Home गेस्ट ब्लॉग 59 ग्राम गांजा पर वितंडा : अब प्रतिरोध और प्रतिकार जरूरी

59 ग्राम गांजा पर वितंडा : अब प्रतिरोध और प्रतिकार जरूरी

2 second read
0
0
778

सुशांत सिंह राजपूत की मौत से शुरु हुआ हत्या और आत्महत्या की पेंडुलम पर डोलती देश की राजनीतिक फिजा अब 59 ग्राम गांजे पर आकर टिक गई है. यह बेहद हास्यास्पद है कि भगवान शंकर के प्रसाद के बतौर साधुओं के महकमों में विचरने वाला गांजा आज भारतीय मीडिया चैनल के राष्ट्रवादियों के लिए ‘ड्रग’ बनकर सोने का अंडा साबित हो रहा है. दीपक असीम गांजे पर टिकी तथाकथित राष्ट्रवादी मीडिया के इस राजनीतिक साजिश का पड़ताल कर रहे हैं.

59 ग्राम गांजा पर वितंडा : अब प्रतिरोध और प्रतिकार जरूरी

जिस 59 ग्राम मैरुआना यानी गांजे को लेकर अफीमची मीडिया दो महीने से आसमान सिर पर उठाए है, जिस मैरूआना को नासमझ लोग खतरनाक ड्रग कह रहे हैं, जिस मैरूआना के सेवन में दीपिका पादुकोण का नाम घसीटा जा रहा है, वही मैरुआना अस्सी के दशक तक अपने देश के हर शहर में गांजा भांग की दुकानों पर मिला करता था. अमेरिका के दबाव में हमने 1985 में गांजा बैन किया और यही दो कौड़ी का गांजा अब मैरूआना यानी ड्रग हो गया. इसकी सबसे छोटी मात्रा दस ग्राम की पुड़िया हुआ करती थी, जो बैन होने से पहले साठ पैसे मात्र में मिला करती थी.

जिस मैरूआना को अमेरिका ने बैन कराया था, अब अमेरिका के ही दस प्रांतों में मैरुआना बैन नहीं है और खुलेआम उसका सेवन किया जा सकता है. कनाडा में गांजा वैध है. सबसे पहले उरुग्वे ने इसे मान्यता दी थी. गांजे पर से बैन हटवाने का काम अर्ल ब्लूमेनॉएर कर रहे हैं. यूरोपीय देशों में लक्ज़मबर्ग पहला ऐसा देश है, जिसने गांजा सेवन को शराब या तंबाकू की तरह वैध घोषित किया है.

इस समय पूरे विश्व में एक आंदोलन चल रहा है और कई भारतीय युवा भी उस आंदोलन से जुड़े हैं. इस आंदोलन के तहत मांग की जा रही है कि मारूआना को ड्रग की लिस्ट से निकाला जाए. और बात तर्कसंगत भी है. गांजा कोई केमिकलों से तैयार ड्रग नहीं है. यह बस एक पौधे की पत्तियां और कलियां हैं. पौधा गेंदे के पौधे जैसा और कुछ कुछ गाजरघास से मिलता हुआ होता है. भांग का पौधा भी लगभग ऐसा ही होता है। जानकार ही परख कर पाते हैं कि गांजा कौन-सा है और भांग का पौधा कौनसा है.

भांग को सिलबट्टे पर पीसकर पी या खाई जाती है और गांजा को तंबाकू में मिला कर सिगरेट में पिया जाता है या चिलम में. बाबा रामदेव के साथी आचार्य बालकृष्ण ने एक जगह कहा है कि गांजे का इस्तेमाल औषधी में भी किया जाता रहा है. पंतजलि भी इस पक्ष में है कि गांजे को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए जैसे पहले हासिल थी.

गांजा एक सस्ता नशा है, जिसे पीने वालों में साधुओं और फकीरों का भी बड़ा प्रतिशत है. ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि इसे पीकर लोग आत्महत्या कर लेते हैं. सुशांत केस में गांजा एक इत्तेफाक है, जिसका कोई महत्व नहीं. दो कौड़ी के गांजे को इतना बड़ा ड्रग बनाने की बजाय इलेक्ट्रानिक मीडिया को चाहिए था कि लोगों को गांजे की सच्चाई बताता. मगर उसे हकीकत से नहीं सनसनी से मतलब है. वो सुई को एटमबम साबित कर सकता है और गांजे के मामले में उसने यही किया है.

एक और बात यह कि देश के लाखों गांवों में गांजे भांग के पौधे सरकारी ज़मीनों पर ऐसे ही उगा करते हैं और नशे के ख्वाहिशमंद लोग उसे तोड़ कर उसका इस्तेमाल करते रहते हैं. जिस भांग की दुकान से भांग बिका करती है, उसी से गांजा बिका करता था. भांग हमारे एक पूर्व प्रधानमंत्री भी खाया करते थे. कल को अगर गांजा फिर लीगल हो गया, जिसके लिए कोशिशें जारी हैं, तो ये फिर उसी भांग की दुकान पर मिला करेगा और दस ग्राम की पुड़िया बमुश्किल दस रुपये की होगी. इसलिए मेरूआना नाम सुन कर रोमांचित ना हों. यह गांजा है, जिसे सुल्फा भी कहते हैं.

59 ग्राम गांजा मिलने पर रिया चक्रवर्ती को जेल में डाले रखना राजनीति है. दीपिका पादुकोण ने छटे चौमासे कभी गांजा पिया भी हो, तो ये कोई फांसी पर चढ़ा दिये जाने लायक अपराध नहीं है. इलेक्ट्रानिक मीडिया ने फिजूल का वितंडा खड़ा कर रखा है, जिसका अब प्रतिरोध और प्रतिकार ज़रूरी है.

Read Also –

सुशांत सिंह राजपूत : काले धन का स्याह सच और चुनाव की बैतरणी
मीडिया की भूमिका : सत्ता और पूंजी की दलाली या ग्रांउड जीरो से रिपोर्टिंग
प्रतिभा एक डायरी स्वतंत्र ब्लाॅग है. इसे नियमित पढ़ने के लिए सब्सक्राईब करें. प्रकाशित ब्लाॅग पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है. प्रतिभा एक डायरी से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर हैण्डल पर फॉलो करे…]

Load More Related Articles
Load More By ROHIT SHARMA
Load More In गेस्ट ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

कामरेडस जोसेफ (दर्शन पाल) एवं संजीत (अर्जुन प्रसाद सिंह) भाकपा (माओवादी) से बर्खास्त

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने पंजाब और बिहार के अपने कामरेडसद्वय जोसेफ (दर्शन पाल…