Home गेस्ट ब्लॉग भारत में कोरोना फैलाने की साजिश मोदीजी की तो नहीं ?

भारत में कोरोना फैलाने की साजिश मोदीजी की तो नहीं ?

10 second read
0
3
1,005

भारत में कोरोना फैलाने की साजिश मोदीजी की तो नहीं ?

पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ

अगर मोदी जी की माने तो देश में न तो बेरोजगारी की समस्या है और न ही बलात्कार की, न ही कहीं भ्रष्टाचार है और न ही कोई गरीब. देश में सिर्फ और सिर्फ एक समस्या है – कांग्रेस ! और उसका समाधान सिर्फ चुनाव में बीजेपी को जिताना है, जिसके लिये वो अपनी अंतिम सांंस तक लड़ते रहेंगे और इसीलिये बेचारे मोदी जी चुनाव से पहले और चुनाव के बाद लच्छेदार भाषण जनता को पेलते रहते हैं.

मैं मुर्ख भक्तो की अम्मीयो और विकास के पापा समेत उनके चाचा ताऊ इत्यादि प्रत्येक भक्त मण्डली को ये बताना चाहता हूंं कि ये जो हर बात का श्रेय मोदी को देते हो तो उन असफलताओं का श्रेय भी मोदी को दिया करो, जिनके वो असल हकदार हैं, यथा –

1. देश के बर्बाद करने का श्रेय भी मोदी को मिलना चाहिये क्योंकि 2014 से पहले देश सबसे बड़ी तीसरी वैश्विक उभरती अर्थव्यवस्था थी, जबकि अब 2020 में कोरोना महामारी से लड़ता देश और सभी नागरिक घरो में कैद हो चुके हैं.

2. पिछले छह साल में भारत को विकासशील देशों की केटेगिरी से भी बाहर कर दिया गया है और ये सब मोदी के शासन में हुआ है. मोदीजी देश की जनता का पैसा विदेशों में घूम-घूम कर उड़ा रहे थे और पार्टी विज्ञापनों में खर्च कर रहे थे.

3. मणिपुर, नागालैंड समेत सिक्किम तक सेवन सिस्टर में आज जो हालात बने हैं, वो मोदी की अदूरदर्शिता के कारण है और इसलिये ही ‘हेलो चाइना बाय बाय इंडिया’ जैसे नारे भी लग चुके हैंं.

4. प्रकट में चीन को गरियाते हैं लेकिन मेक इन इंडिया का सारा मेकिंग चाइना से करवाते हैं. चाइना से इम्पोर्ट बढ़कर पिछले छह सालों में 82 हज़ार करोड़ तक हो गया है और बदले में चाइना कोरोना जैसा वायरस देता है, इसका सीधा श्रेय मोदी को ही जाता है.

5. गुजरात दंगों से लेकर दिल्ली के दंगों तक में हुए कत्ले-आम, कोरोना से मरने वाले और इन्फेक्टेड हर आदमी का श्रेय भी मोदीजी को ही जाता है.

मोदी की असल उपलब्धियांं यही है कि देश को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। नोटबंदी, जीएसटी, दंगेंं, व्यापार ख़त्म, नौकरियांं ख़त्म, एक जाति को पूरी तरह से सांप्रदायिक उग्रवादी बना दिया है और देश को कोरोना जैसी महामारी के चंगुल में फंसा कर पुरे देश के काम-धंधे बंद करवाकर घरों में बिठा दिया है.

अभी अभी एक भयंकर विचार दिमाग में आया कि कहीं भारत में कोरोना फैलाने की साजिश मोदीजी की तो नहीं ? हवाई जहाजों से भर-भरकर संक्रमित लोगों को जानबूझकर भारत लाया गया, वरना भारत में कोरोना का एक केस भी नहीं था.

