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अंबानी की मानहानि यानि चोरों की सीनाजोरी

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अंबानी की मानहानि यानि चोरों की सीनाजोरी

स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन ने रिलांयस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के टेलिकॉम नेटवर्क के भारत में संचालन और प्रबंधन के लिए 2014 में सात साल का करार किया था. इस दौरान आरकॉम पर एरिक्सन का 1100 करोड़ का बकाया हो गया, जिसे लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 30 सितंबर तक रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को 550 करोड़ एरिक्सन को देने को कहा था. लेकिन NCLT के आदेश के बावजूद रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) तय राशि एरिक्सन को देने में नाकाम रही. परिणामतः सुप्रीम कोर्ट ने अंबानी को देश से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया और उसके पासपोर्ट को जप्त कर लिया.

अब यही दिवालिया होने के कागार पर पहुंचे अनिल अंबानी देश को लाखों करोड़ का चूना लगाने के बाद अपने सेल्समैन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आदेश दिया कि वह राफेल डील में अंबानी की 10 दिन पुरानी कंपनी का नाम शामिल करे. अंबानी के आदेशानुसार उसके सेल्समैन नरेन्द्र मोदी ने इस दिवालिया कंपनी को देश की सरकारी एचएएल कंपनी को पीछे कर अंबानी की इस अस्तित्वहीन कंपनी का नाम आगे कर दिया, जिसकी जानकारी फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने भी अपने वक्तव्य में साफ तौर पर दी. परिणामतः राफेल डील को लेकर देश में मचे कोहराम में पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का वक्तव्य आग में घी का काम कर दिया.

अब दिवालिया होते अनिल अंबानी देश को लाखों करोड़ का चूना लगाने के बाद इस राफेल डील के नाम पर लूट के खिलाफ मचे इस कोहराम के खिलाफ देश की इसी संविधान का सहारा लेते हुए आवाज उठाने वाले उन संस्थानों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया. अनिल अंबानी ने देश के उन 15 प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया जिसको वह अपना चमचा बना पाने में काफी हद तक नाकाम रहे हैं.




हम सभी जानते हैं कि अंबानी देश का वह कॉरपोरेट घराना है जिसका हाथ हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पीठ पर होता है. दरअसल हम जिसे प्रधानमंत्री समझते हैं कि असल में वह इसी कॉरपोरेट घराने अंबानी का नौकर है, जिसके लिए नरेन्द्र मोदी देश की तमाम संसाधनों, धनों को चूस कर अपने मालिक का खजाना भरा है. अब जब इस चोरी की पोल खुल गई है तब एक ओर जहां उसके नौकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुप्पी साध ली है वहीं उसके मालिक अनिल अंबानी ने मानहानि कानून का सहारा लेकर इस लूट पर लोगों को खामोश करने का कुचेष्टा किया है.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि पंद्रह मीडिया संस्थानों पर मानहानि का मुक़दमा कर दिया गया है. इसमें अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया संस्थान हैं. कई पत्रकारों को भी नोटिस भेजने की ख़बर है. कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी मानहानि का नोटिस भेजा है. एनडीटीवी पर ही 10 हज़ार करोड़ का दावा ठोंक दिया है. नेशनल हेराल्ड पर 5 हज़ार करोड़ का दावा है. आप नेता संजय सिंह पर 5 हज़ार करोड़, अभिषेक मनु सिंघवी, सुरजेवाला और प्रियंका चतुर्वेदी पर 5-5 हज़ार करोड़, संजय निरुपम पर अन्य मामले में एक हज़ार करोड़ की मानहानि का दावा है. इसी को जोड़ लें तो 36000 करोड़ हो जाता है.

अंबानी के मानहानि के दावों से पता चलता है कि एक चोर कितना मूंहजोर हो सकता है. एक कहावत भी है चोरी और सीना जोरी. यह इस मामाले में साफ दीख रहा है. भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह के बेटे के मामले में भी मानहानि का मुकदमा चर्चित हुआ. देश में दनादन होते इस मानहानि मुकदमों से एक बात तो साफ है कि चोरों और अपराधियों का भी ‘मान’ होता है और चोर और अपराधियों को चोर और अपराधी कहने पर उसका मानहानि भी होता है. इससे एक चीज और जो साफ हो जाती है कि अंबानी के सेल्समैन नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शासनकाल में चोरी, भ्रष्टाचार, हत्या, बलात्कार अपराध की संज्ञा में नहीं आता, वरन् यही देश का भविष्य है. ईमानदारी के साथ मेहनत करना अब बीते दिनों की बात हो चुकी है. पर सच की आवाज को तो कोई भी मानहानि या आतंक दबा नहीं सकता.





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