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विश्व गुरु बनने की सनक

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विश्व गुरु बनने की सनक

विश्व गुरु बनने और बनाने की सनक ने रक्तपिपासु पिशाच को देश की सत्ता पर पर स्थापित कर दिया है, जो पिछले 6 सालों से लोगों का खून पी रही है, जिसने केवल लॉकडाऊन के नाम पर 92 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. अब वह अपने हर कृत्यों को जायज ठहराने के लिए भारत की प्रचीन आडम्बरों, अंधविश्वासों व मनुस्मृति आधारित व्यवस्था को महिमामंडित कर देश में एक बार फिर से स्थापित करने की मुहिम चला रहा है.

मोदी सरकार की इस घृणास्पद मुहिम में एक ओर तो देशभर में हत्यारे, बलात्कारी, मॉबलिंचर, अवैज्ञानिक कल्पित गाथाओं का महिमामंडन शुरू कर दिया है, जिसे ये विकृत मानसिकता वाली मोदी सरकार ने बकायदा प्रधानमंत्री पद का इस्तेमाल कर कर रहा है. दूसरी ओर शिक्षण संस्थानों को हतोत्साहित करना, उसे बदनाम करना, पढ़ाई-लिखाई करने वाले स्कॉलर्स को बेवकूफ बताना और देश के विद्वानों, डॉक्टरों, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों व हर प्रगतिशील ताकतों यहां तक कि किसानों को भी देशद्रोही, आतंकवादी, माओवादी, गुंडा, चोर बता कर या तो गोली से उड़ाया जा रहा है अथवा जेलों में अनिश्चित काल के लिए बंद किया जा रहा है.

केन्द्र की आवारा अवैज्ञानिक सरकार के इस कुकृत्यों में संवैधानिक संस्थाओं मसलन, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई, पुलिसिया विभाग जैसी तमाम संस्थाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसी भयावह परिस्थिति में जब देश को एक काल्पनिक कोरोना महामारी के नाम पर जंजीरों में घसीटकर पीछे की ओर घसीटा जा रहा है, तब हमें अपने अतीत की भयानकता का अहसास होना चाहिए. सोशल मीडिया पर जारी किया गया यह एक आंकड़ा है जिसके सहारे हम अपनी आप को जान सकते हैं कि हमें विश्व गुरु बनाने का झांसा देकर आखिर कहां पहुंचाया जा रहा है.

लोग कहते हैं कि यह दुनिया भगवान ने बनाई है, तो हम पहले भगवान को जानेंगे कि वे है कहांं ? हम देखते हैं कि भगवान तो भारत के कोने कोने, गली गली विराजमान है. जिस देश में हर गली, खोची, चौक, चौराहा, भगवान मौजूद हो, तो वहां का इंसान भी काफी विकास किया गया होगा ? उसमें काफी वैज्ञानिकता होगी ? जब हम पता लगाते हैं यहांं की वैज्ञानिकता को तो मालूम होता है कि यहांं का इंसान एक साइकिल की छूछी भी नहीं बना पाया, तो यहांं का भगवान दुनिया क्या खाक बनाएगा. फिर भी हम चलते हैं थोड़ा और आगे, ताकि कुछ और रहस्य जाना जाय.

पूरी दुनिया में जितने भी उपकरण उपलब्ध है उसको कोई न कोई तो बनाया ही होगा तो आइए पता लगाते हैं कि किस उपकरण को किसने बनाया और वह कहांं का इंसान है ?

विदेशियों द्वारा की गई खोज, जिसे हम भारतीय हिकारत की नजर से देखते हैं.

