कृष्णअय्यर
भारत का संविधान केंद्र और राज्य में एक दल की सरकार की वकालत नहीं करता. बहुदलीय संसदीय व्यवस्था में कोई भी पार्टी कहीं भी सरकार बना सकती है. तो मोदी की ‘डबल इंजन की सरकार’ संविधान विरोधी बकवास है. ‘गटर की गैस से चाय बनती है’ जैसी एक मंदबुद्धि बात है.
मोदी कितना मंदबुद्धि है इसका एक उदाहरण काफी है : 2004-2014, कांग्रेस की केंद्र में सरकार थी और मोदी गुजरात का मुख्यमंत्री था. मोदी ने ‘गुजरात मॉडल’ को बेस्ट बताया, यानी केंद्र में कांग्रेस सरकार के वक्त ही गुजरात का सबसे ज्यादा विकास हुआ. तब डबल इंजन की बात क्यों नहीं आई ?
2014-2020, 7 साल से गुजरात में तथाकथित डबल इंजन की सरकार है, गुजरात बरबाद क्यों हो रहा है ?
- शिशुओं में रक्ताल्पता, कुपोषण
- उम्र के हिसाब से कम लंबाई और वजन
- शिशु मृत्यु की दर, भारत में लगभग सर्वोच्च
- स्कूल ड्रॉपआउट, शिक्षकों की कमी
- गुजरात ने अवैध शराब, ड्रग्स
- गुजरात में रेप, हत्या, दलितों पर अत्याचार
- गुजरात में मंत्रियों का भ्रष्टाचार
- गुजरात में बन्द होते उद्योग, बेरोजगारी
ये सारी बातें 2014 से बढ़ कैसे गई ? क्यों गुजरात के उद्योगपतियों ने देश के बैंकों को लूट कर बिकने के कगार पर खड़ा कर दिया ? यानी डबल इंजन की सरकार का मतलब है बेरोकटोक लूट.
मोदी की बातों को सीरियसली मत लीजिए. मोदी कोई शिक्षित या तार्किक व्यक्ति नहीं है. नाही PM मटेरियल है. बस बिल्ली के भाग्य में छींका टूटा है. मोदी एक संघी है, आपराधिक, नफरती सोच है. आर्थिक, सामाजिक ज्ञान नहीं है, गालीबाज है, असभ्यता और बदतमीजी का ट्रेडमार्क है, मूर्खतापूर्ण बातें करना फितरत है. मोदी की हर बात को कॉमन सेंस से परखिए, आपको बेवकूफी का एक चलता फिरता टोकरा दिखाई देगा.
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भारत में आत्मनिर्भरता का अर्थ है : सारी सरकारी सम्पत्ति बेच दो. इसके लॉजिक भी मूर्खतापूर्ण है : सरकारी कर्मचारी काम नहीं करते. तो फिर सरकार कैसे चल रही है ? बेच देना कोई समाधान नहीं है.
1990 के बाद भारत मे प्राइवेट बैंक बने, पर किसी सरकारी बैंक को बेचा नहीं गया. इसका फायदा ये हुआ कि 2008 में पूरे विश्व में जब एक के बाद एक बैंक धराशायी हो रहे थे, तब भारत की बैंकिंग सबसे सुरक्षित था.
पिछले 30 सालों में केवल प्राइवेट बैंक फेल हुए हैं पर आजतक एक भी सरकारी बैंक फेल नहीं हुआ. और जो प्राइवेट बैंक फेल हुए उन्हें भी हमारी बैंकिंग व्यवस्था ने सम्हाल लिया. ऐसे उदाहरण विश्व में कही नहीं है.
बात जनता के विश्वास और भारत जैसी ‘इमर्जिंग इकॉनमी’ की है, जिसे आप 100% प्राइवेट या 100% सरकारी नही बना सकते, इसीलिए आज भी भारत में 70% बैंकिंग सरकारी है और 30% प्राइवेट है. एक कम्पटीशन है, ऑप्शन है और भारत की यही जरूरत भी है.
