सेल, सेल, सेल. भारत सरकार का बम्पर धमाका.
दिवाली का तोहफा. दिवाली के बाद 16 नवंबर को. करोड़ों का माल कौड़ियों में. ऐसा मौका फिर दुबारा नहीं मिलेगा.
जी हां, भारत सरकार ने 16 नवंबर, 2020 का दिन तय कर दिया है अपने सार्वजनिक उपक्रमों को कौड़ियों के मोल बेचने के लिए. बीपीसीएल, शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया, भारत अर्थ ओवर्स और कंटेनर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड की बोली लगने वाली है उस तारीख को.
दिपावली का इससे बेहतर नजराना सरकार देशवासियों को और क्या दे सकती थी ? कम से कम बोली लगाकर कोई भी ले सकता है. सारे उपक्रम अच्छी स्थिति में हैं. जो जहां जैसा है, के आधार पर बोली लगेगी. ऐसा मौका फिर दुबारा नहीं मिलने वाला.
बीपीसीएल की पूरी संपत्ति की कीमत करीब दस लाख करोड़ रुपए है, जो आपको 39 हजार करोड़ रुपए में ही मिल जाएगा. शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया की कीमत करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए है, जो आपको महज सात हजार करोड़ रुपए में ही मिल जाएगा. कंटेनर कारपोरेशन आफ इंडिया सिर्फ 3000 करोड़ रुपए में और भारत अर्थ ओवर्स तो जैसे मुफ्त में ही मिल जाएगा.
बोली लगाकर लेने वाले को कर्मचारियों की चिंता नहीं करनी है. उनको तो सरकार पहले ही हटा देगी. थोड़े-बहुत कर्मचारियों को खरीददार अपने मन के अनुसार अपनी शर्तों पर रख सकता है. मोदी सरकार आप पर मेहरबान है, जो आपको इतना बड़ा दिवाली बम्पर दे रही है आपको जश्न मनाने के लिए. जल्दी कीजिए, समय कम है. पहले आइए, पहले पाइए की तर्ज पर आप भी ले सकते हैं इनमें से किसी को, और दिवाली का जश्न दिल खोलकर मना सकते हैं.
अभी तो यह शुरुआत है. आगे और भी कीमती सामान बिकने वाला है. सरकार हर पर्व-त्योहार के मौके पर जनता की खुशहाली के लिए अपने सरकारी उपक्रमों को बेचने का फैसला कर लिया है. आखिर राजा का खर्च जो ठहरा. अब कोई राजा मूली-गाजर खाकर तो रहेगा नहीं. राजा का भोजन, वस्त्र, आवास, सुख-सुविधा, भोग-विलास, आनंद के साधन और ऐश्वर्य भी तो राजा के अनुसार होना चाहिए. इतने बड़े भारत का राजा भिखारी की तरह तो रहेगा नहीं, है कि नहीं ?
आखिर ये सारी कबाड़ की चीजों को घर में रखने से फायदा क्या ? देखने में भी गंदा लगता है. अब आप ही बतलाइए कि गंदगी साफ होनी चाहिए कि नहीं ? इसीलिए तो मैंने पहले से ही राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान चलाया हुआ है. दिवाली में आप लोग घर का कूड़ा-करकट साफ करते हैं कि नहीं ? रद्दी का सामान कबाड़ीवाले से बेचते हैं कि नहीं ? उसी तरह से समझ लीजिए कि मैं, भारत का प्रधानमंत्री, भी देश में जगह-जगह पड़े बेकार और फालतू के सामानों को कबाड़ीवाले पूंजीपतियों को बेच रहा हूं. कुछ अपना भी फायदा होगा, और कुछ उनका भी. दोनों मिलकर जश्न मनाएंगे. देशवासियों को दिवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.
- राम अयोध्या सिंह
Read Also –
नकली राष्ट्रवाद का बाजार
नीलामी पर चढ़ा देश : देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों की नीलामी
भारत के मध्यम वर्ग को पैकेज नहीं, थाली बजाने का टास्क चाहिए
मोदी सरकार के तीन कृषि अध्यादेश : किसानों के गुलामी का जंजीर
[प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]