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भारत का बजट

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भारत का बजट

भारत का बजट मनमोहन सिंह भी पेश करते थे और चिदंबरम भी लेकिन आज जो बजट सीतारमण पेश कर रही है वो हमेशा याद रहेगा क्योंकि जिस तरह सरकारी बर्तन-भांडे (भारत पेट्रोलियम, एयर इंडिया, कॉनकॉर और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया आदि-आदि) बेचने की खुल्ल्म-खुल्ला हिमाकत सीतारमण ने की है, वो आज तक किसी ने नहीं की. ऊपर से मध्यम वर्ग को टैक्स स्लैब में कोई छूट नही मिली. छूट तो छोड़िये शिक्षा और स्वास्थ्य पर सेस भी बढ़ा दिया है और शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ दो बैंको और एक जनरल बीमा कम्पनी का निजीकरण करने नीति को हरी झंडी दिखा दी गयी है.

ये हाल तब है जब पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है और इसके चलते स्वास्थ्य सेवा में लोग जहां सुविधाओं के साथ छूट मिलने की आशा कर रहे थे, वही सरकार सीना ठोक कर कह रही है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिये आपको ज्यादा दाम खर्चने होंगे. आम आदमी को रुलाकर देश पर काबिज ये तानाशाह जनता के पैसे की बर्बादी अपनी अय्याशियों में करेंगे. (देख लेना जल्दी ही फिर से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, सांसद इत्यादि सबका वेतन बढ़ेगा). होटल, रेस्टोरेंट, इलेक्ट्रॉनिक सामानों और ऑटो पार्ट्स पर भी महंगाई की मार पड़ेगी.

बीमा कम्पनियों में विदेशी निवेश की सीमा 49% से बढ़कर 74% की गयी है ताकि आम लोगो को विदेशी कम्पनिया लूट सके और वे बेचारे क्लेम के लिये कोर्ट भी न जा सके. वैसे भी भारतीय जीवन बीमा निगम को पूरी तरह बर्बाद करने के लिये एलआईसी का आईपीओ भी साल 2021-22 में आयेगा. कुछ साल बाद में पता चलेगा कि आईपीओ के सारे शेयर तो अडानी-अम्बानी के पास है और 51% शेयर होल्डिंग करके अब बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बन चूका है. इस बजट का सबसे ज्यादा फायदा बाबा रामदेव, अडानी, अंबानी, टाटा, जिंदल जैसे बड़े कॉर्पोरेटस को मिलेगा.

किसान आंदोलन के बावज़ूद किसानों को जुमले का तोहफा देते हुए सरकार ने कृषि पर सेस का प्रतिशत बढ़ा दिया है, साथ ही पेट्रोल, डीजल और कृषि की सभी बुनियादी सुविधाये भी महंगी कर दी है (शायद ये आंदोलन के खिलाफ सरकार का बदला है). अब तो यही कह सकता हूं कि – ‘कभी भारत पे तो कभी जनहालात पे रोना आया, सीतारमण तेरे बजट की हर बात पे रोना आया.’

आज बजट में मुझे ‘घोटाला बजट’ की कमी महसूस हो रही है क्योंकि मोदी सरकार ने जिस तरह सीना ठोककर घोटाले पर घोटाले किये है, मैं सोचता हूं कि आज अलग से एक ‘घोटाला बजट’ बनाकर भी संसद में पेश होना चाहिये था ताकि आगे भी लोकसभा चुनाव में जो भी सरकार आये वो ‘घोटाला सत्र’ चलाकर फिर से जनता को बेवकूफ बना सके !

  • पं. किशन गोलछा जैन

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