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अमेरिकी साम्राज्यवादी आदमखोर का अगला शिकार उत्तर कोरिया

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दुनिया की सर्वाधिक खूंखार आदमखोर अमेरिकी साम्राज्यवाद दुनिया भर में अपने खूनी पंजों से जहां करोड़ों लोगों का खून पी चुकी है वही करोड़ों  लोगों को बेघर और बर्बाद भी कर दिया है. वह मुल्क जो अमेरिकी दादागिरी को मानने से इन्कार करता है उसे वह अपना निशाना बनाता है और उसे बर्बर साम्राज्यवादी हमलों से जूझना पड़ता है.

दुनिया का प्रथम समाजवादी देश सोवियत संघ इस हमले का शिकार हुआ था पर सोवियत जनता ने इस अमेरिकी साम्राज्यवादी के खूंखार पंजों को उखाड़ फेंका था. इसके बाद विभिन्न समाजवादी देश इसका निशाना बना था पर चीन, वियतनाम, उत्तर कोरिया आदि जैसे समाजवादी देशों ने मुंह तोड़ जवाब दिया था.

इतिहास गवाह है इसके बावजूद अमरीकी साम्राज्यवादी ने अपने नुकीले खूनी पंजों को कभी भी कुंद नहीं होने दिया और दुनिया भर में विभिन्न समाजवादी देशों के साथ-साथ गैर समाजवादी देशों को भी अपना निशाना बनाता रहा. इसके लिए उसने कई तरीक़े अपनाये. समाजवादी देशों में शीत युद्ध के नाम पर मनोवैज्ञानिक युद्ध को बढ़ावा देकर उन देशों में भितरघात कर उसे अंदर से ही बदल डाला.

प्रथम समाजवादी देश सोवियत संघ को जहां 1956 ईसवी में बदल डाला तो वही चीन जैसे विशाल समाजवादी देश को 1976 ईस्वी में बदल डाला. समाजवादी चीन के खात्मा हो जाने के साथ ही सारी दुनिया में समाजवादी देश ढह गया. दुनिया के पटल पर समाजवादी देशों की नीतियां उलट जाने के बाद भी वह अमेरिकी साम्राज्यवादी आदमखोर के लिए खतरा बना रहा क्योंकि वह देश शक्तिशाली पूंजीवादी देश बन गया और दुनिया के बाजार पर कब्जा करने के होड़ में अमरीकी साम्राज्यवाद का प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरा. यही कारण है कि अमरीकी साम्राज्यवादी आज भी पूर्व समाजवादी देशों पर सीधा हमला करने का साहस नहीं रखता इसलिए अन्य दूसरे छोटे देशों को लगातार तंग तबाह कर रहा है.

छोटे देशों को तंग तबाह करने के अपने आक्रमक कारवाही को जायज ठहराने के लिए उल्टे-सीधे झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाता है. इसके लिए अमेरिकी साम्राज्यवाद आपने समाचार चैनल बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, सीएनएन आदि जैसे दुष्प्रचार के यंत्र का भरपूर भरपूर इस्तेमाल करने के साथ-साथ नकली वेबसाइट व फर्जी न्यूज़ एजेंसी आदि का भरपूर इस्तेमाल कर उन देशोंं के खिलाफ संगठित दुष्प्रचार का अभियान चला रही है.

अभी अमेरिकी साम्राज्यवादी आदमखोर का नया निशाना उत्तर कोरिया बन गया है. उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग के खिलाफ अब नए ढंग से दुश्प्रचार का अभियान चला रही है. उसके दुश्प्रचार के हिसाब से किम आदमखोर है, कि नाश्ते में एक गिलास ठंडा खून पीता है, कि रोज रात इंसानी मांस खाता है, कि हर अमावस्या की रात उसके दांत और नाखून बड़े हो जाते हैं और सिर पर सिंग निकल आता है … आदि जैसे फालतू और वहियात बातें साम्राज्यवादी झूठ का एक आयाम है. इसी तरह रासायनिक और परवाण्विक हथियार आदि जैसे झूठे मामले खड़ा कर इराक के खिलाफ अपने जासूसों का एक फर्जी जांच एजेंसी बैठाकर उसके तमाम ठिकानों, सैन्य संरचना, हथियार आदि का ठीक-ठीक पता कर इराक को अपने पाश्विक हमलों से पूरी तरह बर्बाद कर दिया और वहां की जनता को बर्बर मध्य युग में धकेल दिया.

मालूम हो उत्तर कोरिया का अस्तित्व में आना ही समाजवादी चीन और साम्राज्यवादी आदमखोर अमेरिका के बीच चले भयानक खूनी जंग का परिणाम है, जिसमें चीन खुलकर कोरिया के पक्ष में लड़ा था तो वहीं अमेरिकी साम्राज्यवाद उत्तर कोरिया के खिलाफ दक्षिण कोरिया की ओर से लड़ा था. दुनिया भर में विभिन्न देशों के आन्तरिक मामलों में अपनी नाक घुसेरने के लिए कुख्यात अमरीकी साम्राज्यवाद कोरिया के आंतरिक मामलों में भी अपनी नाक घुसेरकर कोरिया को दो हिस्सों में बांट डाला था. विदित हो कि उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया का निर्माण समाजवादी चीन और अमेरिकी साम्राज्यवाद के बीच चले एक भयानक रक्तपातपूर्ण युद्ध के बाद हुए समझौते का परिणाम है.

निश्चित तौर पर पूर्व समाजवादी देश आज भी सैन्य ताकत के रुप में अपना एक अहम स्थान रखता है. उसे एक-एक कर नष्ट करने की प्रक्रिया में उत्तर कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवाद का सहज ही अगला निशाना बन जाता है. अगर अमेरिकी साम्राज्यवाद अपनी दादागिरी के तहत उत्तर कोरिया को नष्ट कर पाता है तब उसका अगला निशाना चीन और फिर निश्चित रुप से रूस होगा, जो आज भी सैन्य मामलों में महाशक्ति है.

यही कारण है उत्तर कोरिया को अमेरिकी साम्राज्यवाद के किसी भी हमले के खिलाफ करारा जवाब देने के लिए अपने रासायनिक और परमाण्विक हथियार को निस्संदेह न केवल विकसित ही करना चाहिए, वरन् जरुरत पड़ने पर उसका प्रयोग अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ जमकर करना चाहिए. वही चीन और रूस को अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए भी उत्तर कोरिया के पक्ष में खुलकर डट जाना चाहिए.

भारत का शासक खेमा भाजपा आज जिस प्रकार अमरीकी साम्राज्यवाद के चरण में लोट लगा रहा है और अमरीकी प्रोपेगैंडा का शिकार होकर चीन के खिलाफ षड्यंत्र में शामिल हो गया है, वह न केवल भारत के हित में वरन् दुनिया के हित में भी कतई नही है. भारत को अमरीकी साम्राज्यवादी षड्यंत्रों से बाज आना चाहिए और दुनिया के देशों के आन्तरिक मामलों में अमरीकी नाक घुसेरने में भाजपा के अमरीकी पक्षधरता का पुरजोर विरोध होना चाहिए.

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