दुनिया की सर्वाधिक भ्रष्ट पार्टी भाजपा और उसके कर्णधार देश के तथाकथित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिसे एक अन्तर्राष्ट्रीय सर्वे में विश्व के सर्वाधिक भ्रष्टों में तीसरे नम्बर पर रखा है, की दरिंदगी सैनिकों, किसानों की आत्महत्या, दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों और महिलाओं के ऊपर से गुजरती हुई अब मासूम बच्चों पर टुट पड़ी है. ग्लोबल बर्डेन आॅफ डिजिज स्टडी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में 11 रैंक नीचे गिरकर 154/195 पर आ गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में जन्मे बच्चों के जीवित रहने का आसार अफगानिस्तान तथा सोमालिया से भी नीचे है. यही नहीं पाकिस्तान, श्रीलंका, बंगलादेश, भूटान और नेपाल जैसे देश इस मामले में बेहतर रैंकिंग पर है. भारत सरकार और हमारे देश के लिए यह बेहद ही शर्मनाक है कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च के मामले में भारत सरकार कुल जीडीपी का मात्र 1 प्रतिशत खर्च करती है. उसका भी एक बड़ा हिस्सा नेताओं और अफसरों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी देश को अपने कुल जीडीपी का कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ्य तंत्र पर लगाना चाहिए. शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की जबावदेही होती है परन्तु केन्द्र की ‘‘देशभक्त’’ सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस निर्देश को भी ठेंगे पर रखते हुए स्वास्थ्य तंत्र में लगभग 75 प्रतिशत भागीदारी निजी कम्पनियों के हाथों में सौंप दिया है, जो अपने मुनाफा के लिए बच्चों के जान की आये दिन बलि ले रही है. मौजूदा गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल में काॅलेज के प्रचार्य के भ्रष्टाचार की मांग पूरी न करने और निजी कम्पनी पुष्पा सेल्स के द्वारा आॅक्सीजन की सप्लाई बंद कर दिये जाने के कारण 68 बच्चों की असामयिक मौत ने काॅरपोरेट और सरकार के जनविरोधी खूंख्वार चेहरे को बखूबी उजागर कर दिया है. “अगस्त में बच्चे मरते ही हैं” यह बयान उ०प्र० के स्वास्थ मंत्री का है। अमित शाह ने कहा था कि “इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए हैं, यह कोई पहली बार नहीं हुआ है”. मोदी सरकार स्वास्थ के मामले में भी निजीकरण को ओर बढ़ रही है और गोरखपुर में बच्चों की मौत के बाद सरकार के मंत्रियों और भाजपाध्यक्ष के गैर जिम्मेदाराना बयान से उनकी मंशा साफ दिखने लगी है. वही भाजपा का जनविरोधी और देशद्रोही भाजपा का बदशक्ल चेहरा भी सबके सामने आ गया.
जनता की स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने की जबावदेही सरकार की होती है. जनता उसे इसीलिए चुन कर भेजती भी है. पर मौजूदा वक्त में देश में दो प्रकार की चल रही सत्ता की जबावदेही अलग-अलग है. एक सत्ता काॅरपोरेट परस्त भाजपा नीत मोदी की है, जिसमें उसकी प्राथमिकता अंबानी-अदानी जैसी निजी काॅरपोरेट घरानों की सेवा करना है. उसके शोषण की क्रूर इमारत को मजबूती प्रदान करना है, वहीं देश की विशाल आबादी के शोषण को सह्य बनाना है. उसके विरोध को पुलिस और सेना के सहारे दमन करना है.
देश में चल रही दूसरी जनसत्ता है, जिसका उद्देश्य आम जनता की बुनियादी सुविधाओं को बहाल करना और उसकी बेहतरी खातिर काम करना है. इस जनसत्ता का केन्द्र दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार है, जो अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में आये दिन शानदार प्रदर्शन कर रहा है.
कहना नहीं होगा केन्द्र और राज्य की भाजपा शासित दरिंदों की सरकार (इसमें कांग्रेस भी शामिल है) आम जनता को ठगने और लूटने के लिए नित नये लोकलुभावनी जुमलों को गढ़ने में व्यस्त है तो वहीं अंबानी-अदानी के कारोबार को बढ़ाने खातिर देश के जनता के पैसों को पानी की तरह बहाकर विश्वभ्रमण कर रही है. अच्छे दिन, भारत निर्माण, काला धन, लव-जिहाद, गौ-हत्या, गोमांस, सेना, तीन तलाक, देशद्रोही, देशभक्ति, बंदे मातरम्, नोटबंदी, जीएसटी आदि जैसे फिजूल और साम्प्रदायिक नारे गढ़ कर देश की विशाल आबादी की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के साथ न केवल निर्लज्जतापूर्वक खिलबाड़ ही कर रही है वरन् देश की आम जनता को मौत के मूंह में धकेल कर, अंबानी-अदानी जैसी निजी काॅरपोरेट घरानों के बेहिसाब शोषण और लूट का मार्ग प्रशस्त कर रही है.
इस लूटेरी काॅरपोरेटपरस्त भाजपा की देशद्रोही निकम्मी सरकार मासूमों के खून से न केवल अपने हाथ ही रंग रहे हैं, वरन् देश की विशाल आबादी दलित, आदिवासी, मुसलमानों, आदिवासियों, महिलाओं की इज्जत आबरू के साथ भी खुलेआम खिलबाड़ कर रही है, और मजाक बना रही है, के खिलाफ सवाल तो ही उठना चाहिए.
Masihuddin Sanjari
August 16, 2017 at 5:34 pm
“अगस्त में बच्चे मरते ही हैं” यह बयान उ०प्र० के स्वास्थ मंत्री का है। अमित शाह ने कहा था कि “इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए हैं, यह कोई पहली बार नहीं हुआ है”। मोदी सरकार स्वास्थ के मामले में भी निजीकरण को ओर बढ़ रही है और गोरखपुर में बच्चों की मौत के बाद सरकार के मंत्रियों और भाजपाध्यक्ष के गैर जिम्मेदाराना बयान से उनकी मंशा साफ दिखने लगी है। वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ के क्षेत्र में किए गए प्रयासों और उपलब्धियों को बतौर मिसाल पेश कर के आइना दिखाने का आप का प्रयास सराहनीय है।
Rohit Sharma
August 17, 2017 at 2:30 am
हां, आप सही कहे हैं. अमित शाह का दूसरा ब्यान था, पर अन्तर्वस्तु एक ही है.