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गोबर चेतना का विकास

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गोबर चेतना का विकास

गिरीश मालवीय

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ओर उनकी बीजेपी सरकार से अनुरोध है कि संविधान की प्रस्तावना में दिए गए ‘सेक्युलर’ शब्द को बाद मे बदलिएगा, पहले अनुच्छेद 51 ए (एच) में दिए गए शब्द ‘वैज्ञानिक चेतना’ को रिप्लेस कर उसकी जगह ‘गोबर चेतना’ शब्द को डलवा दीजिए. हमे कितना अच्छा लगेगा ! कितनी गर्व की भावना हमारे अंदर आएगी जब-जब हमारे भारत देश के बच्चे पढ़ेंगे कि नागरिक का मूल कर्तव्य हैं ‘गोबर चेतना’ का विकास.

जब से मोदी सरकार आई है बीजेपी से जुड़े लोगों को ‘गोबर’ से कुछ विशेष प्रेम उमड़ रहा है. कल मध्यप्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने गोबर से घर को सेनेटाइज करने का अनोखा आईडिया दिया. उन्होंने कहा कि ‘आप गाय के दूध से बने घी में अक्षत मिलाकर रखें. अगर आप सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त गाय के ही गोबर के कंडे पर हवन के दौरान इस घी की दो आहुतियां डालें, तो आप यकीन मानिए कि आपका घर 12 घंटे तक सेनेटाइज (संक्रमणमुक्त) रहने वाला है.’ बाद में उन्होंने अपनी इस बात को मनवाने के लिए इसे विज्ञान का नाम भी दिया. उन्होंने कहा कि ‘घर को संक्रमणमुक्त रखने का यह नुस्खा मनगढ़ंत नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘यह विज्ञान है कि भगवान सूर्य जब आकाश पर उदित या अस्त होते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण शक्ति 20 गुना तक बढ़ जाती है. शाम को ऑक्सीजन कम होती है, इस समय यदि हमें ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा चाहिए, तो घी की ये दो आहुतियां इस प्रचुरता को सम्पूर्ण पर्यावरण में व्याप्त कर देती हैं.’

जब गोबर महात्म्य को ही आपको विज्ञान मानना है तो यही बेहतर होगा कि बच्चों को प्राथमिक कक्षाओं में ही ‘सामान्य विज्ञान’ की जगह ‘गोबर विज्ञान’ की शिक्षा दे. इससे हमारे राष्ट्रीय गर्व की भावना में दोगुनी चौगुनी वृद्धि होगी. आपने हर चीज में गोबर को घुसा दिया है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं तो देश की टैक्सपेयर जनता के पैसो से बना राष्ट्रीय गौ आयोग ने लोगों को नसीहत दे रहा है कि ‘गाय के गोबर से बनी नैचुरल गैस (CNG) की इस्तेमाल करें. इससे भारत के लोगों को सस्ता और Made in India फ्यूल मिलेगा.’

उन्होंने जो पेपर प्रकाशित किया है, उसमें लिखा है कि ‘अगर कुकिंग के लिए बायोगैस कारगर है तो ट्रांसपोर्ट में भी गोबर से मिली ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर बड़े पैमाने पर इसका प्रोडक्शन किया जाए तो CNG पंप भी लगाए जा सकते हैं. इससे ट्रांसोपर्ट इंडस्ट्री को सस्ता फ्यूल मिलेगा और देश में एक नया उद्योग जन्म लेगा.’

बताइये ! क्या बेहतरीन आइडिया है ! आम के आम और गुठलियों के दाम ! गाय का भी सरंक्षण हो जाए और गोबर का भी उपयोग हो जाए, और एक पूरी तरह से नया और अनोखा उद्योग भी जन्म ले ले. दुनिया के जाने-माने इंस्टीट्यूट जैसे हार्वड, कोलम्बिया, कैम्ब्रिज आदि संस्थान के लोग आए और केस स्टडी करे. इससे बेहतर कोई क्या सोचेगा ? वैसे ये लोग इतने पर भी कहा माने हैं. उसने तो एक और कमाल का आइडिया दिया था.

कुछ महीने पहले राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के चेयरमैन ने गोबर से बनी एक चिप लॉन्च की. उनका कहना है कि ये चिप मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन को रोकती है और इसके साथ-साथ बीमारियों की रोकथाम करती है. इस चिप का नाम ‘गौसत्व कवच’ है. ये एक रेडिएशन चिप है, जिसे मोबाइल फोन में इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि रेडिएशन कम किया जा सके. चेयरमैन साहब ने बताया है कि देशभर में क़रीब 500 से ज़्यादा गौशालाओं में अब यह चिप बन रही है. बताइये आप ! यह तो हालात हैं इस देश में.

आज के दौर में यदि स्टूडेंट को कोई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध करना हो, विश्व की जानी-मानी साइंटफिक मैगजीन में कोई पेपर पब्लिश करवाना हो तो उसके लिए यूनिवर्सिटी में उसके लिए फंड नही है लेकिन यदि उसे गाय के संवर्द्धन और गोबर के इस्तेमाल पर कोई पर कोई शोध करना हो तो फंड धड़ल्ले से उपलब्ध है. इसलिए समय आ गया है कि अब सविंधान में ‘साइंटिफिक टेंपर’ के विकास की जगह ‘गोबर टेंपर’ के विकास को स्थान दिया जाए. मोदी जी जल्द से जल्द इस माँग को पूरा करे, सभी गोबर प्रेमियों की यह हार्दिक इच्छा है.

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