कृष्ण अय्यर
मैंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि अब भारत के पास नोट छापने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और कल उदय कोटक, कोटक महिंद्रा बैंक ने NDTV पर बोला कि अब अगर भारत सरकार नोट नहीं छापती है तो इकॉनमी को बचाना मुश्किल है.
नोट प्रिंटिंग दोधारी तलवार है और इसकी जिम्मेदारी केंद्र की है, पर मैंने ये भी लिखा था कि नोट छापने का पूरा भार राज्यों पर डाल दिया जाएगा या RBI को इकॉनमी में पैसे डालने कहा जाएगा. दोनों बातें गैर-संवैधानिक है. (नोट प्रिंटिंग भी होगी और गैर-संवैधानिक तरीके से होगी).
उदय कोटक साहब ने कुछ बातें और कही है जो राहुल गांधी 2019 से मांग कर रहे हैं –
- NYAY योजना लागू किया जाए. कम से कम जीडीपी का 1% NYAY में दिया जाए, यानी 2 लाख करोड़ (राहुल गांधी 2% की बात करते हैं)
- 75% वै-क्सीन केंद्र खरीद कर राज्यों को दे. बाकी 25% प्राइवेट सेक्टर सम्हाले, पर वै-क्सीन का मूल्य पूरे देश में एक हो. राहुल गांधी के सुझाव भी लगभग ऐसे ही हैं.
- MSME को सहायता 3 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ की जाए. उदय कोटक साहब लोन की बात कर रहे हैं, पर राहुल गांधी लोन के अलावा टैक्स ब्रेक और अन्य सुविधाओं की बात करते हैं.
उदय कोटक साहब ने ये बातें कैसे की, यही सबसे बड़ा आश्चर्य है. क्या मोदी का खौफ खत्म हो गया या फिर उद्योगपतियों में विद्रोह के सुर हैं ?
उद्योगपतियों में विद्रोह का कारण भी बनता है : इस वक्त उद्योगपति जीडीपी का 2% से भी कम कमा रहे है. कांग्रेस के वक्त उद्योगपति जीडीपी का 6% कमाते थे. खैर नोट प्रिंटिंग पर ध्यान रखिए. कुछ होने वाला है.
नोट प्रिंटिंग तय है और ‘इनडायरेक्ट नोट प्रिंटिंग’ या ‘डेफिसिट मोनेटाइजेशन’ तो चल रही है. कंकाल निकलने लगे –
- RBI ने कैसे केंद्र को 99,000 करोड़ दिए ? कुछ इकोनॉमिस्ट ने कहा था कि RBI डॉलर की ट्रेडिंग कर रही है और ट्रेडिंग का मुनाफा केंद्र को दे रही है. इसे बहुत खतरनाक और गलत परम्परा माना गया है.
- RBI ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि केंद्र को दिए 99,000 करोड़ का बड़ा हिस्सा असल में डॉलर ट्रेडिंग का मुनाफा है. (RBI में सट्टा ?), ये एक प्रकार की नोट प्रिंटिंग ही है.
RBI के पास सस्ते में खरीदे हुए डॉलर हैं. RBI के डॉलर का एवरेज है 55 रुपये. RBI ने देश के इसी सस्ते डॉलर को 72-75 रुपये बिच बेच कर मुनाफा केंद्र को दिया. (ये डॉलर पिछले 70 सालों की जमा पूंजी है.)
- जुलाई 2020 से मार्च 2021 तक डॉलर बेच कर RBI ने 50,000 करोड़ से ज्यादा कमाए. (9 महीने की ट्रेडिंग).
- 2019-20 में डॉलर ट्रेडिंग का मुनाफा था 30,000 करोड़.
- RBI ने सस्ते डॉलर बेचे और मार्केट रेट पर डॉलर खरीदे यानी ये केवल ‘बुक ट्रेडिंग’ है. इस ट्रेडिंग को केवल RBI से पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल किया, पर RBI के पास डॉलर आज भी उतने ही है.
मजे की बात है कि RBI ने ये डिविडेंड 9 महीने के लिए दिया है, जो पिछले बार के 12 महीने के डिविडेंड से लगभग डबल है. (ये एकाउंटिंग ईयर बदल कर की गई जटिल प्रक्रिया है).
पहले RBI ऐसी ट्रेडिंग नहीं करती थी.और ट्रेडिंग हुई तो मुनाफा सरकार को नहीं दिया जाता था, पर अब कानून बदल दिया गया है. RBI एवरेज डॉलर प्राइस निकाल कर डॉलर ट्रेडिंग कर कितना भी पैसा सरकार को दे सकती है.
नोट प्रिंटिंग का पहला असर महंगाई है. महंगाई आपके सामने है. नोट प्रिंटिंग का दूसरा असर रुपया का अवमूल्यन है, जिसका इंतजार कीजिए.
CNBC बता रहा है कि नोट प्रिंटिंग कैसे होगी तो उदय कोटक साहब बता रहे हैं कि कितना नोट प्रिंट करना है. तो कब होगा श्री गणेश ?
CNBC ने बहुत ट्रेडिशनल नोट प्रिंटिंग का सुझाव दिया है, समझिए इसे –
- सरकार ‘महामारी स्पेशल बांड’ RBI को बेचेगी. यानी सरकार RBI से पैसे मांगेगी.
- RBI सरकार के बांड खरीद लेगा. यानी RBI नोट छाप कर सरकार को पैसे दे देगा.
सरकार इन पैसों को खर्च करेगी. इससे डिमांड बढ़ेगी और जिस दिन RBI को बाजार से पैसे वापस लेने हो RBI इन बांड को बाजार में बेच देगी. यानी RBI अपने पैसे वापस मांग लेगी.
उदय कोटक कह रहे हैं कि कम से कम 4 लाख करोड़ यानी जीडीपी का 2% नोट प्रिंटिंग हो और 2 लाख करोड़ की NYAY योजना शुरू की जाए. (कोटक साहब को डर नही लगता ?)
नोट प्रिंटिंग शायद हर हाल में होनी है क्योंकि सरकार का घाटा बजट का 10% है. इतना पैसा तो बाजारों से उधार लेना ही पड़ेगा. अगर इतना बड़ा उधार लेंगे तो इंटरेस्ट रेट ऊपर चली जाएगी. इससे बेहतर है नोट प्रिंटिंग.
RBI के पास आलरेडी नोट प्रिंटिंग स्कीम है जिसे ‘गवर्नमेंट सिक्योरिटीज एक्वीजिशन प्रोग्राम’ या ‘GSAP’ कहा जाता है. अगस्त-दिसंबर 2021 तक नोट प्रिंटिंग की घोषणा होनी चाहिए.
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