क्रम संख्या – उपकरण का नाम – खोज कर्ता – देश

01. इलेक्ट्रान – एम० जे० थॉमसन – इंगलैंड
02. प्रोट्रान – गोल्डस्टीन
03. प्रोटोन – ई. रदरफोर्ड – इंग्लैंड
04. न्युट्रान – जेम्स चैडविक – इंग्लैंड
05. साइक्लोट्रान – लारेन्स – अमेरिका
06. यूरेनियम – मार्टिन क्लाप्रोथ – जर्मनी
07. नाभिक – रदरफोर्ड
08. नाभिकीय रिएक्टर – एनरिको फर्मी
09. ओजोन – क्रिश्चियन शोनबीन – जर्मनी
10. साइकिल – जॉन के. मैकमिलन – स्कॉटलैण्ड
11. साइकिल टायर – जॉन डनलप – ब्रिटेन
12. मोटरसाइकिल – जी डैमलर – जर्मनी
13. स्कूटर – जी. ब्राडशा – ब्रिटेन
14. परमाणु संख्या – हेनरी मोसले – इंग्लैंड
15. परमाणु सिद्धान्त – जान डाल्टन – इंग्लैंड
16. परमाणु बम – ऑटो हान – इंगलैंड
17. परमाणु संरचना – नील बोहर व रदरफोर्ड –
18. रेडियो टेलीग्राफी-डेविड एडवर्ड ह्यूज – ब्रिटेन
19. रेडियो टेलीग्राफी – जी. मारकोनी – इटली
20. रेडियो धर्मिता – एंटोइन बैक्वेरल – फ्रांस
21. रेडियो सक्रियता – हेनरी बेकरल
22. रेडियम – मैरी क्यूरी और पोयरी – फ्रांस
23. डायनामाइट – अल्फ्रेड नोबेल
24. पी. एच. स्केल – एस. पी. सोरेन्सन
25. हाइड्रोजन – हैनरी केवेन्डिश – इंग्लैंड
26. नाइट्रोजन – डनियल रदर फोर्ड – इंगलैंड
27. प्लूटोनियम – जी. टी. सीबोर्ग – अमेरिका
28. मैग्नीशियम – एस. हम्फ्री डेवी – इंग्लैंड
29. फोटोग्राफी (धातु में) – एल. डेंग्यूरे, जे. निप्से
30. फोटोग्राफी (कागज) -डब्ल्यू. फॉक्स टालबोट
31. फोटोग्राफी (फ़िल्म ) -जॉन कार्बट – अमेरिका
32. ऑक्सीजन – कार्ल विल्हेम श्ली, जोजेफ प्रीस्टली – स्वीडन (यूनाइटेड किंगडम)
33. अक्रिय गैस ऑर्गन – रैमज़े और रैले
34. थोरियम – बर्जीलियस
35. टेलीविजन(मैकेनिकल) – जॉनलॉगी बेयर्ड – इंग्लैंड (ब्रिटेन)
36. टेलीविजन(इलेक्ट्रानिक)- पी. टी. फार्न्सबर्थ- अमेरिका
37. बैरोमीटर – इवेंजलिस्ता टौरसेली – इटली
38. रेल इंजन- जार्ज स्टीफेंसन- युनाइटेड किंगडम
39. भाप इंजन (कंडेंसर) – जेम्स वॉट – स्कॉटलैंड
40. भाप इंजन (पिस्टन) – धाम न्यूकोमेन – ब्रिटेन
41. डीजल इंजन – रुडॉल्फ कार्ल डीजल – जर्मनी
42. लोकोमोटिव रेल – रिचर्ड ट्रेकिथिक – ब्रिटेन
43. जेट इंजन – सर फ्रैंक व्हिटले – इंगलैंड( ब्रिटेन
44. दूरबीन – गैलीलियो – इटली
45. बाईफ़ोकल लेंस – बेंजामिन फ्रैंकलिन – अमेरिका
46. इलेक्ट्रो मैग्नेट – विलियम स्टारजन – ब्रिटेन
47. एक्स किरण – विल्हेम के. रोन्टेजन – जर्मनी
48. कॉस्मिक किरणे – विक्टर हेस – ऑस्ट्रिया
49. लघु गणक – जॉन नेपियर
50. वायरलेस रेडियो – मारकोनी
51. टेलीफोन – अलेक्जेंडर ग्राहम बेल – अमेरिका
52. ग्रामोफोन – टामस एल्वा एडिसन – अमेरिका
53. बिजली बल्ब -टामस एल्वा एडिसन -अमेरिका
54. फ़िल्म (चलचित्र) – लुइस प्रिन्स – अमेरिका
