रविश कुमार, एनडीटीवी
मुझे लगता है कि देशभक्ति की भावना पनपाने के लिए यूनिवर्सिटी में तोप के साथ-साथ गालियों का कोर्स भी होना चाहिए. यह बहुत ग़लत बात है कि सिर्फ मर्द ही देशभक्ति के लिए आवश्यक गालियों का प्रयोग कर रहे हैं. आधी आबादी को भी गालियां देने की ट्रेनिंग होनी चाहिए. आखि़र सबको देशभक्त होना है.
देशभक्ति के नाम पर गालियों पर छूट मिल रही है. दो चार लोगों को ग़द्दार ठहरा कर हज़ारों फोन नम्बरों से गालियां दी जा रही हैं. भारत में देशभक्त तो बहुत हुए मगर गाली देने वाले ख़ुद को देशभक्त कह सकेंगे, यह तो किसी देशभक्त ने नहीं सोचा होगा.
इन गालियों से मुझे देने वाले की सोच की प्रक्रिया का पता चलता है. माताओं और बहनों के जननांगों के नाम दी जाने वाली गालियों से साफ़ पता चलता है कि उन्हें औरतों से कितनी नफ़रत है. इतनी नफ़रत है कि नाराज़ मुझसे हैं और ग़ुस्सा मां-बहनों के नाम पर निकलता है. कभी किसी महिला ने गाली नहीं दी. गाली देने वाले सभी मर्द होते हैं. ये और बात है कि गाली देने वाले ये मर्द जिस नेता और राजनीति का समर्थन करते हैं, उसी नेता और दल को लाखों की संख्या में महिलाएं भी सपोर्ट करती हैं. पता नहीं उस खेमे की महिला नेताओं और समर्थकों की इन गालियों पर क्या राय होती होगी.
मैंने देखा तो नहीं कि उस खेमे की महिला नेताओं और समर्थकों ने कभी इन गालियों का प्रतिकार किया हो. विरोध किया हो. यहां तक कि जब महिला पत्रकारों को गालियां दी जाती हैं, उसका भी विरोध नहीं करती हैं. इस तरह मां-बहन की गालियां देने वालों को उस दल की मां-बहन का भी समर्थन प्राप्त हैं. पहली बार मां और बहने मां-बहनों के नाम पर दी जाने वाली गालियों का समर्थन कर रही हैं. उस दल की सभी मां-बहनों को मैं अपनी मां और बहन मानता हूं. तमाम गालियां आप सभी के लिए पेश करता हूं, जो मुझे दी जा रही हैं.
मैं बिल्कुल परेशान नहीं हूं. जब देश की माताएं और बहनें परेशान नहीं हैं तो मां-बहन की गालियों को लेकर परेशान होने का कोई तुक नहीं बनता है. मेरी राय है कि हर किसी को चराक्षर गालियों का इस्तेमाल आना चाहिए. साथ में गराक्षर गालियों का उपयोग हो तो देशभक्ति का A प्लस सर्टिफ़िकेट मिलना चाहिए. हर किसी के पास चराक्षर और गराक्षर गालियों की डिक्शनरी होनी चाहिए.
मुझे लगता है कि देशभक्ति की भावना पनपाने के लिए यूनिवर्सिटी में तोप के साथ-साथ गालियों का कोर्स भी होना चाहिए. यह बहुत ग़लत बात है कि सिर्फ मर्द ही देशभक्ति के लिए आवश्यक गालियों का प्रयोग कर रहे हैं. आधी आबादी को भी गालियां देने की ट्रेनिंग होनी चाहिए. आखि़र सबको देशभक्त होना है. सबको गालियां देनी हैं. आखि़र मां-बहनें मां-बहन की गालियों पर चुप क्यों हैं ? वे क्यों नहीं मां-बहन की चराक्षर और गराक्षर वाली गालियां दे रही हैं ?
इस प्रकार मैं अपनी मां और बहन को दी गई ये गालियां भारत माता के राष्ट्र को समर्पित करता हूं. भारत माता की जय. भारत माता की जय. भारत माता की जय.
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