अगर कम्पटीशन को डिस्टर्ब कर जबरदस्ती प्राइवेट बैंक को मार्केट दिया गया तो आज से 20 साल बाद अगर कोई क्राइसिस आती है तो पूरी बैंकिंग ध्वस्त हो जाएगी. हम ये भूल जाते हैं कि प्राइवेट बैंकिंग में विश्वास का मूल कारण भी सरकारी बैंकों की सुरक्षा है.
RBI की ‘फाइनेंसियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट’ जनवरी 2021 कहती है कि 2014-2020 में 18 लाख करोड़ नए NPA जुड़े है. NPA का एक अर्थ ये भी है कि व्यापार खत्म हो रहा है और जनता की जेब खाली है. यही NPA 1952-2014 तक केवल 2.5 लाख करोड़ था.
सरकार का काम व्यापार करना है या नहीं ये एक अलग मुद्दा है, पर सरकार का काम चोरों को पकड़ना है भगाना नहीं है. मोदी ने बैंकचोरों से चन्दा लिया और उन्हें विदेश भगा दिया.
अगर बैंक बेचना ही है तो बैंको कों 2014 के लेवल पर लाओ. अडानी, अम्बानी से लोन/NPA वापस लो और फिर बैंकों का वैल्यूएशन करो. जो वैल्यूएशन आएगी उस पर अमेरिका की RBI की भी औकात नही होगी कि भारत के सरकारी बैंक खरीद ले.
मोदी अपनी चोरी का सबूत मिटाना चाहता है, पर बैंक किसी दामोदर ने नहीं बनाई थी, नाही किसी हीरा के दहेज में बैंक मिली थी. बैंक देश की जनता की है. एक भी बैंक बिका तो रास्तों पर जनता दौड़ाएगी और तुम्हें बचाने वाला कोई नही होगा.
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भारत एशिया और पूरे विश्व के विकास के लिए एक ‘Global Threat’ बन चूका है. Pew Research की ताजा रिपोर्ट में इस बात को खुल कर लिखा गया है. एक वहशी संघी, दरिंदा संघी, मूर्खराज संघी ने भारत का सत्यानाश कर दिया. रक्तपिपासु, रेपिस्टों के संघी सरदार ने भारत का सामाजिक स्ट्रक्चर तहस-नहस कर दिया. जानिए Pew की रिपोर्ट को –
- भारत का मीडिल क्लास लगभग 10 करोड़ हुआ करता था, अब मीडिल क्लास लगभग 7 करोड़ रह गया..ये ग्लोबल मिडल क्लास का 60% हिस्सा है.(1/3rd हिस्सा खत्म).
- गरीबों की संख्या 7.5 करोड़ बढ़ गई जबकि 2004-15 तक कांग्रेस ने 27 करोड़ को BPL से बाहर निकाला था. (2004-14 तक के कांग्रेस की मेहनत को निगल गया).
- भारत में इस गरीबी का बढ़ना भी वैश्विक गरीबी का 60% है. यानी देश की जीडीपी के साथ-साथ भारत ग्लोबल जीडीपी को भी खत्म कर रहा है. (ये वैश्विक आतंकी है, सबकुछ खत्म कर देगा).
- Pew Research मोदी के मंदबुद्धि होने पर प्रचंड प्रहार करता है क्योंकि मनरेगा में काम की मांग 14 सालों के सर्वोच्च स्तर पर है.
याद कीजिए मोदी की मूर्खता जब मोदी ने संसद में मनरेगा का मजाक उड़ाया था और आज मनरेगा ने ही गरीबों को बचाया. भारत का मूर्खश्रेष्ठ प्रधानमंत्री.
- भारत में गरीबों की संख्या 13.4 करोड़ हो सकती है जबकि इसका अनुमान 5.9 करोड़ था. यानी गरीबों की संख्या भी दुगनी कर दी. (गांधी के हत्यारों ने देश के हर ‘गांधी’ यानी गरीब को मार डाला).
- भारत में गरीबी की दर 9.7% तक जा सकती है जिसका अनुमान केवल 4.3% था. (गरीबी दर 9.7% और बेरोजगारी दर 35%, पाकिस्तान से तो बेहतर है.)
