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चुनाव आयोग के चुनावी नौटंकी के बाद असली वोटिंग

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चुनाव आयोग के चुनावी नौटंकी के बाद असली वोटिंग

चुनाव आयोग ने चुनाव के नाम पर 7 चरणों वाली चारणगीत की जो पटकथा लिखी, वह दल्लों के इतिहास की सबसे बड़ी नौटंकी है, जो उसने एक संवैधानिक संस्था के रुप में खेली है. इस खेल में वोट डालने के लिए लोगों को प्रेरित करने के नाम पर मेहनतकश लोगों के मेहनत की कमाई के हजारों करोड़ रुपए फूंक दिए. करोड़ों लोगों को लाईन में लगा कर वोटिंग के नाम पर धूप और धूल में खड़े करवाये. सैकड़ों लोग घायल हुए. पर किसे पता था कि असली वोटिंग तो रात के अंधेरे में एसी कमरों में बैठकर खेली जा रही है.

चुनाव आयोग जो भाजपा का एजेंट बन गया है, भाजपा को दुबारा सत्ता में लाने के लिए जिन राज्यों में भाजपा के विरोध में जनता थी, वहां टुकड़े टुकड़े में चुनाव करवायी ताकि भाजपा को लोगों को डराने और भाजपा के गुंडों की मदद से भाजपा विरोधी मतों को बूथोंं तक न आने देने के लिए सक्रियता से जुटा जायें. इसके लिए सेना के तैनात सैनिकों की भी मदद ली गयी और भाजपा विरोधियों पर डंडे तक चलवाकर बूथों से भगाया गया. इसके अतिरिक्त भाजपा विरोधियों के उंगलियों पर जबरदस्ती निशान लगाये गये और उसे 500 रुपये के नोट थमाकर घर में ही रहने की हिदायतें दी गई. यहां तक की ईवीएम मशीनों के साथ भी छेड़छाड़ कर वोटों को भाजपा के पक्ष में डलवाया गया. इस सब के बाद भी जब भाजपा को जीतने में कठिनाई होने लगी तब बड़े पैमाने वोटिंग के बाद ईवीएम मशीनों को बदल दिया गया ताकि भाजपा के जीत को सुनिश्चित किया जा सके.

चुनाव आयोग के चुनावी नौटंकी के बाद असली वोटिंग

बड़े पैमाने पर ईवीएम की होती हेराफेरी

वोटिंग के बाद ईवीएम मशीनों को स्ट्रॉग रुम पहुंचने के पहले और फिर पहुंचने के बाद भी जिस बड़े पैमाने पर बदला गया है, यह चुनाव आयोग और प्रशासनिक अमला के प्रत्यक्ष मिलीभगत के बाद ही किया जा सकता है और यह सबसे खतरनाक ट्रेंड है, जिसे भाजपा ने मौजूदा चुनाव के दौरान अपनाया है.

जैसा कि भाजपा ने चुनाव के पहले ही घोषणा कर दिया था कि यदि भाजपा चुनाव जीत गई तो संविधान में संशोधन कर आने वाले चुनावों को ही बंद कर दिया जायेगा, यानी संविधान को हटाकर मनुस्मृति को लागू किया जायेगा.




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