55. फ़िल्म (बोलती) – जे. इंगल, जे. मुसेलो व एच. वोग्त – जर्मनी
56. फ़िल्म (संगीत ध्वनि) – डॉ० लि. उ. फारेस्ट – अमेरिका
57. सिनेमा – लाउस निकोलस और जीन लुमियर – फ्रांस
58. मोटर बैटरी – टामस एल्वा एडिसन – अमेरिका
59. बिजली की मशीन – माइकेल फैराडे – इंगलैंड
60. डायनेमो – माइकेल फैराडे – इंगलैंड
61. विधुत धारा – वोल्ट – इटली
62. विधुत चुम्बक – विलियम स्टरजियन – इंग्लैंड
63. विधुत अपघटन के नियम – माइकेल फैराडे – इंग्लैंड
64. विधुत चुम्बकीयप्रेरण -माइकेल फैराडे -इंगलैंड
65. विधुतीय चुम्बक तरंगे – हेनरिच हर्ट्ज – जर्मनी
66. विधुतीय चुम्बकत्व – एच. सी. आर्सटेड – डेनमार्क
67. विधुत संवहन का नियम -जार्ज ओहम- जर्मनी
68. विधुत चुम्बक आकर्षण का सिद्धांत – ए. एम्पीयर – फ्रांस
69. विधुत आकर्षण के नियम – कुलम्ब
70. गुरुत्वाकर्षण और गति का नियम – आइजक न्यूटन – इंगलैंड
71. वस्तुओं के गिरने का सिद्धांत – गैलिलियो – इटली
72. मोबाइल फोन – जॉन एफ. मिशेल एवं मार्टिन कूपर – अमेरिका
73. फेसबुक – मार्क जुकरबर्ग – हॉवर्ड
74. वाट्सएप – ब्रायन एक्टन, जेन कूम – अमेरिका
75. फाउंटेन पेन – लेविस ई. वाटरमैन – अमेरिका
76. बॉल पाइंट – जॉन जे. लाउड – अमेरिका
77. घड़ी – बारथोलोम्यू – इटली
78. घड़ी यांत्रिक – आई सिंग व लियांग सैन – चीन
79. घड़ी पेंडुलम – क्रिश्चियन ह्युगेन्स – नीदरलैंड
80. थर्मोस्कोप – गैलीलियो गैलीलेई – इटली
81. थर्मामीटर – डेनियल गैबरियल फारेनहाइट – जर्मनी
82. विधुत पंखा – हीलर स्कॉट ह्वीलर – अमेरिका
83. जहाज (भाप) – जे. सी. पेरियर – फ्रांस
84. जहाज (टरबाइन) – होन. सर सी. पारसंस- इंग्लैंड
85. हवाई जहाज – राइट ब्रदर्स – अमेरिका
86. समुद्री जहाज – डेविड बुशनेल – अमेरिका
87. वायुयान – ओरविल, विलबर राइट – अमेरिका
88. प्रोपलर (जलयान) – फ्रांसिस स्मिथ – ब्रिटेन
89. हेलीकॉप्टर (प्रारूपिक) – लाउन्वाय एवं बियेन्वेनु, इटनी ओहमिकेन – फ्रांस
90. हेलिकॉप्टर (मानव चलित) – ई आर मम्फोर्ड – ब्रिटेन
91. कार्बन पेपर – राल्फ वेजवुड – इंग्लैंड
92. कम्प्यूटर – चार्ल्स बैवेज – ब्रिटेन
93. कम्प्यूटर – ब्लेज़ पास्कल – फ्रांस
94. इले. कम्प्यूटर – हावर्ड आइकॉन
95. इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर – डॉ. एलान एम. तुरिंग – इंगलैंड
96. चीप (Memory Card)
97. प्रिंटर – जे. डब्लू. रावैल – अमेरिका
98. प्रिंटिंग प्रेस – जॉन गुटेनबर्ग – जर्मनी
99. वाशिंग मशीन – हर्ले मशीन कम्पनी – अमेरिका
100. एयर कंडीशनर – कारकर
101. रेफ्रीजरेटर – जे. परकिंस – इंगलैंड
102. रेफ्रिजरेटर – जेम्स हेरिसन व अलेक्जेंडर केटलिन – अमेरिका
103. सौरमंडल का केंद्र सूर्य – कोपर्निकस – पोलैंड
104. ग्रहों की खोज – केपलर – जर्मनी
105. ग्रह (नेप्च्यून) – जे. गेली – जर्मनी
