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अभिजीत बनर्जी : जनता के कठघरे में अखबारों, न्यूज चैनलों और वेब-मीडिया के पत्रकार

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अभिजीत बनर्जी : जनता के कठघरे में अखबारों, न्यूज चैनलों और वेब-मीडिया के पत्रकार

पं. किशन गोलछा जैन, ज्योतिष, वास्तु और तंत्र-मंत्र-यन्त्र विशेषज्ञ

अखबारों, न्यूज चैनलो और वेबमीडिया के पत्रकारों !लोकसभा चुनाव के समय जिस न्याय योजना की तुमने भ्रूणहत्या कर दी थी, उसी योजना के जनक को नोबेल मिल गया और तुम्हारी पोलपट्टी खुल गयी. मैं हमेशा कहता था कि सत्य को दबाया जा सकता है, छुपाया जा सकता है, पर मिटाया नहीं जा सकता. और वो कभी न कभी प्रकट जरूर होता है. अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र में नोबेल मिलना भी ऐसा ही है. ये वो सत्य है जो नोबेल लेकर उजागर हुआ है.

तुम सभी गोदी मीडिया के पत्रकारों ने उस समय अपने प्रोग्रामों में पैनल बिठाकर न सिर्फ राहुल का मजाक बनाया था, बल्कि इस न्याय योजना को भी सिरे से नकारा था. और आज उसी न्याय योजना के जनक ने पूरे विश्व में ये साबित कर दिया कि संघी और भक्त भले ही कांग्रेस और गांंधी परिवार को कितना ही गरियाते थे, मगर देश को आगे ले जाने का सबसे श्रेष्ठ विजन और सबसे श्रेष्ठ सलाहकार सिर्फ उनके पास ही होते हैं !

भले ही कांग्रेस के कुछ नेताओ ने घोटाले किये होंगे, मगर मोदी सरकार तो पूरी की पूरी डकैत साबित हुई है, जिसने न सिर्फ जनता को बेहिसाब टैक्स के नाम पर लूट रही है बल्कि सरकारी उपक्रमों को बेचकर देश को बर्बाद भी कर रही है.

तुम पत्रकारों को ये क्या हो गया है ? तुमने तो पत्रकारिता को पोर्नकारिता में बदल दिया है. अरे पोर्न फिल्में करने वाले कलाकार भी इतने नहीं गिरे होते, जितने तुम गिर चुके हो !
किसी भी अखबार को देखो तो लास्ट पेज पर बल्क में जापानी तेल से लेकर वियाग्रा तक के विज्ञापन छपे मिलते हैं. अंदर के पेजों में बिना वजह के अभिनेत्रियों के कम वस्त्रों वाले फोटो छापकर कुछ भी लिखते हो.

न्यूज चेनलों के एंकरों की हालत तो और भी ज्यादा बदतर है. खासकर कुछ महिला एंकरों की हालत तो उस बूढ़ी घोड़ी की तरह है, जिसे लाल लगाम पहना दी गयी हो (चार किलो मेकअप लगाकर फिटींग कपड़े पहनकर खुद के शरीर को ऐसे प्रदर्शित करती है, जैसे दर्शकों को न्यूज सुनाने नहीं बल्कि अपना शरीर दिखाने आयी हो).

वेब-पत्रकार तो पूरे पोर्न-पत्रकार बन चुके हैं. अभिनेत्रियों के होठों की लिपस्टिक और सौंदर्य प्रसाधनों की खबरों में ऐसे उलझे रहते हैं, जैसे उनका यौनकुंठित मस्तिष्क उलझा रहता है (कभी बॉलीवुड, तो कभी हॉलीवुड, कभी मॉलीवूड तो कभी टॉलीवुड).

कुछ वेबमिडिया के पत्रकारों को तो जैसे ‘ऊप्स मोमेंट्स’ की तस्वीर लेने की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है. मुझे तो लगता है कि ऐसे पत्रकार खबर बनाये रखने के लिये अपनी मांं-बहन, दोस्तों, प्रेमिका-पत्नी और राह चलती अपरिचित महिलाओं की भी ‘ऊप्स मोमेंट्स’ की तस्वीरें निकालने की जुगत में लग जाते होंगे ?

ऐसी गन्दी मानसिकता वाले और पत्रकारिता को पोर्नकारिता में बदल देने वाले इन यौनकुंठित पत्रकारों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये क्योंकि शर्म तो अब इनमे रत्तीभर भी नहीं बची है.

बहरहाल, अभिजीत, एस्थर, माइकल के साथ-साथ जेएनयू, कांग्रेस और राहुल गांंधी को भी खूब-खूब बधाई !

राहुल गांंधी को इसलिये क्योंकि उन्होंने ऐसे श्रेष्ठ अर्थशास्त्री को अपना सलाहकार बनाया और देश के लोगों की भलाई के लिये ऐसी योजना लेकर आये (भले ही देश के लोगों ने उन्हें समझने में भूल की और उनको पप्पू कहकर उनका हमेशा मजाक बनाया, मगर आज साबित हुआ कि पूरा देश फेल और पप्पू पास हो गया).

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