कहीं इस कोरोना के संक्रमण में और होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया में कोई कनेक्शन तो नहीं ? कोरोना से जितना नुकसान (मौतेंं) नहीं हुई उससे अनंतगुुणा ज्यादा गोदी-मीडिया के भांड एंकरों द्वारा इसके प्रकोप का भय भी एक खास तरीके से और योजनाबद्ध रूप में फैलाया जा रहा है, और न्यूज मीडिया द्वारा फैलाये गये इस भ्रम के कारण कोरोना के डर से 90% लोग अपने-अपने राज्यों/शहरोंं/गांवोंं में अपने घर लौट चुके हैं अथवा लौटने की प्रक्रिया मेेंं हैंं.

जिनके घर-व्यापार भी दूसरे राज्यों में अच्छे से सेट है, वो भी अपने राज्यों में लौटने की तैयारी कर रहे हैंं क्योंकि उन पर इस भयानक मानसिकता का प्रभाव है और उनके घर-परिवारवालों का भी दबाव है. अतः वे अपने घरोंं में जाने को मजबूर हो रहे हैंं. दूसरी तरफ सरकार द्वारा स्पेशल पास पर वेलिडिटी डेट 30 जून की दी जा रही है जबकि घोषणा 14 अप्रैल तक के लॉक डाउन की गयी है. इसमें कोई गहरी साजिश की बू आ रही है अब मुझे. जैसा कि मैं हमेशा कहता हूंं कि मोदीजी हमेशा मौकोंं को भुनाते रहते हैं, अबकी बार भी वैसा ही हुआ हो ?

कोरोना इफेक्ट से लोग अपने-अपने घरोंं में लौट चुके हैंं और अब जून तक उन्हें दूसरे राज्यों में जाने की परमिशन मिलने से रही और इसी दौरान सरकार एनपीआर का काम निपटा लेगी. इससे एक तो सभी लोगोंं के स्टेटबॉयज आंकड़े आसानी से उपलब्ध हो जायेंगे और उनकी एंट्री भी रजिस्टर में हो जायेगी, दूसरा उनके पास जो कुछ भी है उसका डाटा भी सरकार को आसानी से मिल जायेगा (क्योंकि ज्यादातर जाने वाले लोग अपना बोरिया-बिस्तर तक साथ लेकर जायेंगे).

आप सोच रहे होंगे कि इससे क्या फर्क पड़ता है ? पड़ता है भैया. सरकार को अभी ये नहीं मालूम कि एक परिवार के लोगों के पास असल में कितने संसाधन हैं (क्योंकि जब दो भाई अलग-अलग शहरों में काम करते हैंं तो उनके संसाधन अलग-अलग गिने जाते हैंं. मगर जब वे दोनों अपने घरोंं में अपने संसाधनों के साथ लौटेंगे तो एक ही घर में उनके संसाधन डबल गिने जायेंगे और फिर मोदी सरकार आंकड़ों का खेल खेलेगी !

अभी पूरी तरह तो मैं खुद अपने विचार की तह तक नहीं पहुंंच पाया हूंं लेकिन मुझे इसमें बहुत गहरी साजिश लग रही है.

Read Also –

लॉकडाऊन : भय, भूख और अलगाव
भाजपा ने सत्ताहवस की खातिर देश के 130 करोड़ लोगों को मौत के मूंह में झोंक दिया
लॉकडाउन तुरंत ख़त्म करो
लॉकडाऊन 30 जून तक कंफर्म है ?
कामगारों की हर उम्मीद मोदी सरकार से टूट चुकी है

प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

ROHIT SHARMA

BLOGGER INDIA ‘प्रतिभा एक डायरी’ का उद्देश्य मेहनतकश लोगों की मौजूदा राजनीतिक ताकतों को आत्मसात करना और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध एक नई ताकत पैदा करना है. यह आपकी अपनी आवाज है, इसलिए इसमें प्रकाशित किसी भी आलेख का उपयोग जनहित हेतु किसी भी भाषा, किसी भी रुप में आंशिक या सम्पूर्ण किया जा सकता है. किसी प्रकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है.

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नारेबाज भाजपा के नारे, केवल समस्याओं से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए है !

भाजपा के 2 सबसे बड़े नारे हैं – एक, बटेंगे तो कटेंगे. दूसरा, खुद प्रधानमंत्री का दिय…