106. ग्रह (प्लूटो) – सी. टॉमबॉम – अमेरिका
107. ग्रह (युरेनस) – विलियम हेर्सचेल – इंग्लैंड
108. सापेक्षता का सामान्य सिद्धान्त – एल्बर्ट आइंस्टीन – स्विट्जरलैंड
109. हीलियम – एस. डब्ल्यू. रैमसे – इंगलैंड
110. एंड्रोमिड आकाशगंगा-साइमन मेरियस -जर्मनी
111. एलार्म घड़ी – ———————– – ग्रीस देश
112. कलकुलेटर – ब्लेज़ पास्कल – फ्रांस
113. विधुत बैटरी – अलेसांड्रा वोल्टा – इटली
114. लिफ्ट – एलिशा ओटिस – इंगलैंड
115. ट्रेक्टर – रावर्ड फोरमिच – अमेरिका
116. माइक्रोमीटर – विलियम कोजिन – ब्रिटेन
117. मशीन गन – सर जेम्स पुक्ले – ब्रिटेन
118. माइक्रोस्कोप – जेड जानसेन – नीदरलैंड
119. माइक्रोफोन -अलेक्जेंडर ग्राहम बेल – अमेरिका
120. माइक्रोप्रोसेसर – एम. ई. हौफ – अमेरिका
121. प्रेशर कुकर – डेनिस पैपिन – इंगलैंड (फ्रांस)
122. पेपर – मुलबेरी – चीन
123. सिलाई मशीन – हैरे – अमेरिका
124. सिलाई मशीन – बार्थलेमी थिम्मोनियर- फ्रांस
125. रिवाल्वर – सेमुअल कोल्ट – अमेरिका
126. राइफल – जोसफ कोटटार – जर्मनी
127. रॉकेट – रॉबर्ट एच. गोडार्ड – अमेरिका
128. सेफ्टी पीन – वाल्टर हन्ट – अमेरिका
129. रेजर सेफ्टी – किंग सी. जिलेट – अमेरिका
130. रेजर विधुत – जैकब शिक – अमेरिका
131. सेफ्टी मैच – जान वाकर – ब्रिटेन
132. सेफ्टी लैम्प – हम्फ्रेडेवी – ब्रिटेन
133. टैंक – सर अर्नेस्ट स्विंटन – इंगलैंड (ब्रिटेन
134. टाइप राइटर – सी. शोल्स – अमेरिका
135. टाइप राइटर – पेलेग्रीन टेर्री – इटली
136. फोटो स्टेट – कार्लसन – अमेरिका
137. एल्यूमीनियम – हैंस क्रिश्चियन ओरसेड – डेनमार्क
138. अंधों की लिपि – लुई ब्रेल – फ्रांस
139. तड़ित चालक – बैंजामिन फ्रेंकलिन – अमेरिका
140. टेलीग्राफ यांत्रिक – एम. लम्मोंड – फ्रांस
141. टेलीग्राफ कोड – सैमुअल मोर्स – अमेरिका
142. मोटर कार – ऑस्टिन
143. मोटर कार (वाष्प) – निकोलस कुगनाट – फ्रांस
144. मोटर कार(आन्तरिक दहन) – सैमुअल ब्राउन – ब्रिटेन
145. मोटर कार (पेट्रोल) – कार्ल बेंज – जर्मनी
146. कॉर्ब्युरेटर – जी. डैमलर – जर्मनी
147. स्टेथोस्कोप – लाईनक
148. टेलिस्कोप – हेन्स लिपरशे – नीदरलैंड्स
149. क्लोरोफार्म – एफ. सोबरन
150. रिकार्ड (लांग प्लेइंग) – डॉ. पीटर गोल्डमार्क – अमेरिका
151. लेसर – चार्ल्स थियोडर मैमन – अमेरिका
152. बनसेन बर्नर – आर. विल्हेम वोन बनसेन- जर्मनी
153. सीमेंट – जोसेफ अरगडिन – इंगलैंड(ब्रिटेन
154. इलेक्ट्रिक लेम्प – थॉमस एल्वा एडिसन- अमेरिका
155. इलेक्ट्रिक मोटर (AC) – जिनोब ग्रेम – बेल्जियम
156. इलेक्ट्रिक मोटर (DC) – निकोला टेस्ला – अमेरिका
157. ग्लाइडर – सर जार्ज केले – इंगलैंड(ब्रिटेन
158. लाउडस्पीकर – हॉरेस शोर्ट – इंगलैंड,ब्रिटेन)
