एसबीआई की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य अब मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज में 5 साल के लिए एडिशनल डायरेक्टर हो गयी है. सामान्यतया बैंक से प्रबंध निदेशक पद से रिटायर होने के बाद 2 साल का समय कूलिंग पीरियड होता है, जिसमें बैंक का प्रबंध निदेशक या वरिष्ठ अधिकारी किसी उद्योगपति के यहां नौकरी नहीं कर सकता है.
विशेष परिस्थिति में वह भारत सरकार की अनुमति लेकर ही किसी उद्योगपति से जुड़ सकता है. खासतौर से उस उद्योगपति से जुड़ने के मामले में यह बात कड़ाई से लागू होती है, जिसे उस अधिकारी ने बैंक में अपने कार्यकाल के दौरान सीधे-सीधे लाभान्वित किया हो.
आपको याद नहीं होगा इसलिए आपको याद दिलाने का यह उचित समय है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य के कार्यकाल में ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ जियो पेमेंट्स बैंक एसबीआई के साथ ज्वाइंट वेंचर में एक्टिव पार्टनर बन गया था.
जियो पेमेंट बैंक में एसबीआई की सिर्फ 30 फीसदी हिस्सेदारी दी गयी जबकि 70 फीसदी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को दे दी गयी थी. गजब की बात तो यह है कि जियो पेमेंट बैंक लिमिटेड को नोटबंदी के ठीक दो दिन बाद ही 10 नवंबर, 2016 को आधिकारिक तौर पर निगमित किया गया था. इस समय मार्केट में मिल रहे तगड़े कॉम्पिटिशन के बावजूद एसबीआई का पेमेंट स्पेस में 30 प्रतिशत मार्केट शेयर है. एक तरह से थाली में सजाकर एसबीआई के कस्टमर को जिओ को परोस दिया गया था, यह कमाल अरुंधति भट्टाचार्य जी ने ही किया था.
अरुंधति मैडम द्वारा जियो पेमेंट बैंक को एसबीआई के बड़े नेटवर्क का फायदा जो दिलवाया गया, उस अहसान को आज मुकेश अम्बानी ने चुका दिया है. यह बिल्कुल इस हाथ ले और उस हाथ दे वाला मामला है. यह खुले आम भ्रष्टाचार है.
- वेद माथुर
पूर्व जेनरल मैनेजर
Read Also –
[ प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…]