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लोगों की चीत्कारों पर मोदी का जश्न ‘अभूतपूर्व मिसाल’ है

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‘6 साल बेमिसाल’ का नारा देकर जश्न मनाने हुए हत्यारों का गिरोह देश को यह साफ संकेत देता है कि वह उसकी पीड़ा से आनंदित होता है. उसकी गोद में भूख से मरते बेटों और उस शव पर विलाप करती माताओं की चीखें उसकी अंतरात्मा को ठंढक पहुंचाती है. सड़कों पर भूखे नंगे भागते और मरते लोगों की चीत्कारें उसे सुकून देती है और सैकड़ों लोगों को पुलिसिया गुंडों द्वारा पीट पीटकर मार डालने पर उसे मजा आता है.

इन हत्यारों को पीड़ा कब होती है ? इन हत्यारों को पीड़ा तब होती है जब लोग इससे सवाल पूछते हैं. इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हैं. यह गिरोह भयाक्रांत तब होती है जब इसके खिलाफ आम आदमी हथियार उठाकर विद्रोह कर देते हैं. जब इसके कान के पास से बंदूक की गोली सनसनाती हुई गुजरती है. इतिहास गवाह है हिटलर तब तक नहीं डरा जब तक कि गोलियों और तोपों के गोलों की गूंज उसकी हलक तक नहीं पहुंच गया.

इनके पापों का कारनामा इतना भयानक और विभत्स है, इन्हें इस बात का अहसास भी है, तभी ये हत्यारे टेंसुएं बहाते हुए कहता है ‘मुझे मार डालेगा. मेरी हत्या की साजिशें रची जा रही है.’ यही कारण है कि करोड़ों रुपये की लागत से सबसे कड़ी सुरक्षा के बीच रहने वाला जल्लाद जब मौत के भय से कांप उठता है क्योंकि वह जानता है कि उसने इतने पाप किये हैं, लोगों की इतनी आहें ली है कि वह उसका गला घोंट देंगे. आये दिन हत्यारे गिरोह का सरगना मोदी, अमित शाह, अजय कुमार बिष्ट का रुदन सुनाई पड़ता है.

यही कारण है कि वह अपने पापों और लोगों की कराहों पर वह जश्न मनाता है ताकि इस जश्न के शोर में लोगों की चीत्कारें घुट जाये. गृहमंत्री के पद पर तैनात अमित शाह ट्वीट कर जब कहता है कि ‘मोदी जी ने इन 6 वर्षों के कार्यकाल में न सिर्फ कई ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा है बल्कि 6 दशक की खाई को पाट कर विकासपथ पर अग्रसर एक आत्मनिर्भर भारत की नींव भी रखी है. यह 6 वर्ष का कार्यकाल ‘गरीब कल्याण व रिफ़ार्म’ के समांतर समन्वय की एक अभूतपूर्व मिसाल है.’ सच में हत्यारों के गिरोह का यह जश्न दुनिया के पटल पर ‘अभूतपूर्व मिसाल’ है.

 

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