159. पैराशूट – ए. जे. गारनेरिन व जीन पियरे क्लानचार्ड – फ्रांस
160. स्लाइड रूल – विलियम ऑफ़ट्रेड – इंगलैंड
161. स्टेनलेस स्टील – हेरि ब्रियरले – इंग्लैंड
162. ट्रांसफार्मर – माइकल फैराडे – इंग्लैंड (ब्रिटेन
163. ट्रांजिस्टर – जॉन बरडीन, विलियम शाकले, व वाल्टर बर्टन – अमेरिका
164. क्लोरीन – कार्ल शीले – स्वीडन
165. ग्रहों की गति का सिद्धांत – जे. कैप्लर – जर्मनी
166. निकिल – ए. क्रोन्सटेड – स्वीडन
167. क्वांटम सिद्धांत – मैक्स प्लैक – जर्मनी
168. कताई मशीन – सैमुअल क्रॉम्पटन – ब्रिटेन
169. कारपेट स्वीपर – मेलविल बिसेल – अमेरिका
170. क्रोनोमीटर – जॉन हैरीसन – जर्मनी
171. गैल्वेनोमीटर – एंड्रे मेरी एम्पियर – फ्रांस
172. डेन्टल प्लेट – ऐन्थोनी प्लेट्सन – अमेरिका
173. डिस्क ब्रेक – एफ. लेचेस्टर – ब्रिटेन
174. गैस लाइटिंग – विलियम मरडॉक – ब्रिटेन
175. गैस फायर – फिलिप लेबन – फ्रांस
176. गाइरो कम्पास – सर अल्पर स्पेरी – अमेरिका
177. गीगर काउंटर – हैन्स गीगर – जर्मनी
178. स्काच टेप – रिचर्ड ड्र – अमेरिका
179. स्वतः चालक – चार्ल्स कैटरिंग – अमेरिका
180. स्काईस्क्रेपर – विलियम जेनी – अमेरिका
181. लॉगरिथ्म – जॉन नेपियर – स्कॉटलैंड
182. नियोन लैम्प – जार्ज क्लाड – फ्रांस
183. प्लास्टिक – अलेक्जेंडर पार्कस – ब्रिटेन
184. नायलॉन – डॉ० वालेस कैरायर्स – अमेरिका
185. स्टील – हेनरी बेसेमर – ब्रिटेन
186. सुपर कंडक्विटी -एच. के. ओनेस – नीदरलैंड
187. सेलूलाइड – अलेक्जेंडर पार्क – ब्रिटेन
188. हॉरपीडो – रॉबर्ट ह्वलईटहेट – ब्रिटेन
189. टेरिलीन – विनफील्ड व डिक्सन – ब्रिटेन
190. वेल्डिंग मशीन (विधुत) – एलिसा थॉमसन – अमेरिका
191. होवरक्राप्ट – सर क्रिस्टोफर कांकरेल – ब्रिटेन
192. पेनिसिलिन – एलेक्जेंडर फ्लेमिंग – इंग्लैंड
193. प्रकाश का वेग – फिजियाऊ – इंगलैंड
194. प्रकाश विधुत प्रभाव – अल्बर्ट आइंस्टीन –
195. पाकिक मीटर – कार्लटन मैगी – अमेरिका
196. पाश्चुरीकरण – लुई पाश्चर – फ्रांस
197. रडार – रॉबर्ट वाटसन वाट – स्कॉटलैंड
198. रबर (पौधों का दूध) – डनलप रबर कंपनी – ब्रिटेन
199. रबर (टायर) – थॉमस हॉनकाक – ब्रिटेन
200. रबर (जलरोधी) – चार्ल्स मैकिनटोस – ब्रिटेन
201. रबर(वलक्निकृत)-चार्ल्स गुड़इयर- अमेरिका
202. लाइटिंग कंडक्टर – बेंजामिन फ्रेंकलिन – अमेरिका
203. लिनोलियम – फ़्रेडिक बाल्टन – ब्रिटेन
204. थर्मस फ्लास्क – डेवार – अमेरिका
205. आवर्त सारणी – मैण्डलीफ़
206. तैरने के नियम – आर्कमिडीज
207. तापायनिक उत्सर्जन – एडिसन
208. डायोड बाल्व – सर जे. एस. फ्लेमिंग
209. ट्रायोड बाल्व – डॉ ली. डी. फोरेस्ट
210. साइकिल की पुरानी छूछी – जॉन डनलप – ब्रिटेन
211. साइकिल की नई छूछी -( )- चीन
212. मानचित्र – सुमेरियनो द्वारा – 2250 ई० पू०

