कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में लगातार हार का मुंह देख चुकी भाजपा का मिट्टी पलीद तब हो गई जब झारखण्ड विधानसभा चुनाव में भी करारी हार का शक्ल देखना पड़ा. ऐसे में अब दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना उसकी तात्कालिक जरूरत बन गई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी है कि देश के जनता की गाढ़ी कमाई से जमा किया गया खजाना मोदी ने औद्यौगिक घरानों को दान कर दिया है. जरूरत की पूर्ति के लिए देश के सार्वजनिक कम्पनियों को भी एक के बाद निजी हाथों में बेच चुकी है, और आगे भी बेचने जा रही है. रिजर्व बैंक की रिजर्व राशि को भी नोच-नोचकर छीन चुकी है. उसकी माली हालत बहुत ही खराब हो चुकी है.
ऐसे में अब उसकी निगाह दिल्ली की सार्वजनिक सम्पत्तियों और आम आदमी पार्टी के अथक प्रयास से खड़ा किये गये सार्वजनिक सम्पत्ति और लगातार उसकी बढ़ती बजट पर जा टिकी है, जिसे भी वह बेचकर अपने काॅरपोरेट घरानों के चरणों में चढ़ा सके. परन्तु वहां की आम जनता आम आदमी पार्टी में अपनी छवि देखती है, और एक बार फिर से आम आदमी पार्टी को ही सत्ता पर वापस लौटाने की जुगत में है. इससे बौखलाई भाजपाई गुंडे मोदी-शाह के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के ऊपर हमलावार हो गई है. इसके लिए वह झूठे प्रचार, फोटोशाॅप द्वारा एडिटेड फर्जी खबरें मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ फैला रहा है. इसके बावजूद जब मामला करवट लेता नहीं दीख रहा है. तब नरेन्द्र मोदी-अमित शाह ने राष्ट्रवाद और आतंकवाद जैसे फर्जी मुद्दे को उठाने की तैयारी कर लिया, जैसा कि उसने लोकसभा चुनाव के दौरान किया था.
आतंकवादियों से आरएसएस-भाजपा का कितना घनिष्ठ संबंध है, इसे बताने की जरूरत नहीं है. आये दिन संघियों के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के ऐजेंट पकड़े जा रहे हैं. यह भी खबरें हैं कि आरएसएस सरगना मोहन भागवत को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से बकायदा फंडिंग मिलता है. तो कभी यह खबर बनता है कि भाजपा नेता दाऊद इब्राहिम के परिजनों के विवाह समारोहों में आतिथ्य ग्रहण करते हैं.
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पुलवामा में 44 जवानों के चिथरे उड़ जाते हैं. आतंकवादी कड़ी सुरक्षा के बीच 300 किलोग्राम आरडीएक्स लेकर पहुंच जाते हैं, जिस गाड़ी में आरडीएक्स भर कर लाया जाता है, उसका नम्बर गुुुजरात का निकलता है. जांच के नाम पर लीपापोती होती है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मारे गये 44 जवानों के नाम पर चुनाव में वोट मांगने की अपील करते हैं. निर्लज्जता इतनी की चुनाव जीत जाने के बाद पूरी बेहाई से इसे नकार भी जाते हैं. इतना ही नहीं मोदी को यह भी खबर हो जाती है कि चुनाव के ठीक पहले 500 आतंकवादी घातक हथियारों के साथ दिल्ली आ जुटते हैं और फिर चुनाव खत्म होने साथ ही ये सभी घातक हथियारों से लैस आतंकवादी बिना किसी बारदात को अंजाम दिये सुरक्षित वापस अपने ठिकानों पर चले जाते हैं.
अब जब दिल्ली में एक बार फिर विधानसभा चुनाव का घोषणा हो चुका है, आतंकवादियों की आवाजाही शुरू हो गई है. कितना अद्भुत है आरएसएस-भाजपा और आतंकवादियों का संबंध, जो भाजपा को जिताने के लिए ठीक चुनावी पलों का इंतजार करता है और चुनाव खत्म होने के बाद वापस अपने ठिकाने पर लौट जाता है.
विदित हो कि भाजपा के चुनावी तरकश में गाय, गोबर, राम मंदिर, हिन्दू मुस्लिम, दंगा, पाकिस्तान, श्मशान, कब्रिस्तान, आतंकवादी, अर्बन नक्सल (आश्चर्य है हथियारबंद आन्दोलन करते नक्सली नहीं), राष्ट्रवाद, सेना वगैरह वगैरह ही मुद्दे हैं. देश के लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा जैसे कोई मुद्दे होता ही नहीं है. हजारों की तादाद में आत्महत्या करते नौजवान, इसी तादाद में आत्महत्या करते किसान इसके लिए कोई मुद्दा ही नहीं है.
परन्तु अब जब इसके तरकश के तमाम मुद्दे हास्यास्पद हो चुके हैं तब इसने लोगों को बरगलाने के लिए एनआरसी जैसे फर्जी मुद्दों को अपना आधार बनाया. जल्दी ही एनआरसी का भी भद्द पिट गया और लोग सड़कों पर आने लगे तब इसने सीएए जैसे देशद्रोही कानून को संसद से पास किया. इसके बाद तो मानो विरोध का झंझावात ही उठ खड़ा हो गया. देश के करोड़ों लोग सड़कों पर उतर आये और प्रदर्शन करने लगे. शांतिपूर्ण हो रहे इन प्रदर्शनों को जानबूझकर हिंसक बनाने के लिए संघियों और भाजपाइयों ने अपने गुंडे भेजना शुरू किया. बकायदा पुलिस ने इस प्रदर्शन को हिंसक बनाने के लिए गुंडागर्दी किया और सैकड़ों की तादाद में लोगों, छात्रों को पीटपीटकर घायल कर दिया. अकेले उत्तर प्रदेश में ही तकरीबन 26 लोगों की पीटपीटकर या बकायदा गोली मारकर हत्या कर दी. इसके वाबजूद प्रदर्शन रुकने के वजाय और तूफानी शक्ल अख्तियार कर लिया.