- भारत के 120 करोड़ लोग ‘Low Income Tier’ में पहुंच चुके हैं. ये विश्व की Low Income जनसंख्या का 30% है. (135 करोड़ में से 120 करोड़ Low Income, बन गए विषगुरु ?)
सुनो संघ/बीजेपी के गोबरमूर्खों, नेहरुजी से डॉ. मनमोहन सिंह जैसे संतों की 70 साल की तपस्या को संघी आतंकियों ने बरबाद कर दिया. तुम भी बरबाद हो चुके हो. एक आतंकी हरदम मंदबुद्धि होता है क्योंकि आतंकी की सोच में केवल हिंसा होती है..भारत में एक आतंकी संगठन के गुर्गे सत्ता में है और देश की जनता पर आर्थिक आतंकवाद का कहर ढाया जा रहा है.
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उत्तर भारत के युवाओं के दिमाग को प्रोग्राम कर दिया गया है कि हिंसा, नफरत, दंगा और गरीबी ही आपका काम है. आधे पेट खाना और अधनंगा रहना ही जीवन है. अगर परिवार खत्म भी हो जाता है तो वो देश के लिए कुरबानी है, अपराधी बनना ही जीवन का उद्देश्य है.
- रेपिस्ट, खूनी अगर बन सको तो MLA, MP, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री भी बन सकते हो..युवा 1990 से ऐसा होते हुए देख भी रहा है तो उत्साहित भी है.
- उत्तर भारत की जनता को आईडिया ही नहीं है कि 1991 के बाद कांग्रेस सरकारों की नीतियों से साउथ, पश्चिम भारत, कितना आगे निकल चुका है. उत्तरभारत अभी भी रामायण काल मे जी रहा है. रामायण काल से आगे गाड़ी बढ़ ही नहीं रही है.
- रामायण काल से 2021 में कब आएगा उत्तर भारत ? पूर्व और उत्तरपूर्व भी आज उत्तर भारत से ज्यादातर मामलों में आगे निकल चुका है. वियतनाम, घाना जैसे देश भी विकास के रास्ते पर चल रहे हैं.
- उत्तरभारत में चूनाव आते हैं तो दंगा, चुनाव के बाद दंगा, फिर सरकार के पूरे 5 साल दंगा चलता ही रहता है..रेप, गैंगरेप, भ्रष्टाचार तो बोनस में आता है. जीवन के बहुमूल्य साल खत्म होते जाते हैं और अपराधी युवाओं की नई फौज तैयार होती रहती है. बस यही होता रहता है.
- इन्हें विदेश की छोड़िए, भारत के अलग-अलग हिस्सों में जीवन कितना उन्नत हो चुका है ये भी मालूम नहीं है. अगर इन युवाओं को यूरोप के देशों में भेज दिया जाए तो ये लोग ‘कल्चरल शॉक’ से मर जाएंगे.
- उधर जब ‘चूम्मा लेना’ देखेंगे तो संस्कृति बचाने को दिल मचलना तय है और कूटाई भी तय है. ऊपर से कपड़े, खाना, शिक्षा वगैरह को देखते ही तड़ीपार अमित शाह को फोन कर बोलेंगे : ‘इधरे हमको पन्ना परमुख बनाय दीजिए..संस्कृति पूरा भिरस्ट हो गया है.’
- उत्तर भारत के युवाओं को लगता है कि पूरा देश दुश्मनों से घिरा हुआ है और वो दुश्मनों से देश की रक्षा कर रहे हैं. सारे गोबरमुरख है. देश दुश्मनों से घिरा हुआ तो है, पर वो दुश्मन अशिक्षा, गरीबी, धर्मांधता, बेरोजगारी है.
- उत्तर भारत और Rest Of India के बीच आर्थिक Gap बढ़ता जा रहा है. इस Gap की अपनी एक सीमा या Elasticity है..जिस दिन ये सीमा टूटेगी उस दिन देश में क्या होगा ये बताना मुश्किल है. पर उत्तर भारत आज भारत और पूरे एशिया के विकास के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है.
आर्थिक बोझ और सामाजिक खतरा कौन कितने दिन तक बर्दाश्त करता है : समझ आए तो भला नहीं तो बजाओ घंटा.
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