रविन्द्र पटवाल, राजनीतिक विश्लेषक
प्रियंका गांंधी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतगणना पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया है : ‘भाजपा इतने अहंकार में है कि गंगोह में हमारे जीतते हुए प्रत्याशी को काउंटिंग सेंटर से निकालकर उनका मंत्री जनता का निर्णय बदलने के प्रयास में है. DM को पांंच-पांंच बार फोन पर लीड कम करवाने के आदेश आ रहे थे. यह लोकतंत्र का सरासर अपमान है.’
आजतक का संवावदाता रोते हुए अभी भी कैलाश विजयवर्गीज से पूछ रहा है कि ‘हरियाणा में तो आपने सच में बड़ा काम किया था, फिर ऐसा परिणाम क्यों आ रहा है ?’ जिस पर नेता का कहना है कि ‘हम अभी भी रेस में हैं. और हम कोई खरीद-फरोख्त नहीं करेंगे. लेकिन सरकार बना लेंगे.’
इन चुनाव परिणामों ने सिद्ध कर दिया है कि भारतीय मीडिया कितने गंदे स्तर पर खुद को गिरा चुकी है.
करीब-करीब सभी मीडिया चैनल हरियाणा में बीजेपी को 70-75 सीट से कम नहीं दे रहे थे और महाराष्ट्र में 200-220 तक दे रहे थे.
चुनाव परिणामों से पता चल रहा है कि बीजेपी हरियाणा में 90 सीटों में 35-38 और महाराष्ट्र में शिवसेना के इस बार साथ होने के बावजूद 160 तक पार नहीं कर पा रही.
मेरा स्पष्ट मत है कि इन परिणामों में जो थोड़ी बहुत सीट बीजेपी को दिखाई दे रही है, उसमें बीजेपी से अधिक योगदान इन मीडिया वालों का दिन-रात बीजेपी प्रचार की मुख्य भूमिका है.
लोकतंत्र को मजाक बना दिया है इन बिके हुए मीडिया को संचालित कर रहे मुनाफाखोरों ने. उनके चीफ एंकर आज वे मीडिया वाले हैं, जो 2013 से पहले तक सड़कों पर घूम-घूम कर मीडिया के लिए बाईट बटोरने का काम करते थे, आज स्टूडियो में बैठकर सिर्फ साइबर सेल से प्राप्त सूचनाओं और ट्विटर पर उनके द्वारा ट्रेंडिंग हिन्दू-मुस्लिम, भारत-पाक घृणा के मुद्दों पर दिन-रात प्रचार में लगे हैं.
उन्हें देश की बढती गरीबी, असमानता, बेरोजगारी, दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, मजदूरों, पब्लिक सेक्टर की बिकवाली और बैंकों की संगठित लूट को दिखाने में शर्म आती है. उन्हें शर्म आती है भारतीय अन्नदाता के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने में. उन्हें शर्म आती है कि पिछले 3 दिनों से हजारों विकलांग युवा, रेलवे भर्ती में हुई धांधली के खिलाफ दिल्ली की सडकों पर बिलख रहे हैं.
ये बेशर्म लोग वास्तव में भारतीय जन के मताधिकार को प्रभावित करने का जघन्य अपराध लगातार करते जा रहे हैं. इनका सम्पूर्ण बहिष्कार ही एकमात्र विकल्प है.
सोशल मीडिया और वैकल्पिक मीडिया के रूप में उभरे विभिन्न डिजिटल मीडिया के निरंतर विकास में ही भारतीय लोकतंत्र और चुनाव को प्रभावित करने और जन गण मन को समाहित करने की क्षमता है. यही कारण है कि हरियाणा में दुष्यन्त चौटाला के बीजेपी को समर्थन के बाद, उनकी माँ नैना सिंह चौटाला का चुनाव के पहले दिया गया ये बयान, सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिस कारण दुष्यंत चौटाला का झूूठा और मक्कार चेेहरा लोगों के सामने आ पााया हैै. एक विडियो दुष्वन्त चौटाला और उसकी मां का सुुुनिये, जो केवल सोशल मीडिया के कारण ही हो पाया है.
चुनाव के पहले दुष्यंत चौटाला के मां का व्यान
चुनाव के पहले दुष्यंत चौटाला का विडियो
सभी चौधरी, गोस्वामी, दंगल, अंजना ओम कश्यप छाप अगरबत्तियों का बायकाट ही लोकतंत्र को नई प्राणवायु दे सकता है.
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