पिछले तीन सालों में भारत की एक के बाद एक संस्थायें जिस तेजी के साथ आम जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है, वह किसी भी सामान्य बुद्धि वाले नागरिक को हताश कर देने के लिए काफी है. रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट तक तो बदनाम हो ही चुकी है और अब सेना भी अब अपनी विश्वसनीयता को बदनामी के चादर तले ओढ़ने पर विवश है. सी.बी.आई. जैसे संस्था तो कब से तोता-मैना बन चुकी है और पत्रकारिता दलाल का रूप धारण कर चुका है.
ताजा प्रकरण में सेना के एक जवान राॅय मैथ्यू, जिसने सेना के अफसरों के सामंती मिजाज को जगजाहिर किया था कि मौत ने सेना पर एक बड़ा सवाल उठा दिया है. राॅय मैथ्यू की पत्नी फिनी और उनके रिश्तेदारों ने सेना पर तीखा आरोप लगाते हुए साफ कहा है कि ‘‘उसके पैर पर पीटे जाने के निशान थे और कुछ जगहों पर खून का थक्का बन गया था.’’ सेना के पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अविश्वसनीय ठहराते हुए दुबारा पोस्टमार्टम किया जाना भी सेना पर अपने ही जवान के हत्या का आरोप समाज ने सहज स्वीकार कर लिये जाने का एक प्रमाण है.
यह अनायास नहीं है कि सेना के एक अन्य जवान ने अपने एक बयान में कहा है कि ‘‘हमें आतंकियों से ज्यादा सेना के अफसरों से खौफ लगता है.’’
आम जनता के बीच सेना की विश्वसनीयता जिस तेजी से खत्म हो रही है, इससे पहले कि सेना जैसी संस्था बदनाम हो जाये, सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए. आखिर एक डरी हुई सेना के सहारे कितनी डिंगे हांकी जा सकती है.
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B khan
March 6, 2017 at 7:37 am
Nice and good job ….