है दिल्ली की जनता और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व को जिसने भाजपा के तमाम हमलों-साजिशों को विफल करते हुए उसके चरित्र पर सफल ‘सिग्नेचर’ कर दिया है.
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