ऐसे और भी न जाने कितने ही आविष्कार अथवा कार्य जिनकी शुरुआत विदेशों से हुई और इनको फॉलो करते हुए अन्य देश तरक्की की राह पर अग्रसर हैं. मगर विश्व गुुुरु भारत भी पीछे नहीं है. यह भी बहुत कुछ खोज किया जो दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक इस फार्मूले को आज तक समझ नहीं पाए. आइए जानें यहांं का विश्व प्रसिद्ध खोज, जिस पर हम और हमारी सरकार नाज करती है और खुद को विश्व गुरु मानती है.

भारतीयों की खोज एवं आविष्कार, जिस पर हम गर्व करते हैं और इसका परचम पूरी दुनिया में फहराने के लिए हमने केन्द्र में अनपढ़ हत्यारे को अपना प्रधानमंत्री बनाया है :

01. भूत-प्रेत
02. राक्षस
03. चुड़ैल
04. आत्मा
05. आध्यात्मिक शक्ति
06. देवी
07. देवता
08. सबकी अलग-अलग दिन पूजा
09. सबकी अलग अलग हथियार
10. देवी-देवताओं में अपार शक्ति
11. अनाज की देवी
12. धन की देवी
13. शिक्षा की देवी
14. मजदूर (कामगार) की देवी
15. भूत-प्रेत से बचाने वाले देवी-देवता
16. ग्रहों की दिशा बदलने वाले देवता
17. प्रकोप दूर करने वाले देवता
18. अनेक व्रत/उपवास
19. सर्वाधिक मंदिरों का निर्माण
20. सर्वाधिक आध्यात्मिक गुरु
21. धन वर्षा मंत्र
22. उपवास से इलाज कराने वाले ढोंगी
23. मन चाहा प्यार का मंत्र
24. नौकरी में प्रमोशन मंत्र
25. व्यापार में लाभ का मंत्र
26. गृह क्लेश से छुटकारा मंत्र
27. वशीकरण मंत्र
28. विज्ञान की जगह आध्यात्मिक शिक्षा
29. बाल विवाह
30. सती प्रथा
31. जाति वर्ग
32. शिक्षा का एकाधिकार
33. व्यापार का एकाधिकार
34. वैज्ञानिकता को आध्यात्मिकता से जोड़ना
35. स्त्री को अधिकार देने पर हंगामा
36. गोबर में भगवान
37. पेड़ में भगवान
38. पत्थर में भगवान
39. जानवर में भगवान
40. कण – कण में भगवान
41. गाय के मूत्र से सिंहासन, मकान, यज्ञ आदि को शुद्ध करना
42. जानवरों की बलि से देवी-देवता की खुशियां
43. औजार बनाने वाला भगवान (एक साइकिल की छूछी भी नहीं बना पाया)
45. तीनों लोक देखने वाला भगवान (अपने ही पुत्र को नहीं पहचाना)
46. पढ़ा – लिखा जानवर
47. सोना का जिंदा जानवर
48. बिना ईंधन का उड़ने वाला यन्त्र
49. सूर्य को निगल जाने वाला शक्ति
50. पुआल, मिट्टी और पेंट से बना हुआ जानवर की मूरत को भगवान मानना, पूजा भी करना और उसी से बहुत डरना भी. गजब का रिसर्च किया है भारत में.