एनआरसी और सीएए के खिलाफ उबल पड़े प्रचंड जनाक्रोश को शांत करने के लिए नरेन्द्र मोदी ने खुलेआम झूठ बोलना शुरू कर दिया कि एनआरसी-सीएए पर कहीं भी एक शब्द भी चर्चा नहीं हुई है. कि देश में कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है. पर अगले ही पल मोदी के झूठ की कलई उतर गई. इसी झंझावातों के बीच मोदी सरकार ने एनपीआर जैसे फर्जी कानून पासकर लिया और लोगों को बरगलाने के लिए एक से बढ़कर एक झूठ का सहारा लेने लगा. अब दिल्ली विधानसभा के चुनाव में उसके पास ऐसा कुछ भी जनता के बीच दिखाने के लिए नहीं है, जिसे दिखाकर वह वोट मांग सके.
ऐसे वक्त जब समूचा देश मोदी-शाह जैसे आदमखोर के खिलाफ उठ खड़ा हो गया है तब वह दिल्ली में आतंकवादियों को लाने का अपना पुराना तरकीब भिड़ाया. विदित हो कि संघियों के आतंकवादियों के साथ मधुर संबंध हैं और उसके ईशारे पर वह कहीं भी धमाका कर सकता है. और संघी सत्ता हासिल करने के लिए पुलवामा की तर्ज पर 100-200 लोगों की हत्या करने या करवाने में हिचकता नहीं है. ऐसे मौके पर संघियों ने जम्मू-कश्मीर के डीएसपी सुखविन्दर सिंह को याद किया ताकि वह दिल्ली में बम बलास्ट करवा सके.
भाजपा ऐसी ही घटना जनवरी 2017 में पंजाब में विधानसभा चुनाव का प्रचार के दौरान कर चुकी है. पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों आम आदमी पार्टी को जीत का प्रबल दावेदार मान रहे थे. अकाली दल की सत्ता जाने को ही थी. चुनाव को मात्र 4 दिन बचे हुए थे कि चुनाव प्रचार के दौरान मौड़ मंडी में कांग्रेसी उम्मीदवार हरमिंदर सिंह जस्सी की जनसभा के पास बम ब्लास्ट होता है. ब्लास्ट मारुति कार में रखे बम से किया जाता है. धमाका इतना तेज था कि विस्फोट के बाद मारुति कार हवा में उड़ गई.
बम धमाके में 7 लोगों की मौत होती है और करीब 25 लोग घायल होते हैं. घटना के तुरंत बाद ही घटना को अंजाम देने के पीछे खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों पर शक जता दिया गया. पंजाब के मतदाताओं को 1991 की चुनाव के दौरान आतंकी संगठनों द्वारा हिंसा की घटनाएं याद आती है, जहां लुधियाना में ट्रेन में दो बार हमला कर 100 से अधिक निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया गया था. उन्हें बताया गया कि अगर आम आदमी पार्टी को वोट दिया तो खालिस्तान का दौर वापस आ जाएगा. उधर तुरत ही मीडिया ने केजरीवाल के खालिस्तान समर्थक नेताओं के साथ देखे जाने की बात कहकर चिग्घाड़ने लगा और रातों रात पंजाब का चुनावी माहौल बदल गया और परिणाम बिल्कुल पलट जाते है. अकाली दल की सरकार तो गिर जाती है लेकिन कांग्रेस सत्ता में आ जाती है. सिर्फ एक बम धमाका और सोशल मीडिया ने अगले 5 सालों के परिणाम को तय कर देता है.
संघ का इतिहास ही आतंकवाद से नाभी-नाल संबंध का है. नाथूराम गोडसे आजाद भारत का पहला आतंकवादी था. भाजपा का सत्ता में आने का रिकार्ड ही आतंकवाद से जुड़ा है. हत्या और खून से सना हुआ है. मोदी शाह का सत्ता में आने के पीछे भी गुजराती जनता के खून से लिखा हुआ है. अभी जब दिल्ली में चुनाव है तब दिल्ली में आतंकवादी आने और बम बलास्ट करने की सूचनाएं मोदी मीडिया ने देना शुरू कर दिया था. मोदी-शाह ने भी दिल्ली में आतंकियों के जुटने की खबरें देना शुरू कर दिया था. तभी जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नियंत्रण बल के डीएसपी देवेन्द्र सिंह को दो अन्य आतंकवादी से साथ पकड़ लिया गया, जिसे दिल्ली पहुंचाने का जिम्मा भी इसी डीएसपी ने निभाया था, जो विगत दिनों पुरस्कृत भी किया गया था.
इसी डीएसपी देवेन्द्र सिंह ने बकौल अफजल गुरू, अफजल गुरू को टार्चर कर सांसद हमले के आतंकवादियों को दिल्ली में प्लांट करवाया था. संभव है इसी पिटे हुए मोहरे के माध्यम से मोदी-शाह की आपराधिक जोड़ी ने पुलवामा में 300 किलोग्राम आरडीएक्स प्लांट करवाकर 44 जवानों को चिथड़े में उड़ा दिया होगा. और वह एक बार फिर दिल्ली को खून में डुबाने की तैयारी कर लिया था, जिसे पहले ही पकड़ लिया गया और दिल्ली को खून में डुबोने की मोदी-शाह की योजना अभी तो फेल होती दीख रही है, लेकिन चुनाव आने तक यह गुण्डा और भी कोई योजना बना सकता है, जनता को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है.
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