इससे भी बढ़कर भारत में एक हत्यारा, बलात्कारी और मनोरोगी को देश का प्रधानमंत्री बना दिया है, जो अब अपने नित नये नये आविष्कार से दुनिया को चमत्कृत करता रहता है. मसलन, नाली के दुर्गन्ध से से चाय बनाना, हवा से ऑक्सीजन और पानी निकालना वगैरह. बहरहाल विश्व गुरु बनने की सनक ने देश को मूर्खों के हाथों बंधक बनाकर रख दिया है.

इन हालात को देखकर राम चन्द्र शुक्ल लिखते हैं – आज तक इंसान ने दुनिया में जो कुछ भी हासिल किया है वह शारीरिक व मानसिक श्रम की बदौलत हासिल किया है. हवाई जहाज, रेलगाड़ी, मोटरकार, मोटर साइकिल, साइकिल, रेडियो, टेलीफोन, टी वी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, घडियां तथा कम्प्यूटर आदि का आविष्कार मनुष्य द्वारा किए गए निरंतर मानसिक व शारीरिक श्रम के बल बूते हुआ है.

इसी तरह से बड़ी-बड़ी चौडी सड़कें, रेल लाइनें, भवन, कपड़े, अनाज जिसे खाकर हम जिंदा है, फल-दूध व सब्जियां भी इंसान की मेहनत के बल बूते पैदा होती हैं परंतु हमारे देश में श्रम व श्रमिकों को बदहाली का जीवन जीना पड़ रहा है. प्रेमचंद ने खुद को कलम का मजदूर बताते हुए लिखा था कि वे जब तक 5-6 घंटे लेखन कार्य न कर लें, तब तक उन्हें लगता था कि वह दिन बिलकुल खाली निकल गया. प्रेमचंद द्वारा लिखा गया इतना सारा साहित्य (10 से अधिक उपन्यास तथा 300 से अधिक कहानियां) उनके 56 साल के छोटे से जीवन में निरंतर किए गए श्रम की देन हैं.

सारे ज्ञान, कला, साहित्य व विज्ञान का आधार भी श्रम व संघर्ष ही है. जिस विज्ञान के बल बूते पर दुनिया में आधुनिक तकनीकों का विकास हो रहा है, वे वैज्ञानिक उपलब्धियां तथा आविष्कार अनवरत संघर्ष व श्रम के जरिए ही हासिल किए गए हैं. इंसानों को परखने का मेरा तो मापदंड ही यही है कि वह खुद शारीरिक या मानसिक श्रम करता है या नहीं. अगर सक्षम होते हुए भी कोई शारीरिक व मानसिक श्रम नहीं करता है तो वह हरामखोर तथा परजीवी है तथा दूसरों का शोषण करने वालों की जमात में शामिल है.

जिन मनुष्यता, किसान व मेहनतकश विरोधी शक्तियों के शिकंजे में मानव सभ्यता वर्तमान समय में फंसी हुई है, उसमें वह जादा दिन तक नहीं रहेगी. जल्दी ही ये बाधाएं खत्म होंगी और इन बाधाओं को मेहनत करने वाले ही खत्म करेंगे.

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ROHIT SHARMA

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